आखिर ट्रेन को बिना रुके नॉनस्टॉप क्यो दौड़ाई ललितपुर, झाँसी से भोपाल तक , आखिर क्या था मामला 3 साल की बच्ची के अपहरण का।
भोपाल/ नई दिल्ली। ललितपुर रेलवे स्टेशन से रविवार को तीन साल की बच्ची के अपहरण की झूठी घटना के लिए जितनी जिम्मेदार उसकी मां आशा देवी है, उतनी ही कमी जीआरपी ललितपुर की सामने आई है। जीआरपी के अधिकारियों ने महिला की बात पर बिना जांचे ही विश्वास कर लिया और अपहरण की सूचना सभी को दे दी थी, जिससे ललितपुर, झांसी और भोपाल के बीच दो घंटे रेलवे में हड़कंप मचा रहा था।
यदि जीआरपी के अधिकारी उक्त महिला की बात की सत्यता को परख लेते तो अपहरण के झूठे प्रकरण में रेलवे, आरपीएफ, स्थानीय पुलिस और खुद जीआरपी को परेशान नहीं होना पड़ता। रेलवे ने यह व्यवस्था की थी कि भले ही ललितपुर से भोपाल के बीच राप्तीसागर एक्सप्रेस का स्टापेज नहीं है फिर भी ट्रेन को किसी स्थिति में आउटर पर न रोकें। यदि ट्रेन का बीच में स्टापेज रहता तो अपहरण कर्ता को पकड़ने व बच्ची को छुड़ाने के लिए ट्रेन को निर्धारित स्टेशन पर नहीं रोका जाता और हजारों यात्री परेशान होते।
इधर, महिला की सूचना झूठी साबित होने के तीसरे दिन मंगलवार शाम तक उस पर ललितपुर जीआरपी ने गुमराह करने का मामला दर्ज नहीं किया है। जीआरपी झांसी के थाना प्रभारी अरविंद कुमार सरोज का कहना है कि महिला ने लिखित में सूचना नहीं दी थी इसलिए उस पर गुमराह करने का केस दर्ज नहीं कर सकते हैं।
यहां से शुरू हुई गफलतः महिला ने जो बताया, उसे सही मानकर जीआरपी ने सभी को दे दी सूचना
ललितपुर की रहने वाली आशा देवी ने जीआरपी को बताया था कि उसकी बेटी का कोई अपहरण करके घर से ले गया है जो स्टेशन की तरफ आया था। इस आधार पर झांसी जीआरपी, आरपीएफ ने सीसीटीवी कैमरे के फुटेज खंगाले तो एक अज्ञात व्यक्ति रविवार शाम सात बजे ललितपुर स्टेशन से राप्तीसागर एक्सप्रेस में बैठता हुआ दिखाई दिया। इस आधार पर भोपाल व झांसी को सूचना दी गई थी। रेलवे के अधिकारी भी सतर्क हो गए, क्योंकि मामला तीन साल की बच्ची के अपहरण का था इसलिए सूचना के आधार पर रेलवे ने यह तय किया कि ललितपुर से भोपाल के बीच ट्रैक खाली रखें। भले ही बीच में स्टापेज न ।
कई बार प्रीमियम ट्रेनों को आगे निकालने के लिए रेलवे अन्य ट्रेनों को आउटर पर रोक देता है लेकिन राप्तीसागर को किसी भी स्थिति में आउटर पर नहीं रोकने के निर्देश थे। ट्रेन जैसे ही रात 8.43 बजे भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंची तो पहले से पूरा बल तैनात था, जिन्होंने ट्रेन की तलाशी ली और कोच एस-2 से बच्ची के साथ उसे लेकर पहुंचे व्यक्ति को बरामद किया था। पूछताछ में बच्ची को लाने वाले संतोष पांडे ने बताया कि बच्ची तो उसकी बेटी है। तब मामले की हकीकत पता चली। सोमवार को बच्ची की मां को जीआरपी भोपाल ने बुलाया, माफीनामा के आधार पर उसे व उसके पति को बच्ची सौंप दी थी।
महिला स्टेशन परिसर में बेटी को पाने के लिए परेशान थी। उसने ललितपुर स्टेशन पर गश्त कर रहे सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार राणा को घटना बताई थी। महिला को सीसीटीवी के फुटेज दिखाए गए। उसने बताया कि जो व्यक्ति बच्ची को ले जाता दिख रहा है वह उसी की बेटी है लेकिन यह नहीं बताया कि ले जाने वाला उसका पति है। उसके बताए अनुसार घटना अपहरण की प्रतीत हुई थी। ट्रेन स्टेशन से निकल चुकी थी और समय कम था इसलिए सबसे पहले बच्ची को छुड़ाना था इस वजह से उससे सख्ती से पूछताछ नहीं की थी।
– अरविंद कुमार सरोज, जीआरपी थाना प्रभारी झांसी
हमें बच्ची के अपहरण की सूचना मिली थी, इस वजह से सभी जगह आरपीएफ को अलर्ट पर रखा था, क्योंकि समय कम था। बाद में पता चला है कि बच्ची को ले जाने वाला उसका पिता है।
– जतिन बी राज, वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त, झांसी
जो सूचना ललितपुर व झांसी से मिली थी उस आधार पर भोपाल में हमने कार्रवाई की है। महिला को सख्त हिदायत दी है कि दोबारा वह गुमराह करने वाली सूचना न दे।
– आरएन रावत, एसआइ, जीआरपी, भोपाल
अक्टूबर को मध्य प्रदेश के ललितपुर में एक व्यक्ति तीन साल की एक बच्ची का अपहरण कर के ले जा रहा था. रेलवे सुरक्षा बल को इस बात का पता चला तो रेलवे प्रसाशन ने ये तय किया कि इस ट्रेन को भोपाल से पहले कहीं भी रुकने नहीं देना है वरना अपहरणकर्ता बच्ची समेत बच निकलेगा.
