देहरादून

Big breaking:-हरक बोले पीएम ने बड़ा दिल दिखाया तो  देवस्थानम बोर्ड को खत्म करने पर हमारी सरकार भी कर सकती है विचार

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और इसके तहत गठित चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर प्रदेश सरकार सक्रिय हो गई है। कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के मामले में जिस तरह प्रधानमंत्री ने बड़ा दिल दिखाया है, उसी तरह प्रदेश सरकार भी देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को लेकर अडिग नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर लगेगा कि ये कानून चारधाम, मठ-मंदिरों व आमजन के हित में नहीं है तो सरकार इसे वापस लेने पर विचार कर सकती है। साथ ही कहा इस विषय पर हम सबसे सलाह लेकर ऐसा निर्णय लेंगे,जिससे सबको संतुष्टि हो।

त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम अस्तित्व में आया था। फिर इसके तहत देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड गठित किया गया, जिसके दायरे में चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री व इनसे जुड़े 43 मंदिरों समेत कुल 51 मंदिर लाए गए। चारधाम के तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी इस अधिनियम व बोर्ड का निरंतर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह अधिनियम उनके हितों पर कुठाराघात है। हालांकि, तीर्थ पुरोहितों के आंदोलन को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्यसभा के पूर्व सदस्य मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की।

यह समिति अपनी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। अब उसकी अंतिम रिपोर्ट का इंतजार हैइस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पांच नवंबर की केदारनाथ यात्रा से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने केदारनाथ में आंदोलित तीर्थ पुरोहितों से बातचीत की थी। तब सरकार की ओर से भरोसा दिलाया गया कि इसी माह इस संबंध में निर्णय ले लिया जाएगा। तब प्रधानमंत्री के केदारनाथ आगमन पर तीर्थ पुरोहितों के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में अधिनियम और बोर्ड को वापस लेने का आग्रह किया गया।अब जबकि, प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है तो इस अधिनियम और बोर्ड के संबंध में तीर्थ पुरोहित इसी तरह की अपेक्षा प्रदेश सरकार से कर रहे हैं।

इस बीच  कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत ने कहा कि चार नवंबर को केदारनाथ में पंडा, पुरोहित समाज से बातचीत में सरकार की ओर से कहा गया था कि सभी से विचार-विमर्श से जो भी निर्णय होगा, वह पंडा-पुरोहित समाज और चारधाम के हित में होगा

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