अपनी मांगों को लेकर अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा पत्र* *अर्जुन सिंह भंडारी*
हरिद्वार-: प्रदेश भर में लंबे वक़्त से सभी अधिवक्ताओं द्वारा प्रदेश सरकार से उनके लिए कुछ मूलभूत सुविधाओं को लेकर मांगें की जा रही थी,जिस क्रम में हरिद्वार स्थित अधिवक्ता परिसर में अधिवक्ता संजीव कुमार वर्मा आमरण अनशन पर बैठे है।जिनके चलते कल भाजपा जनता युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित शर्मा द्वारा अधिवक्ता परिसर में स्वयं जाकर अधिवक्ता संजीव कुमार से उनका अनशन खत्म करने का अनुरोध किया गया।
वहींअधिवक्ता संजीव कुमार के साथ मौजूद अधिवक्ता संघर्ष समिति के अध्यक्ष व पूर्व सचिव बार संघ अरविंद श्रीवास्तव द्वारा सभी अधिवक्ताओं की ओर से अमित कुमार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम प्रस्तुत एक मांग पत्र सौंपते हुए मांग पूरी होने पर ही धरना खत्म करने की बात कही।जिसपर भारतीय जनता युवा मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित कुमार ने सभी अधिवक्ताओं को उनकी मांग विस्तृत पत्र को जल्द से जल्द मुख्यमंत्री तक पहुँचाने का आश्वासन देते हुए कहा कि इस मुश्किल घड़ी में भारतीय जनता पार्टी और प्रदेश सरकार उन सभी के साथ खड़ी है।
इस दौरान राजीव, अर्जुन, जितेंद्र ठाकुर, सचिन जैन, राजकुमार, श्रीकांत धीमान आदि अधिवक्ता अनशन स्थल पर उपस्थित रहे।
कुछ प्रमुख मांगें-:
●किसी भी अधिवक्ता द्वारा 5 लाख रुपये तक का लोन मांगे जाने पर उसे बिन ब्याज के तुरंत लोन।
●सभी अधिवक्ताओं को 20 लाख रुपये के बीमा की सुविधा।
●देश के हर अधिवक्ता को फ्री स्वास्थ्य सुविधा।
●कोर्ट में एक समय में एक ही केस में बयान हो।
●सभी अधिवक्ता कोर्ट के ऑफिसर ऑफ द कोर्ट है,इस वजह से कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी अवहेलना करे तो उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
●किसी भी शिकायत पत्र पर पुलिस प्रशासन/प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कार्यवाही किस अवधि निर्धारित हो।
●जेल में अभियुक्तों से मिलने के लिए 10 से 6 बजे तक के किसी भी समय में मिलने की व्यवस्था होनी चाहिए व उससे मिलने के लिए अधिवक्ता को 10 मिनट से ज्यादा का इंतज़ार न करवाये।
●थाने में किसी भी अभियुक्त से मिलने पर अधिवक्ता को न रोका जाए,अभियुक्त द्वारा जिस भी अधिवक्ता से बात करवाने को कहा जाए पुलिस द्वारा तुरंत उसे सूचित किया जाए।
●तहसील व एस0डी0एम0 के समक्ष प्रस्तुत शिकायत पर जल्द से जल्द निवारण हो।कानूनगो,पटवारी,प्रशासनिक अधिकारी की संपत्ति की जांच होनी चाहिए।
●किसी भी पुलिस अधिकारी या प्रशासनिक अधिकारी द्वारा किये गए चालान को 3 दिन के अंदर कोर्ट में पहुँचना चाहिए और ऐसा न होने पर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही हो।