देहरादून

Big breaking :-मंत्री धन सिंह पर गणेश के आरोपों पर मंत्री के करीबियों के जबरदस्त पलटवार कही ये बात

बैंक द्वारा किये गये विनियोजन के सम्बन्ध में स्पष्ट करना है कि उत्तराखण्ड राज्य सहकारी बैंक लि० द्वारा बैंक स्तर से शेयर मार्केट में किसी भी प्रकार का विनियोजन नही किया गया है। शेयर मार्केट में बैंक स्तर से धनराशि विनियोजित नही की जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों के अनुसार ही बैंक का नॉन एस.एल.आर. विनियोजन किया जाता है। जिसके अन्तर्गत Higher rated commercial papers (CPs) Debentures and bonds में विनियोजन किया जाता है। उक्त के अन्तर्गत बैंक द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप मानक पूर्ण कर विनियोजन करते हुए AA+ Rated Trust Capital Services के बॉन्ड में 21.00 करोड़ का विनियोजन किया गया। जिस पर बैंक को 9.01 प्रतिशत ब्याज प्राप्त हुआ। परिपक्वता तिथि, दिनांक 26.03.2021 को इस विनियोजन की सम्पूर्ण धनराशि ब्याज सहित बैंक को प्राप्त हो चुकी है।

इसी मद में दिनांक 06.02.2019 को AA+ Rated, Reliance Capital ltd में बैंक ने 8.25 प्रतिशत की दर से 14.89 करोड़ का विनियोजन किया गया। जिसका भुगतान अभी बैंक को प्राप्त होना है। बैंक के साथ-साथ इस मद में अन्य बैंक / वित्तीय संस्थाओं द्वारा भी जैसे (LIC, EPFO, AXIS bank, deutsche bank, Yes Bank आदि) विनियोजन किया गया है। वर्तमान में सेबी (Sebi) द्वारा Reliance Capital ltd के भुगतानों पर रोक लगायी गयी है। जिसके सम्बन्ध में एन.सी.एल.टी. में भुगतान हेतु कार्यवाही गतिमान है। बैंक द्वारा पूर्व कथनानुसार रिजर्व बैंक के दिये गये मानकों के अन्तर्गत बैंक प्रबन्धन द्वारा उक्त विनियोजन किया किया गया है तथा बैंक के उक्त विनियोजन से  धनसिंह रावत  कोई सम्बन्ध नही है।

प्रदेश के किसानों, नौजवानों और महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सहकारिता विभाग उत्तराखण्ड द्वारा सहकारी बैंकों के माध्यम से अपनी विशेष ऋण योजना ( दीन दयाल कृषि व कृषितोत्तर ऋण योजना के द्वारा शून्य ब्याज दर पर ऋण देकर रोजगार व आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। इस प्रकार राज्य के सहकारी बैंक प्रदेश एवं विकास में अग्रिणी भूमिका निभा रहा है।
दान सिंह रावत ने कहा जब से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार व सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत जी के नेतृत्व में बैंक हर वर्ष नए आयाम छु रहा है उन्होंने कहा बैंक ने इस वर्ष 50 करोड रुपए का लाभ अर्जित किया उन्होंने कहा इनकी सरकारों में बैंक सिर्फ इनके खाने कमाने के अड्डे थे औऱ हमारी सरकार में बैंक प्रदेश के अंतिम व्यक्ति को लाभ दे रहे है।

दान सिंह रावत

अध्यक्ष उत्तराखण्ड राज्य सहकारी बैंक लिo उपाध्यक्ष

 

 
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श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री गणेश गोदियाल जी द्वारा आहूत की गई प्रेस वार्ता में उठाए गई बातें पूरी तरीके से निराधार सत्य से परे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 4 महीने के बाद भी हार की बौखलाहट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं ।

श्री गोदियाल जी के साथ कांग्रेस के बड़े नेता गण चुनावी हार की बौखलाहट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
पूरी प्रमाणिकता के साथ यह बात सिद्ध हो रही है कि बिनसर मंदिर में बिना टेंडर प्रक्रिया के कराए गए कार्य श्री बद्रीनाथ एवं केदारनाथ मंदिर अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन है। मंदिर अधिनियम के तहत मंदिर समिति को श्री बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ के 45 मंदिरों की पूजा व्यवस्था व प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया है। इससे बाहर जाकर के गणेश गोदियाल जी  के कार्यकाल में बिनसर मंदिर जीर्णोद्धार पोखरी शिवालय व प्रतापनगर का सड़क निर्माण पूरी तरीके से मंदिर अधिनियम का उल्लंघन है। जिस व्यक्ति के पक्ष में इतने मुखर होकर के  गोदियाल जी आज बचाव की मुद्रा में थे उस व्यक्ति को नियमों के विरुद्ध जाकर मात्र 2 वर्ष में अधिशासी अभियंता बना दिया गया।
श्री गोदियाल जी के द्वारा यह कहना हास्यास्पद है कि मेरी जांच के लिए  विभागीय मंत्री को शिकायत ना कर डॉक्टर धन सिंह रावत को शिकायत की गई है। कैबिनेट मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत जी सरकार की ओर से चमोली जिले के प्रभारी मंत्री हैं और श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्यालय चमोली स्थित जोशीमठ और बदरीनाथ धाम में है इसी कारण मेरे द्वारा शिकायती पत्र आग्रह के साथ प्रभारी मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत जी को दिया गया। बड़ा सवाल यह है आखिर जांच से इतना क्यों घबराए हैं मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल जी। गोदियाल जी ने कहा कि मैंने मंदिर समिति से मानदेय नहीं लिया लेकिन गोदियाल जी यह बात भूल गए कि वह इस दौरान संसदीय सचिव और माननीय विधायक के पद पर थे एक व्यक्ति 2 पदों का लाभ कैसे ले सकता है। वह इस विषय से ध्यान भटका कर के स्वास्थ्य और सहकारिता के विषयों में उलझा के रखने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि गणेश गोदियाल जी के द्वारा बनाए गए अपने क्षेत्र महाविद्यालय में गांव वालों की दान दी गई भूमि पर ग्रामीणों को नौकरी पर ना रखकर अपने रिश्तेदारों और चहेतो को रखा गया है ।
आखिर सिर्फ जांच के नाम से ही क्यों घबरा रहे हैं गणेश गोदियाल अभी तक तो जांच शुरु भी नहीं हुई है जांच होने के बाद सच सबको पता लग जाएगा  और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा

 

आशुतोष डिमरी

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