देहरादून-: वर्षो से पर्वतीय क्षेत्र में चकबन्दी के लिये समर्पित गरीब क्रान्ति अभियान, उत्तराखण्ड द्वारा विगत कई वर्षो से लगातार जनजागरण के परिणाम स्वरूप अब तक कुल सात गाँव उत्तराखण्ड सरकार द्वारा नोटिफाइड किये गये हैं।
इन गाँवों में तंगोली (कलजीखाल ),ग्वीन मल्ला (बीरोखाल), ढांगल (दुग्ड्डा) पौड़ी गढ़वाल को उत्तराखण्ड शासन द्वारा स्वीकृति मिल चुकी है।
ग्वीन मल्ला के सामाजिक कार्यकर्ता श्री मनवर सिंह नेगी, एंव अनूप सिंह रावत का कहना कि सरकार का शीघ्र की चकबन्दी योजना बना कर गाँव में धरातल पर इस कार्य को शुरू कर देना चाहिये ताकि नवयुवक एक साथ चक मिलने पर बागवानी एवं अन्य कृषि जन्य कार्य आधुनिक तरीके से कर सके। जिससे क्षेत्र में हो रहे लगातार पलायन पर भी अंकुश लगेगी।
ढांगल के दिगम्बर कुकरेती का कहना है कि आज हमारे खेत दूर-दूर तक विखरे पड़े हुये हैं नई पीढ़ी कुछ नया करना चाहती है लेकिन इसके लिये खेतों का इकट्ठा होना अतिआवश्यक है। हमें इस बात की खुशी है कि हमारे प्रस्ताव पर शासन ने संज्ञान लिया । हम सरकार से यह मांग करते हैं कि जनजागरण का कार्य शीघ्र ही शुरू हो जिससे कि कुछ लोगों को जो भ्रांतियाँ है वह दूर हो सके।
तंगोली निवासी एवं अभियान के संयोजक कपिल डोभाल ने कहा कि वर्तमान में जिन गाँवों की चकबन्दी के प्रस्ताव पा हो चुके हैं उनके सर्वे हेतु सरकार को शीघ्र ही कोई व्यवस्था करनी चाहिये। उत्तरप्रदेश सरकार से भी प्रतिनियुक्ति पर कुछ सयम के लिये स्टाफ लिया जा सकता है। जो कि सर्वे के कार्यो हेतु यहाँ जिन कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी जाय उन्हें प्रशिक्षित कर सके। शीघ्र की जिन गाँवों को नोटिफिकेशन हो चुका है उन गाँवों के लोगों एवं अभियान से जुड़े लोगों का एक प्रतिनिधि मंडल चकबन्दी नेता गणेश सिंह गरीब के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिलकर आगे की राह निकालने हेतु मंत्रणा करेगा।
पूर्व में चार अन्य गाँवों की स्वीकृति भी शासन से मिल चुकी है जिसमें कि ग्राम स्तर पर चकबन्दी कमेटी को गठन भी किया जा चुका है लेकिन सर्वे सम्बन्धी आ रही दिक्कतों के कारण आगे की कार्यवाही नही हो पाया है। इनमें मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्य नाथ जी का गाँव पंचूर,(यमकेश्वर) पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का गाँव खैरा, कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल का पैतृक गाँव औणी एवं एक अन्य गाँव लखौली (पोखड़ा) शामिल हैं।
उत्तरकाशी जनपद के वीफ और खरसाली जिन गाँवों में लोगों ने स्वर्गीय राजेन्द्र सिंह रावत के प्रयासों तीन दशक पहले खेतों का आपसी संटवारा-वंटवारा किया था किन्हीं कारण से यह रद्द हो चुके हैं। वीफ गाँव के निवासी यमुनोत्री विधानसभा के विधायक श्री केदार सिंह रावत पूर्व सरकार में चकबन्दी सलाहकार समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं।
अब देखने वाली बात है कि 2022 से चुनावों से पहले सरकार इस कार्य को अमलीजामा पहनाकर चुनाव में गाँवों के विकास की कुंजी चकबन्दी के मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगी या ठंडे बस्ते में डालती है। यह भविष्य की गर्त में है।
अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण उत्तराखंड में खेती में मेहनत और समय काफी अधिक लगता है पर चकबंदी से न सिर्फ कृषको की बिखरी हुई भूमि एक होगी साथ ही उनके आगे कृषि के नए अवसर भी खुल जायेगे जिसका सीधा असर पलायन पर पड़ेगा।
क्या है चकबंदी?
चकबंदी अभियान कृषको की बिखरी हुई कृषि भूमि जोतों को एक स्थान पर कानूनन अथवा आपसी सहमति से संटवारा कर एकत्र करने की मुहिम है। इस अभियान से एक ही जगह बड़े जोत बनने से जहा किसानो का श्रम एवं समय बचेगा वही सरकारी योजनाओं तथा ग्राम्यविकास, कृषि,बागवानी, सिंचाई, व सहवर्ती मुर्गा पालन ,मतस्य पालन, बेमोसमी सब्जी उत्पादन व जड़ीबूटी,पौध उत्पादन व फूलों की खेती आदि योजनाओं का सीधा व भरपूर लाभ किसानो को मिल पाएगा।