स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री व भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, समाज सुधारक और
भारत के प्रथम कानून मंत्री थे, जिन्हें संविधान निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारतीय संविधान
तथा राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर 9 भाषाएं जानते थे उन्होनें 21
साल तक सभी धर्मों की पढ़ाई भी की थी। इनके पास कुल 32 डिग्री थी। वो विदेश जाकर अर्थशास्त्र में
PHD करने वाले पहले भारतीय भी बने।भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मऊ, मध्य
प्रदेश में हुआ था. आम्बेडकर के दादा का नाम मालोजी सकपाल था, तथा पिता का नाम रामजी
सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। वे अपने माता-पिता के 14वीं औरअंतिम संतान थे.1896 में
आम्बेडकर जब पाँच वर्ष के थे तब उनकी माँ की मृत्यू हुई थी। इसलिए उन्हें बुआ मीराबाई संभाला था, जो
उनके पिता की बडी बहन थी। मीराबाई के कहने पर रामजी ने जीजाबाई से पुनर्विवाह किया, ताकि बालक
भीमराव को माँ का प्यार मिल सके। वे एक मराठी परिवार से थे तथा उनका पूरा नाम बाबा साहेब डॉक्टर
भीमराव अंबेडकर था। भीमराव का जन्म निम्न वर्ण की महार जाति में हुआ था । उस समय अंग्रेज निम्न वर्ण
की जातियों से नौजवानों को फौज में भर्ती कर रहे थे अंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया
कंपनी के सेना में कार्य करते रहे और भीमराव के पिता रामजी अंबेडकर सूबेदार थे और कुछ समय तक एक
फौजी स्कूल में अध्यापक के रूप में भी कार्य किया उनके पिता ने मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा
की डिग्री प्राप्त की शिक्षा का महत्व समझते थे और भीमराव के पढ़ाई-लिखाई पर उन्होंने काफी ध्यान दिया.
अप्रैल 1906 में, जब भीमराव लगभग 15 वर्ष आयु के थे, तो नौ साल की लड़की रमाबाई से उनका विवाह
कर दिया गया । तब वे पांचवी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे। उन दिनों भारत में बाल-विवाह का काफी प्रचलन
था। रमाबाई और भीमराव को पाँच बच्चे भी हुए – जिनमें चार पुत्र – यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न और
एक पुत्री- इन्दु थी। किंतु ‘यशवंत’ को छोड़कर सभी संतानों की बचपन में ही मृत्यु हो गई थीं।अपनी पहली
पत्नी रमाबाई की लंबी बीमारी के बाद 1935 में निधन हो गया। 1940 के दशक के अंत में भारतीय
संविधान के मसौदे को पूरा करने के बाद, वह नींद की कमी से पीड़ित थे, उनके पैरों में न्यूरोपैथिक दर्द था,
और इंसुलिन और होम्योपैथिक दवाएं ले रहे थे। वह इलाज के लिए मुम्बई गए, और वहां डॉक्टर शारदा
कबीर से मिले, जिनके साथ उन्होंने 15 अप्रैल 1948 को नई दिल्ली में अपने घर पर विवाह किया था।
डॉक्टरों ने एक ऐसे जीवन साथी की सिफारिश की जो एक अच्छा खाना पकाने वाली हो और उनकी
देखभाल करने के लिए चिकित्सा ज्ञान हो। डॉ॰ शारदा कबीर ने शादी के बाद सविता आम्बेडकर नाम
अपनाया और उनके बाकी जीवन में उनकी देखभाल की। सविता आम्बेडकर,
जिन्हें ‘माई’ या ‘माइसाहेब’ कहा जाता था, का 29 मई 2003 को नई दिल्ली के मेहरौली में 93 वर्ष की
आयु में निधन हो गया।भीमाराव आंबेडकर ने सातारा शहर में राजवाड़ा चौक पर स्थित गवर्न्मेण्ट
हाईस्कूल (अब प्रतापसिंह हाईस्कूल) में 7 नवंबर 1900 को अंग्रेजी की पहली कक्षा में प्रवेश लिया। उस
समय उन्हें ‘भिवा’ कहकर बुलाया जाता था। स्कूल में उस समय ‘भिवा रामजी आंबेडकर’ यह उनका नाम
उपस्थिति पंजिका में क्रमांक – 1914 पर अंकित था। जब वे अंग्रेजी चौथी कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण हुए, तब
क्योंकि यह अछूतों में असामान्य बात थी, इसलिए भीमराव की इस सफलता को अछूतों के बीच और
सार्वजनिक समारोह में मनाया गया, और उनके परिवार के मित्र एवं लेखक दादा केलुस्कर द्वारा खुद की
लिखी ‘बुद्ध की जीवनी’ उन्हें भेंट दी गयी। इसे पढकर उन्होंने पहली बार गौतम बुद्ध व बौद्ध धर्म को जाना
एवं उनकी शिक्षा से प्रभावित हुए। इसके बाद में उन्होने अपनी माध्यमिक शिक्षा मुंबई के एल्फिंस्टोन रोड
पर स्थित गवर्न्मेंट हाईस्कूल में आगे कि शिक्षा प्राप्त की।1907 में, उन्होंने अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की
