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नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करा रहे एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत,,परिजनों ने युवक की मौत पर उठाए सवाल।

देहरादून के नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करा रहे एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। युवक को पांच महीने पहले केंद्र में भर्ती कराया गया था। बताया जा रहा है कि रविवार को उसकी अचानक तबीयत खराब हुई थी।

परिजनों ने युवक की मौत पर सवाल उठाए हैं।

इंस्पेक्टर नेहरू कॉलोनी सतबीर बिष्ट ने बताया कि युवक की पहचान इशांत शर्मा पुत्र अखिल मोहन निवासी गुजराड़ा के रूप में हुई है। इशांत को पांच माह पहले उसके परिजनों ने दूरदर्शन केंद्र के सामने स्थित लाइफ केयर नाम के नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। रविवार दोपहर सूचना मिली थी कि नशा मुक्ति केंद्र में उसकी मौत हो गई है।

इस पर पुलिस वहां पहुंची तो देखा कि युवक को हरिद्वार रोड स्थित एक निजी अस्पताल भेजा जा चुका था। अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि युवक को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया है। सूचना मिलने के बाद युवक के परिजन भी वहां पहुंच गए थे। पुलिस केंद्र में भर्ती अन्य युवकों से भी पूछताछ कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। युवक के परिजनों ने मामले में कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, देर रात तक उनकी ओर से कोई तहरीर नहीं आई थी।

पहले भी सवालों में रहे हैं दून के नशा मुक्ति केंद्र देहरादून में नशा मुक्ति केंद्रों की व्यवस्था पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। बीते तीन माह पहले क्लेमेंटटाउन थाना क्षेत्र के एक नशा मुक्ति कैंद्र से 17 युवक भाग गए थे। उन्होंने अपने परिजनों को बताया था कि केंद्र में उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता था। वहां पर डॉक्टरी सुविधा नहीं थी। उल्टे केंद्र के कर्मचारी उनके साथ मारपीट करते थे। इसके कुछ दिन बाद ही एक नशा मुक्ति केंद्र से कुछ युवतियां भी भाग गई थीं। इनमें से एक युवती ने संचालक पर दुष्कर्म, मारपीट करने और केंद्र में जबरन नशा कराने का आरोप लगाया था। केंद्र की वार्डन व संचालिका पर भी मारपीट का आरोप लगा था। इस मामले में पुलिस ने दोनों संचालकों को गिरफ्तार किया था।

अधिकतर में नहीं है कोई इलाज की सुविधा
पिछले दिनों समाज कल्याण विभाग व अन्य अधिकारियों ने प्रेमनगर और इसके आसपास के नशा मुक्ति केंद्रों में जांच की थी। इस दौरान पता चला कि ज्यादातर में ट्रेंड स्टाफ भी नहीं था। वहां पर इंजेक्शन भी आठवीं पास लड़की लगाती थी। न वहां पर कोई डॉक्टर आता था और न ही अन्य प्रकार की कोई सुविधा थी। इस मामले में सभी नशा मुक्ति केंद्रों को नोटिस भेजा गया था। जिलाधिकारी ने भी एक नशा मुक्ति केंद्र के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। विभागों को तो यहां तक नहीं पता कि इन नशा मुक्ति केंद्रों की जिम्मेदारी किस विभाग के पास है। यह केवल सोसाइटी बनाकर संचालित किए जाते हैं।

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