सीन -1: पहली सूचना
ललितपुर शहर से एक दुबला-पतला व्यक्ति तीन साल की बच्ची का अपहरण करके गाड़ी नम्बर 02511 राप्ती सागर एक्सप्रेस से भोपाल की तरफ जा रहा है.
यह सूचना किसने दी ? 25 अक्टूबर की शाम को लगभग 7 बजे झांसी स्टेशन रेलवे सुरक्षा बल पोस्ट के सब इन्स्पेक्टर रविन्द्र सिंह राजावत को ललितपुर के जीआरपी प्रभारी सब इंस्पेक्टर ने सूचना दी.
सीन-2: अपहरणकर्ता और बच्ची का हुलिया
ललितपुर के जीआरपी सब इंस्पेक्टर ने यह भी बताया कि बच्ची ने गुलाबी रंग की ड्रेस पहनी है, जबकि संदिग्ध व्यक्ति ने क्रीम कलर की शर्ट और काले रंग का लोअर पहन रखा है. बच्ची को ले जा रहा ये व्यक्ति नंगे पैर है.
सीन-3: झांसी और भोपाल से मिशन शुरू
इस सूचना पर तुरंत ही झांसी कंट्रोल रूम से आरपीएफ़ ने भोपाल रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स और भोपाल पुलिस सहित सभी सम्बंधित अधिकारियों को बच्ची के अपहरण की जानकारी दी और बताया कि चलती हुई राप्ती सागर ट्रेन में अपहरणकर्ता बच्ची को लेकर मौजूद है.
सीन-4: सीसीटीवी फ़ुटेज से की तस्दीक़
झांसी के सब इंस्पेक्टर एसएन पाटीदार ने बच्ची की मां से अन्य जानकारी लेकर ललितपुर आरपीएफ़ पोस्ट पर बने कंट्रोल रूम में स्टेशन की सीसीटीवी फुटेज खंगाली, जिसमें संदिग्ध व्यक्ति एक बच्ची को ले जाते हुए दिख रहा था. ये फुटेज तुरंत भोपाल आरपीएफ और जीआरपी को भेज दी गई.
सीन-5: चलती ट्रेन में आरपीएफ़ को अलर्ट किया गया
इसके बाद झांसी आरपीएफ़ ने राप्ती सागर ट्रेन में चल रहे अपने जवानों को हुलिया बताते हुए कहा कि अपहरणकर्ता पर नज़र रखें, लेकिन उसे शक न होने दें. कार्यवाही एक साथ ट्रेन के रुकते ही की जाएगी. गाड़ी में तैनात ऑन ड्यूटी सीटीआई को भी प्लानिंग बताई गई.
सीन -6: मुख्य प्लानिंग
आरपीएफ़ झांसी ने ऑपरेटिंग कंट्रोल भोपाल को मामला बताते हुए प्लानिंग के तहत कहा कि राप्ती सागर ट्रेन को भोपाल से पहले कहीं भी रोका ना जाये. इसके बाद तकरीबन रात 8.43 बजे जब गाड़ी भोपाल पहुंची तो वहां आरपीएफ़ और भोपाल पुलिस पहले से बड़ी तादाद में अलर्ट खड़ी थी. ट्रेन के रुकते ही योजना के मुताबिक़ ट्रेन में सवार आरपीएफ़ जवानों के इशारे पर अपहरणकर्ता को धरदबोचा गया और बच्ची को सुरक्षित बचा लिया गया.
सुखद अंत : बच्ची के घरवाले रेलवे को धन्यवाद दे रहे हैं
आरपीएफ़ की इस तेज़ी के लिए तीन साल की बच्ची के माता पिता और अन्य परिजन रेलवे का धन्यवाद देते नहीं थक रहे हैं. जिस बच्ची का अपहरण हुआ उसका नाम- काव्या उर्फ डुग्गु है. इसके पिता लक्ष्मी नारायण ललितपुर के आज़ादपुरा में रहते हैं.आखिर ट्रेन को बिना रुके नॉनस्टॉप क्यो दौड़ाई ललितपुर, झाँसी से भोपाल तक , आखिर क्या था मामला 3 साल की बच्ची के अपहरण का।