उत्तराखंड में 21 दिसंबर से होगा 3 दिवसीय शीतकालीन विधानसभा सत्र, अनुपूरक बजट लाएगी सरकार, राजभवन से मिली मंजूरी
देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा सत्र 21 दिसंबर से तीन दिन के लिए आयोजित किया जाएगा। राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद बृहस्पतिवार को विधानसभा की ओर से भी अधिसूचना जारी कर दी गई है।
बता दें कि 23 सितंबर को एक दिन का सत्र आयोजित किया गया था। कोरोना संक्रमण के दौर में यह सत्र भी प्रदेश सरकार को मजबूरी में ही आयोजित करना पड़ा था। गैरसैंण सत्र को छह माह 25 सितंबर को पूरे हो रहे थे और छह माह से पहले सत्र का आयोजन सरकार को करना ही था। सरकार ने वैसे तीन दिन के सत्र की योजना बनाई थी लेकिन वह सिमटकर एक ही दिन ही रह गया था।
इस बार सत्र का आयोजन तीन दिन का है और इस बार भी सरकार को मजबूरी में ही सत्र का आयोजन कराना पड़ रहा है। सरकार को अनुपूरक बजट की जरूरत है। कुछ समय पहले ही वित्त ने विभागों से अनुपूरक के प्रस्ताव मांगे थे और वित्त ने हर हाल में 30 नवंबर तक प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा था।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने बताया अभी तक विधायी से जो जानकारी मिली है उसमें अनुपूरक बजट का जिक्र नहीं है। सरकार ने सिर्फ विधायी कार्यक्रम की जानकारी दी है। सत्र 21 दिसंबर से 24 दिसंबर के बीच आयोजित किया जाएगा।
सीएम देंगे विधानसभा में सवालों के जवाब
इस बार के विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी अपने विभागों से संबंधित सवालों के जवाब देने होंगे। यह लंबे समय बाद है कि सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है और सोमवार का दिन मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित सवालों के उत्तर का है।
विधानसभा के प्रभारी सचिव मुकेश सिंघल के मुताबिक सोमवार को सीएम के साथ ही रेखा आर्या के विभागों से संबंधित सवालों के उत्तर दिए जाएंगे। मंगलवार को सतपाल महाराज और परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, बुधवार को वन मंत्री हरक सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, बृहस्पतिवार को अरविंद पांडे और उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत और शुक्रवार को कृषि मंत्री सुबोध उनियाल सदन में अपने विभागों से संबंधित सवालों के उत्तर देंगे।
यह लंबे समय बाद है कि विधानसभा में मुख्यमंत्री को अपने विभागों से संबंधित सवालों के जवाब देने होंगे। विपक्ष लगातार यह कहता आ रहा है कि सोमवार को सत्र किसी न किसी कारण से चलता नहीं है और मुख्यमंत्री से विधायक उनके विभागों से संबंधित सवाल पूछ ही नहीं पाते।
दूसरी ओर, इस बार सवालों की संख्या भी अधिक होने का अनुमान है। पिछले सत्र में सवालों की संख्या एक हजार तक पहुंच गई थी। सत्र एक दिन का होने के कारण कई सवालों के उत्तर नहीं आ पाए थे। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री के पास सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विभाग है और कोरोना काल में विधायकों के पास इस विभाग से संबंधित ढेरों सवाल हैं।