और अगले वर्ष उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश किया, जो कि बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध था। इस स्तर
पर शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने समुदाय से वे पहले व्यक्ति थे।भीमराव आम्बेडकर प्रतिभाशाली और जुंझारू
लेखक थे। आम्बेडकर को पढने में काफी रूची थी तथा वे लेखन में भी रूची रखते थे। इसके चलते उन्होंने
मुंबई के अपने घर राजगृह में ही एक समृद्ध ग्रंथालय का निर्माण किया था, जिसमें उनकी 50 हजार से भी
अधिक किताबें थी। अपने लेखन द्वारा उन्होंने दलितों व देश की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उनके लिखे हुए
महत्वपूर्ण ग्रंथो में, अनहिलेशन ऑफ कास्ट, द बुद्ध अँड हिज धम्म, कास्ट इन इंडिया, हू वेअर द शूद्राज?,
रिडल्स इन हिंदुइझम आदि शामिल हैं। 32 किताबें और मोनोग्राफ 22 पुर्ण तथा 10 अधुरी किताबें है, 10
ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना और
भविष्यवाणियां इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं। उन्हें 11 भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें
मराठी (मातृभाषा), अंग्रेजी, हिन्दी, पालि, संस्कृत, गुजराती, जर्मन, फारसी, फ्रेंच, कन्नड और बंगाली ये
भाषाएँ शामील है। आम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लेखन किया
हैं। उन्होंने अधिकांश लेखन अंग्रेजी में किया हैं। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के साथ
ही, उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है। वे असामान्य प्रतिभा के
धनी थे। उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता
है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है। आम्बेडकर के ग्रंथ भारत
सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह उनका ग्रंथ ‘भारतीय बौद्धों का
धर्मग्रंथ’ है तथा बौद्ध देशों में महत्वपुर्ण है। उनके डि.एस.सी. प्रबंध द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन
ॲन्ड इट्स सोल्युशन से भारत के केन्द्रिय बैंक यानी भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई है।महाराष्ट्र
सरकार के शिक्षा विभाग ने बाबासाहेब आंबेडकर के सम्पूर्ण साहित्य को कई खण्डों में प्रकाशित करने की
योजना बनायी है और उसके लिए 15 मार्च 1976 को डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर मटेरियल पब्लिकेशन
कमिटी कि स्थापना की। इसके अन्तर्गत 2019 तक ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज’
नाम से 22 खण्ड अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं, और इनकी पृष्ठ संख्या 15 हजार से भी अधिक
हैं। इस योजना के पहले खण्ड का प्रकाशन आम्बेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल 1979 को हुआ। इन 22
वोल्युम्स में वोल्युम 14 दो भागों में, वोल्युम 17 तीन भागों में, वोल्युम 18 तीन भागों में व संदर्भ ग्रंथ 2 हैं,
यानी कुल 29 किताबे प्रकाशित हैं।1987 से उनका मराठी अनुवाद करने का काम ने सुरू किया गया है,
किंतु ये अभीतक पूरा नहीं हुआ। ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेस’ के खण्डों के महत्व
एवं लोकप्रियता को देखते हुए भारत सरकार के ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के डॉ॰
आम्बेडकर प्रतिष्ठान ने इस खण्डों के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने की योजना बनायी और इस योजना के
अन्तर्गत अभी तक “बाबा साहेब डा. अम्बेडकर: संपूर्ण वाङ्मय” नाम से 21 खण्ड हिन्दी भाषा में प्रकाशित
किये जा चुके हैं। यह 21 हिन्दी खंड महज 10 अंग्रेजी खंडो का अनुवाद हैं। इन हिन्दी खण्डों के कई संस्करण
प्रकाशित किये जा चुके हैं। आंबेडकर का संपूर्ण लेखन साहित्य महाराष्ट्र सरकार के पास हैं, जिसमें से उनका
आधे से अधिक साहित्य अप्रकाशित है। उनका पूरा साहित्य अभीतक प्रकाशित नहीं किया गया हैं, उनके
अप्रकाशित साहित्य से 45 से अधिक खंड बन सकते हैं।1990 में, आम्बेडकर को मरणोपरांत भारत के
सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इस पुरस्कार को सविता आम्बेडकर ने
भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा आम्बेडकर के 99 वें जन्मदिवस, 14 अप्रैल 1990 को स्वीकार किया था।
