*इसे किसान की जिद, जोश, जज्बा कहें या जुनून. *जाड़ों में उगाई जाने वाली ब्रोकली को उगा रहा है 37°c गर्मी में, डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
*फरवरी माह में किया पौधरोपण अप्रैल में हो चुकी है तैयार। ₹100 से ₹125 प्रति किलो बिक रही है ब्रोकली*
——————————————
पर्वतीय क्षेत्रों में लगाई जाए तो किसानों को होगा चौगुना लाभ। बाजार में साल भर रहती है इसकी मांग*
———————————————
यहां बात हो रही है ब्रोकली और उस प्रयोगधर्मी किसान की जो लंबे समय से अपने अनेकों नवाचारी प्रयोगों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका हल्द्वानी विकासखंड के गौलापार निवासी किसान नरेंद्र सिंह मेहरा की। इस बार उन्होंने अपने प्रयोग को ग्रीष्मकाल में ब्रोकली की संरक्षित एवं खुली खेती के रूप में किया। आमतौर पर ब्रोकली गोभी वंश की एक सब्जी है जिसका रंग हरा होता है। यह गोभी से अधिक पोष्टिक एवं खनिज तत्वों से भरपूर होती है। मैदानी क्षेत्रों मैं इसे केवल शीतकाल में ही उगाया जा सकता है जबकि ठंडे पर्वतीय इलाकों में इसे ग्रीष्म काल में भी उत्पादित किया जा सकता है। शीतकाल की अपेक्षा गर्मियों में इसके मूल्य अधिक मिलते हैं। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए किसान नरेंद्र सिंह मेहरा ने इसे ग्रीष्म काल में उत्पादित करने का एक प्रयोग का प्रयास किया। प्रयोग पूर्ण रुप से जैविक पद्धति आधारित था। उन्होंने फरवरी माह में पॉलीहाउस और खुले खेत में इसके पौधों का रोपण किया। शुरुआती दौर में बहुत संतोषजनक परिणाम दिखाई देने लगे किंतु ज्यों ज्यों गर्मी का प्रकोप बढ़ता गया खुले खेत वाली ब्रोकली पर गर्मी का प्रभाव पड़ा और खुले खेत में वह सफल नहीं हो पाए। जबकि आज 37° – 38° सेंटीग्रेड के तापमान पर पॉलीहाउस में ब्रोकली की खेती लहलहा रही है।
——————————————— *जैविक पद्धति से की जा रही है तैयार*
किसान मेहरा ने बताया कि इस ब्रोकली को वह पूर्व की भांति जैविक पद्धति से तैयार कर रहे हैं, इसमें वर्मीकंपोस्ट, वेस्ट डीकंपोजर, गोमूत्र, नीम अर्क के साथ ही जीवामृत एवं वृक्षआयुर्वेद आधारित कुणपजल का प्रयोग कर रहे हैं, मृदा उपचार के लिए ट्राइकोडरमा, सुडोमोनास का तथा कीट नियंत्रण के लिए व्यूबेवेरिया वेसियाना का इस्तेमाल किया गया। पॉलीहाउस संरक्षित खेती का एक सशक्त प्रबंधन है। यदि तकनीक और मेहनत के सामंजस्य से पॉलीहाउस का सदुपयोग किया जाए तो यह बेमौसमी सब्जियां उत्पादन कर आय वृद्धि का एक मजबूत साधन बन सकता है। उन्होंने आगे कहा कि यदि पर्वतीय क्षेत्र के किसान फरवरी माह में ब्रोकली की खेती करें तो ग्रीष्म काल में बाजार में अच्छा मूल्य मिलने से उनकी आय में वृद्धि होगी।
———————————————
अपने इस सफल प्रयोग से उत्साहित किसान नरेंद्र सिंह मेहरा ने विकास भवन भीमताल में मुख्य कृषि अधिकारी, डॉ वीके यादव, मुख्य उद्यान अधिकारी, आरके सिंह प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र ज्योलीकोट डॉ पीसी तिवारी की उपस्थिति में जिले के मुख्य विकास अधिकारी संदीप तिवारी को ब्रोकली भेंट करते हुए कहा कि यदि हल्द्वानी जैसे गर्म इलाके में 37° – 38° के तापक्रम में ब्रोकली पैदा की जा सकती है तो अगले वर्ष से यह इसी समय पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों द्वारा कराई जाए तो निश्चित रूप से एक बहुत बड़ा सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल श्री संदीप तिवारी जी को ब्रोकली भेंट करते हुए किसान नरेंद्र एवं अन्य।