उत्तर प्रदेश

जालिमो! कुछ तो शर्म करो श्मशान में भी कमीशन खा गए। पहले दामाद को खो दिया अब धेवते को और दामाद केभाई को। उस घर में कोई कमाने वाला नहीं रहा।

 

 

 

गाजियाबाद। श्मशान हादसे में बेटी का चिराग बुझ गया और उनके घर में कोई कमाने वाला नहीं रहा तो एक वृद्घ पिता का दिल रो रहा था। वृद्घ रामदास की आंखों में आंसू थे और वह बार-बार सिस्टम और अधिकारियों को कोश रहे थे। धेवता रोबिन और दामाद के छोटे भाई प्रमोद के शव केपास दहाड़ मार-मार कर वह बोल रहे थे।

जालिमो! कुछ तो शर्म करो श्मशान में भी कमीशन खा गए। पहले दामाद को खो दिया अब धेवते को और दामाद केभाई को। उस घर में कोई कमाने वाला नहीं रहा।
रविवार को वेदा गांव निवासी रामदास के धेवते रोबिन और उनके दामाद चुन्नू के छोटे भाई प्रमोद की श्मशान हादसे में मौत हो गई। सोमवार को दोनों शवों केपास रामदास दहाड़ रहे थे। उनकी आंखों में बेटी केपरिवार में चूल्हा न चलने का दुख था। वह अधिकारियों से बार-बार एक ही बात बोल रहे थे जालिमो कुछ तो शर्म कर लेते। कम से कम श्मशान घाट में हुए निर्माण कार्यों में तो कमीशन मत खाते। जिन लोगों ने कमीशन खाया है और उन दोषियों के कारण इतनी जानें चली गई हैं। कई घरों के चिराग बुझ गए तो कई घरों में कमाने वाला ही नहीं बचा। भागवान तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा। लोग श्मशान में निर्माण कराने केलिए दान पुण्य करते हैं, चंदा देते हैं। यह तो सरकारी पैसे को ही डकार गए। यह बोलते हुए कुछ ही देर में रामदास गुस्से में आ गए और उन्होंने अधिकारियों केसामने खुद को पीटना शुरू कर दिया। कहा कि हमें मार दो, हमें अभी गोली मारो, आप लोगों को तभी शांति मिलेगी। हम यहां से बिना न्याय के नहीं जाएंगे।
बोले-ठेकेदार और दोषियों को फांसी दो
रामदास बोल रहे थे कि श्मशान में कमीशन खाने वाले लोगों को फांसी की सजा होनी चाहिए। क्योंकि उन्होंने एक नहीं 24 लोगों की हत्या की है और कितने लोगों को दिव्यांग बना दिया है। वह सबसे बड़े हत्यारे हैं। अगर वह कमीशन नहीं खाते तो इतनी परिवार बर्बाद नहीं होते। उन्होंने कहा कि आरोपियों के परिवार भी ऐसे ही बर्बाद होने चाहिए, जिससे उन्हें इस दर्द का अहसास हो सके।
28 दिसंबर को लगी थी नौकरी, दो जनवरी को खत्म हो गई जिंदगी
रामदास रोते बिलखते हुए बोल रहे थे कि सात फरवरी को 2019 को दामाद चुन्नू की मौत हो गई थी। धेवता रोबिन उस समय बीटेक की पढ़ाई कर रहा था। एक उम्मीद जगी थी कि उसकी पढ़ाई जल्दी पूरी हो जाएगी। नौकरी लगने के बाद घर का खर्च चलना शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि 28 दिसंबर 2020 को उसकी एक कंपनी में नौकरी लग गई। परिवार के लोग काफी खुश थे कि खर्चा चलना शुरू हो जाएगा, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। उसकी सैलरी आने से पहले ही वह खत्म हो गया। उसकेचाचा प्रमोद भी मदद करते थे। वह भी इस हादसे में खत्म हो गए।
रोबिन प्रमोद में से एक तो बच जाता
रामदास ने कहा कि भगवान इतना बुरा क्यों किया कम से कम रोबिन या प्रमोद में से किसी एक को तो बचा देता। जो घर की जिम्मेदारी उठा लेता। इस परिवार में कोई भी कमाने वाला नहीं रहा है। कम से कम एक व्यक्ति छोड़ना चाहिए था। अब घर की महिलाएं और छोटे बच्चे किसकेपास रोटी मांगने जाएंगे। प्रमोद के बच्चे काफी छोटे हैं, उनकी पढ़ाई कैसे होगी। परिवार में कोई आदमी ही नहीं बचा है।
एक साल में खत्म हो परिवार केपुरुष
प्रमोद और रोबिन एक ही घर में रहते थे। रामदास ने बताया कि एक साल पहले रोबिन केपिता की मौत हो गई। चार महीने पहले दादा की मौत हो गई थी। अब रोबिन और प्रमोद भी चल बसे। उनके परिवार में अब कोई पुरुष नहीं बचा है। उन्होंने बताया कि प्रमोद का सात साल का बेटा है।

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