देहरादूनपौड़ी गढ़वालस्वरोजगार

भलू लगद/ फील गुड संस्था कि ’’भलू लगदू अपणू रूजगार’’ किताब का विमोचन

देहरादून:- (उमाशंकर कुकरेती)  न कोई वीआईपी, न कोई गणमान्य न कोई मुख्य अतिथि,  कार्यक्रम में आये सभी महानुभाव ही मुख्य अतिथि थे। आज पहली बार ऐसा प्रोग्राम देखा, कोई आडम्बर नही सभी ने अपने अनुभव व अपने अपने विचार  विचार रखे।  आज ऐसी किताब का विमोचन किया गया जिसमें धरातल पर हुए कार्यो का विवरण है, पहाड़ मे रोजगार का सृजन कैसे किया जाता है, इसका उदाहरण की बानगी है। भलू लगद/ फीलगुड चैरिटेबल ट्रस्ट जो कि ऐसे पहाड़ी युवा द्वारा बनाया गया है जो दिल्ली जैसे मल्टी नेशनल कपंनी मे कार्य करने वाले ऐसे कर्मवीर सुधीर सुन्द्रियाल ग्राम डबरा पोस्ट आफिस चमनाऊ जिला पौड़ी गढवाल के निवासी है जिन्होने अपनी नौकरी छोड़कर गॉव में आकर स्वरोजगार का अनूठा उदाहरण धरातल पर उतारा हैं।

सुधीर सुन्द्रियाल पिछले 6 सालों से अपने गॉव में रहकर कृषि, बागवानी, शिक्षा, संस्कृति और जल संचय जीवन संचय पर काम कर रहे हैं, उनके द्वारा किये गये अनेको कार्यां की बात की जाय तो जिसमें उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि गॉव की मिट्टी आज भी सोना उगलती है। सुधीर सुंन्द्रियाल और उनकी पत्नी हेमलता सुन्द्रियाल उन दम्पत्तियों में से है जो 22 गरीब बच्चों को शिक्षा देकर उनके जीवन में ज्ञान का अलख जगा रहे हैं।

भलू लगद /फीलगुड संस्था ने अभी तक धरातल पर उन कार्यो को किया है जो उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो पहाड में स्वरोजगार करना चाहते हैं, साथ ही उन लोगों के लिए सबक है जो कहते हैं, पहाड़ों में रोजगार के द्वार नहीं खुल सकते हैं। भलु लगद/फीलगुड के द्वारा अभी तक किये गये उल्लेखनीय कार्यो की बात की जाय तो इसमें बंजर खेत आबाद करो मिशन के तहत आधुनिक यंत्रों में कृषि बागवानी, जिसमें फलदार, पेड़, मसाला खेती, ग्राफि्ंटग, साग सब्जी, आदि की जा रही है। सैकड़ों किसानों के बीज हजारो फलदार पेड़, हजारों बड़ी इलायची पौधा वितरित की जा चुकी हैं। किसान गोष्ठियां करना आदि कई कार्य हैं जिसमें पहाड़ की जवानी पहाड में रहने के लिए प्रेरित हो। एक मार्च 2020 को उम्मीद समन्वित कृषि बागवानी केन्द्र की स्थापना की गयी, जिसे किसानों को कार्यशाला के रूप में विकसित किया जा रहा है।


सुधीर सुन्द्रियाल और उनका ट्रस्ट यहीं पर नहीं रूके बल्कि उन्होंने जल ही जीवन है और जल है तो कल है’’ को एक जन चेतना के रूप में बनाने का काम किया जा रहा है। हजारों लोगों को इस चेतना से जोड़ा है। जनसहभागिता से जल संरक्षण के कई जलाशयो और छोटी खाल चाल बनाने का काम जारी है ताकि पहाड़ों का पानी पहाडो को पिला सके जिससे प्राकृतिक स्त्रोत सदाबहार बना रहे।


सुधीर सुन्द्रियाल और उनके संस्था के कदम यहीं नही रूके बल्कि उन्होेने शिक्षा के क्षेत्र में भी दीपक जलाकर पहाड़ में नई रोशनी देनी भी शुरू किया है। शिक्षा के क्षेत्र में ग्राम गवांणी में फीलगुड नॉलेज एण्ड इन्फॉरमेशन सेंंटर की की स्थापना की गयी है, जिसमें निशुल्क क्लास के साथ लाइब्रेरी और कई मोटिवेशनल क्लास चलती है। इस केन्द्र का मुख्य उद्देश्य सभी आयु वर्ग के लोगो ं को जागरूक करने के साथ बच्चों के सर्वागीण विकास पर जोर है। इससे जुडे बच्चे कई प्रकार की ट्रेनिंग ले चुके हैं साथ ही कई जगहों पर अपने विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं।


