टिहरी के रतौली गांव में देखने को मिला भक्ति और आस्था का संगम, देश-विदेश से मां काली के आर्शिवाद को गांव पहुंचे श्रद्धालु
अरूण पांडेय, पत्रकार।
नई टिहरी। टिहरी जनपद खास पट्टी जाखणाीधार ब्लाॅक के रतौली गांव में मां काली का भव्य पूजन किया गया। इस पूजन में आस पास के गांव के लोग ही नहीं बल्कि देश-विदेश में रह रहे गांव के लोग भी परिवार सहित मां काली की पूजा अर्चना और आर्शिवाद को गांव पहुंचे। 9 दिन चलने वाली मां काली पूजा का भंडारे के साथ भव्य समापन हुआ। भंडारे में बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
खास पट्टी जाखणाीधार ब्लाॅक के रतौली गांव में मां काली का सिला खप्पर है। मान्यता है कि यह प्राचीन सिला खप्पर है। प्राचीन समय से ग्रामीण हर तीन साल में मां काली की भव्य पूजा का आयोजन करते हैं। जिसमें रतौली के अलावा आसपास के गांव के लोग भी मां का आर्शिबाद लेने पहुंचे हैं। सम्पूर्ण विधि विधान से चलने वाली मां काली की पूजा का नवें दिन भंडारे के साथ समापन होता है।
पत्रकार और स्थानीय निवासी अरूण पांडेय से प्राप्त जानकारी के अनुसार मां काली की पूजा चमोली ब्राहमणों द्वारा की जाती है। हर तीन साल में मंगसीर महीने में मां काली की पूजा का आयोजन किया जाता है। 9 दिन चलने वाली पूजा में प्रत्येक दिन मंडाण लगता है। जिसमें ढौल दमों में जागरों के जरिए देवी देवताओं का आहवान किया जाता है। पूजा में मौजूद विभिन्न पश्वा पर देवी देवता अवतरित होकर भक्तों को आर्शिवाद देते हैं। अरूण पांडेय ने बताया कि मां काली रतौली गांव के कीर्ति पश्वा पर अवतरित होती है। इस दौरान सभी भक्त आर्शिवाद के साथ अपनी याचना मां के सामने प्रकट करती है। अरूण पांडेय ने बताया कि मां काली से मांगी गई मन्नत पूरी होती है। जिसके बाद भक्त अपनी श्रद्वा अनुसार चांदी का छत्र, घंटा, या अन्य भेंट माता को दान करते हैं।