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देहरादून आयुध निर्माणी ने तैयार किए स्वदेशी उपकरण, अब संस्थान से बनी दूरबीन भी ले सकेंगे आम लोग

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आयुध निर्माणी में बनी दूरबीन आम आदमी के हाथ में भी दिखेगी
देहरादून। यदि सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में आयुध निर्माणी में बनी दूरबीन आम आदमी के हाथ में भी दिखेगी। जी हां यह जानकारी आयुध निर्माणी के महाप्रबंधक पी के दिक्षित ने मंगलवार को पत्रकारों को दी। निर्माणी में इसका परीक्षण करने के बाद इसका उत्पान शुरू कर दिया गया है। यह यहां आने वाले ट्रैकरों के साथ ही पक्षी प्रेमियो, जंगलों में जानवरों को देखने जाने लोगों के लिए मददगार साबित होगी। उन्होंने बताया कि आत्म निर्भर भारत की कड़ी में आयुध निर्माणी ने कई उत्पादों का उत्पादन शुरू किया है।   इसी के तहत मंगलवार को डे लाईट टेलीस्कोप फार एसाल्ट राईफल का लोकार्पण आई जी गढ़वाल अभिनव कुमार ने किया।
श्री दिक्षित ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के तहत कई ऐसे उपयोगी उपकरण आयुध निर्माणी तैयार करने जा रही है जो कि सेना विदेशो से काफी महंगे खरीद रही है।
उन्होंने बताया कि यहां पहली बार ऐसी दूरबीन तैयार की गई है, जिसे आम नागरिकों को बेचा जाएगा।  श्री दिक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि इस दूरबीन की कीमत बीस से पच्चीस लाख के बीच रखी गयी है। उन्होंने बताया कि यह दूरबीन पहले सेना के लिए ही बनाई जाती थी लेकिन आत्म निर्भर भारत के तहत इसका उत्पादन अब आम आदमी के लिए किया जाने लगा है।

श्री दिक्षित ने बताया कि इसके साथ ही यहां टी-90 टैंक में उपयोग की जाने वाली जो दूरबीन यंत्र को सेना के लिए 40 लाख रुपये में खरीदनी पड़ रही थी वह महज तीन लाख रुपये में बनकर तैयार हो गई है जिसकी आपूर्ति  सेना को  शुरू कर दी गयी है। यह डिवाइस पूरी तरह भारतीय उपकरणों से तैयार की गई है। इसका वजन 4.6 किलोग्राम है। जिसमें कई लैंस लगे हैं। जिन्हें टी-90 टैंक से निशाना साधते वक्त उपयोग किया जाता है। टैंक के लिए अभी तक इस डिवाइस को विदेश से मंगाया जा रहा था। अब विदेश के बजाए ओएफडी इसकी सेना को सप्लाई करेगी। इसके अलावा यहां जूम टेलिस्कॉप जो कि 7.62 एमएम गन गन के साथ उपयोग में लायी जाती है इसका भी उत्पादन यहां किया जाने लगा है। पहले इसे वेल्जियम या यूएस से मंगवाते थे यह ढाई लाख रुपये की आती थी। इसे यहां सवा लाख रुपये में तैयार किया गया है।  इसके साथ ही निर्माणी में दूरबीन मोबाइल कैमरा रिकार्डर डिवाईस को भी सेना की जरूरतों को देखते हुए तैयार किया गया है। इसमें खास बात यह है कि इससे दूरबीन को मोबाइल से जोड़कर दूरबीन के जरिए दूर की गतविधि को वीडियों कॉल के जरिए कहीं भी बैठे व्यक्ति को लाइव दिखाया जा सकता है। आने वाले दिनों में सेना के लिए यह बहुत उपयोगी साबित होगी। इसके जरिए बार्डर पार की गतिविधियां दिल्ली में बैठे सेना के अधिकारी आराम से देख सकते हैं। इस डिवाइस की कीमत भी महज दो हजार रुपये है। पहले इस तरह की डिवाइस सेना को विदेशों मिलती थी और वो भी दस गुना कीमत पर। अब यह आत्मनिर्भर भारत की एक बड़ी कड़ी साबित होगी। इसके अलावा एक अहम उपकरण है पैसिव नाइट विजन दूरबीन । यह हेलमेट में फिट कर प्रयोग की जाने वाली डिवाइस है। इससे रात के घुप्प अंधेरे में दूर तक आसानी से दुश्मन की गतविधियों पर नजर रखी जा सकती है। इसे आयुध निर्माणी देहरादून ने तैयार किया है। यह 2.90 लाख रुपये में सैन्य बलों को दिया जा रहा है। जबकि अभी तक सेना विदेशों से यह डिवाईस तीन से साढ़े तीन लाख रूपये में खरीद रही है।  इस समय निर्माणी के पास 1500 डिवाईस का आर्डर है। इस मौके पर अपर महाप्रबंधक कैलाश प्रसाद, अपर महाप्रबंधक एससी झा, अपर महाप्रबंधक आरसी शर्मा, संयुक्त महाप्रबंधक वीएस चैधरी, संयुक्त महाप्रबंधक शर्मिष्ठा कौल, कार्य प्रबधंक सौरभ भास्कर, वीरेन्द्र यादव, रितेश शर्मा, राहुल कन्नौजिया आदि शामिल रहे।

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