जगह जगह विभिन्न प्रकार की शैक्षिक गतिविधियॉ जिनमें कई गॉवों में एकस्ट्रा एक्टिविटी क्लास, एजुकेशनल कैम्प मुख्य हैं। कई बार अपने से जुडे बच्चों को विभिन्न ट्रेनिग कार्यक्रमों में भेज चुके हैं। इन सब के अलावा अभी तक भलू लगद संस्था 40 से ज्यादा बच्चों जिनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है या जो निराश्रित है, उनको शैक्षिक सहयोग जिसमें ड्रैस, बस्ता, फीस, किताब, कॉपी, आदि सभी खर्चे ट्रस्ट उठाता है, वर्तमान में 22 बच्चे उनके साथ हैं।

फील गुड यानी सुधीर सुन्द्रियाल जी गॉव में रोजगार और शैक्षिक उन्नयन के साथ ही अपनी संस्कृति को भी संजोने और संवारने में लगे हैं। सुधीर सुन्द्रियाल जी बताते हैं कि उत्तराखण्ड मे विलुप्त हो रहे लोकगीत और लोकनृत्यों को पुनर्जीवित करना। भलु लगद/ फीलगुड सांस्कृतिक विरासत को नया जीवने दे रहे हैं। ट्रस्ट ने सराऊं लोकनृत्य को एक नये रूप में प्रस्तुत किया। फीलगुड महिला सरैयां और ढोल दमाऊं और सरैयां के साथ यह टीम कई जगह अपनी अपनी पस्तुति देकर नाम कमा चुकी है। इसी कड़ी में फीलगुड पुरूष थड़िया, चौफला की एक टीम भी जिसमें सभी लोग 50 वर्ष के ऊपर के हैं, वे कई जगह अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य कार्यक्रम चलते रहते हैं जिनमें जागरूकता रैलीयां, ग्राम पर्यटन, विभिन्न सास्कृतिक कार्यक्रम, विभिन्न ग्रामोत्सवों को उत्पादकता से जोड़ना, ब्लड, डोनेशन, ऑर्गन डोनेशल को प्रमोट करना आदि कार्यक्रम चलते रहते हैं।
भलु लगद अपणू रूजगार किताब में फील गुड ट्रस्ट के बारे में खुलकर बताया गया है, साथ ही इस पुस्तक में 10 ऐसे व्यक्तियों की हकीकत की कहानी लिखी है जो पहाड़ी क्षेत्र में स्वरोजगार को धरातल पर कर अपनी आजिविका का उपार्जन ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं, और प्रेरणा स्त्रोत बने हैं। इसी तरह इस किताब में पहाड़ मे आजिविका,( स्वरोजगार), कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कृषकों को देय सुविधायें, खादी और गा्रमोद्योग-भारत सरकार, राज्य की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का संक्षिप्त सार, जैविक खाद, में रोजगार, बांस रिंगाल व रेशा में स्वरोजगार, चारा उत्पादन में स्वरोजगार, रेशम उद्योग, में स्वरोजगार, प्रधानमंत्री कौशल योजना, उत्तराखण्ड में संचालित कुछ प्रमुख योजनाओं का उद्देश्य, राज्य की मुख्य नीतियों की संक्षिप्त जानकारी दी गयी हैं।
आज के इस पुस्तक के विमोचन के शुभ अवसर पर सबसे बड़ी खासियत यह रही कि सभी लोग सोशल डिस्टेसिंग और कोविड के नियमों के पालन करते हुए इस कार्यक्रम में शिरकत की लेकिन इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषता यह रही कि इसमें न कोई मुख्य/ विशिष्ट अतिथि कोई नहीं था बल्कि आये हुए सभी गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि रहे। किताब का विमोचन, शिक्षाकुंर स्कूलू नजउीक आईसबीटी में किया गया। इस मौके पर पहाड से जुडे स्वरोजगार करने वाले और पहाड प्रेमी सभी मुख्य अतिथि इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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