डॉक्टर ऑफ लॉज (एलएलडी), 1952: कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिकाडॉक्टर ऑफ लिटरेचर
(डी.लिट.), 1953: उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद. भारत 1920 के दशक में, लंदन में छात्र के रूप
में रहने वाले आम्बेडकर जिस मकान में रहे, वह तिन मंजिला घर महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक संग्रहालय में
परिवर्तित कर उसे “अंतर्राष्ट्रीय आम्बेडकर मेमोरियल” में बदल दिया गया है। इसका लोकार्पण भारत के
प्रधानमंत्री द्वारा 14 नवम्बर 2015 को हुआ था ।लखनऊ में आम्बेडकर उद्यान पार्क उनकी याद में समर्पित
है। चैत्य में उनकी जीवनी दिखाते हुए स्मारक हैंभारतीय डाक ने 1966, 1973, 1991, 2001 और 2013
में उनके जन्मदिन को समर्पित डाक टिकट जारी किए और 2009, 2015, 2016 और 2017 में उन्हें अन्य
टिकटों पर चित्रित किया।गुगल ने 14 अप्रैल 2015 को अपने होमपेज डुडल के माध्यम से आम्बेडकर के
124 वें जन्मदिन का जश्न मनाया था। यह डूडल भारत, अर्जेंटीना, चिली, आयरलैंड, पेरू, पोलैंड, स्वीडन
और यूनाइटेड किंगडम में दिखाया गया था।आंबेडकर की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में ₹10 और ₹125
के सिक्के 2015 में प्रचलन के लिए जारी किए गए थे।उनके जीवन पर आधारित कई टीवी धारावाहिक और
फिल्मे भी बन चुकी है।आम्बेडकर के स्मरण में विश्व भर में कई वास्तु स्मारक एवं संग्रहालय बनाये गये हैं।
कई स्मारक ऐतिहासिक रुप से उनके जुडे हैं तथा संग्रहालयों में उनकी विभिन्न चिजो का संग्रह हैं।वायसराय
की कौंसिल में श्रम मंत्री की हैसियत से श्रम कल्याण के लिए श्रमिकों की 12 घण्टे से घटाकर 8 घण्टे कार्य-
समय, समान कार्य समान वेतन, प्रसूति अवकाश, संवैतनिक अवकाश, कर्मचारी राज्य बीमा योजना,
स्वास्थ्य सुरक्षा, कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 बनाना, मजदूरों एवं कमजोर वर्ग के हितों के
लिए तथा सीधे सत्ता में भागीदारी के लिए स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन कर 1937 के मुम्बई प्रेसिडेंसी
चुनाव में 17 में से उन्होंने 15 सीटें जीतीं।कर्मचारी राज्य बीमा के तहत स्वास्थ्य, अवकाश, अपंग-
सहायता, कार्य करते समय आकस्मिक घटना से हुये नुकसान की भरपाई करने और अन्य अनेक सुरक्षात्मक
सुविधाओं को श्रम कल्याण में शामिल किया।कर्मचारियों को दैनिक भत्ता, अनियमित कर्मचारियों को
अवकाश की सुविधा, कर्मचारियों के वेतन श्रेणी की समीक्षा, भविष्य निधि, कोयला खदान तथा माईका
खनन में कार्यरत कर्मियों को सुरक्षा संशोधन विधेयक सन 1944 में पारित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई।सन 1946 में उन्होंने निवास, जल आपूर्ति, शिक्षा, मनोरंजन, सहकारी प्रबंधन आदि से श्रम
कल्याण नीति की नींव डाली तथा भारतीय श्रम सम्मेलन की शुरूआत की जो अभी निरंतर जारी है, जिसमें
प्रतिवर्ष मजदूरों के ज्वलंत मुद्दों पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति में चर्चा होती है और उसके निराकरण के
प्रयास किये जाते है।श्रम कल्याण निधि के क्रियान्वयन हेतु सलाहकार समिति बनाकर उसे जनवरी 1944 में
अंजाम दिया। भारतीय सांख्यिकी अधिनियम पारित कराया ताकि श्रम की दशा, दैनिक मजदूरी, आय के
अन्य स्रोत, मुद्रस्फीति, ऋण, आवास, रोजगार, जमापूंजी तथा अन्य निधि व श्रम विवाद से संबंधित नियम
सम्भव कर दिया।नवंबर 8, 1943 को उन्होंने 1926 से लंबित भारतीय श्रमिक अधिनियम को सक्रिय
बनाकर उसके तहत भारतीय श्रमिक संघ संशोधन विधेयक प्रस्तावित किया और श्रमिक संघ को सख्ती से
लागू कर दिया। स्वास्थ्य बीमा योजना, भविष्य निधि अधिनियम, कारखाना संशोधन अधिनियम, श्रमिक
विवाद अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम और विधिक हडताल के अधिनियमों को श्रमिकों के
कल्याणार्थ निर्माण कराया। वह विश्व स्तर के विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाजशास्त्री,
मानवविज्ञानी, संविधानविद, लेखक, दार्शनिक, इतिहासकार और आंदोलनकारी थे। अमेरिका में
कोलम्बिया विवि के 100 टाप विद्वानों में उनका नाम था।आज उन्हीं पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। लेखक दून
विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।