मनुष्य के जीवन मे बांस महत्वपूर्ण भी है और उसे जलाना भी धार्मिक व वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार वर्जित है।
मनुष्य के जीवन मे बांस महत्वपूर्ण भी है और उसे जलाना भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वर्जित है
मनुष्यों ने अपने जीवन यापन करने के लिये प्रकृति के दिए फल, फूल, पेड़ पौधे,कंदमूल से ही काम चलाया। जँहा बांस को बहुत सारे कामों में लिया गया वही इसको जलाने में परहेज रखा जाता है। धार्मिक मान्यता समझे या वैज्ञानिक कारण किसी भी तरह से बांस को नही जलाया जाता।आमतौर पर अगरबत्ती बांस की बनती है अत: इसे जलाना शुभ नहीं होता
शास्त्रों में कहीं भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता
शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित है। किसी भी हवन अथवा पूजन विधि में बांस को नही जलाते हैं। भारतीय सनातन परंपराओं में बांस का जलाना निषिद्ध है। कहा जाता है की यदि बांस की लकड़ी को जलाया जाता है तो इससे वंश नष्ट हो जाता है और पितृ दोष लगता है। इसके पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य भी हैं।
इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण हमेशा अपने पास बांस की बांसुरी रखते थे। भारतीय वास्तुविज्ञान में भी बांस को शुभ माना गया है। शादी, जनेऊ, मुण्डन आदि में बांस की पूजा एवं बांस से मण्डप बनाने के पीछे भी यही कारण है। अत: बांस को जलाना शुभ नहीं होता। ऐसा भी माना जाता है कि बांस का पौधा जहां होता है वहां बुरी आत्माएं नहीं आती हैं।
ये है वैज्ञानिक कारण
बांस की लकड़ी में लेड के साथ अन्य कई प्रकार की धातु होती है। ऐसे में अगर आप इसे जलाकर नष्ट करते हैं तो ये धातुएं अपनी ऑक्साइड बना लेती हैं, जिसके कारण न सिर्फ वातावरण दूषित होता है बल्कि यह आपकी जान भी ले सकता है, क्योंकि इसके अंश हवा में घुले होते हैं और जब आप सांस लेते हैं तो यह आपके शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके कारण न्यूरो और लिवर संबंधी परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है।
आमतौर पर अगरबत्ती बांस की बनती है। अत: इसे जलाना शुभ नहीं होता। शास्त्रों में पूजन विधान में कहीं भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धूपबत्ती ही लिखा हुआ मिलता है। अगरबत्ती बांस और केमिकल से बनाई जाती है जिसका सेहत पर बुरा असर होता है। फेंगशुई में लंबी आयु के लिए बांस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं। यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है, इसलिए उसे जलाना फेंगशुई की दृष्टि से अशुभ है।
बांस प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भरपूर वृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी भी प्रकार के तूफानी मौसम का सामना करने का सामर्थ्य रखने के प्रतीक हैं। यह पौधा अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। हालांकि बांसों की रगड़ से कभी-कभी आग लग जाती है तो सारे बांस अपनी ही आग में जल जाया करते थे जिससे बांसों की पहले से ही कमी हो जाती थी। ऐसे में बांसों को बचाना और भी जरूरी हो जाता है। आजकल तो अगरबत्तियों में भी बांस का उपयोग किया जाता है।