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यमकेश्वर के डांडामण्डल क्षेत्र में मरीजो के उपचार के लिये किसी मसीहा से कम नही डाॅ रेवत राम कुकरेती।

 

आजकल कोविड और बुखार या कहे वायरल से पूरा भारत देश प्रभावित हो रखा है, ऐसे में उत्तराखंड में बढते मामले अवश्य ही चिंताजनक है। पहाड़ी क्षेत्र में स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था के कारण वँहा और भी अधिक खतरा है, लेकिन सुखद पहलू यह है कि पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोग कोविड से प्रभावित अवश्य हो रहे है, लेकिन मैदानी क्षेत्र की अपेक्षा वह लगभग एक हप्ते से पहले स्वस्थ हो रहे है।

यमकेश्वर में आजकल हर जगह स्वास्थ्य विभाग की टीम जाॅच हेतु जा रही है, यह सुखद है, किंतु यमकेश्वर क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से सब जगह स्वास्थ्य विभाग की टीम समय पर सब जगह पहुॅच पाना संभव नहीं है। ऐसे में कई बीमार व्यक्तियों को जिस वक्त उपचार की जरूरत है, उस समय उन्हें उपचार नहीं मिल पा रहा है। अप्रैल माह के तीसरे सप्ताह से लेकर मई के दूसरे सप्ताह तक यमकेश्वर क्षेत्र में बुखार, खांसी जुकाम, आदि से सभी ग्रामीण ग्रस्त थे, कुछ अभी भी प्रभावित है। ऐसे में उनके लिए इलाज के लिए ऋषिकेश आना होता है, लेकिन लाॅकडाउन और आने जाने के लिए वाहन की समस्या होने के कारण सभी लोग परेशान रहे और अभी भी है। ऐसे में उनके उपचार के लिए डाॅ रेवत राम कुकरेती जी मसीहा बनकर आये ।

डाॅ रेवत राम कुकरेती मूल निवासी यमकेश्वर के कुडकिंदा के रहने वाले हैं, लेकिन हाल निवास उनका डांडामण्डल क्षेत्र के धारकोट में हैं। डाॅ कुकरेती पिछले लगभग बीस साल से धारकोट में रहकर अपनी सेवायें यहाॅ निरन्तर रूप में दे रहे हैं। डाॅ कुकरेती जी ने बताया कि वह जब क्षेत्र में कहीं भी कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो वह फोन पर जानकारी मिलते ही स्वयं अपने वाहन से उस व्यक्ति के उपचार हेतु जाते हैं।

वर्तमान में पूरे पहाड़ी क्षेत्रों में बुखार, जुखाम, खांसी, शरीर में दर्द जैसी आम समस्या हो रही है। गाॅव में परिवार के सभी सदस्य इससे ग्रसित हैं, ऐसे में डाॅ कुकरेती जी लोगों का उपचार कर रहें हैं। बहुत से लोग उनके घर पर आकर दवाई आदि ले जाते हैं, और जो व्यक्ति गंभीर बीमार हैं, उनके घर पर वह सुबह शाम जाकर उसका उपचार कर रहे हैं।
बकौल डाॅ कुकरेती जी का कहना है पहाडी क्षेत्रों में चार से पाॅच दिन तक बुखार की शिकायत है, और शरीर का तापमान 101 डिग्री सेल्सियस तक पहुॅच रहा है। गाॅव में लोग शारीरिक मेहनत ज्यादा करते हैं, इसलिए उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक मजबूत है जिससे वह जल्दी ही तीन से पाॅच दिन में दवाई एवं समुचित उपचार लेने के बाद स्वस्थ हो गये हैं।

डाॅ कुुकरेती जी ने बताया कि वह तल्ला बनास, कसाण, भुमिसाकिसार, मल्ला बनास, किमसार, रामजीवाला, धारकोट, अमोला, दिवोगी, मरोड़ा, देवराणा, कचुंण्डा, कांडे, तिमल्याणी, आवई, माला, गुण्डी, ठुण्डा आदि गाॅव में जाकर वहाॅ के निवासियों को दवाईयां उपलब्ध करा रहे हैं। इस दौरान वह देर रात 10 बजे तक उपचार करने के बाद घर लौटते हैं।
वहीं स्थानीय निवासियों का कहना है कि डाॅ कुकरेती इस क्षेत्र के लिए सिर्फ डाॅक्टर नहीं बल्कि उनके लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं, क्योंकि पहाडी क्षेत्रों मे ंजिस तरह स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल है, ऐसे में जान जब खतरे में हो, और आदमी चलने फिरने में असहाय महसूस कर रहा हो तब उनके घर पर आकर स्वंय कुकरेती जी उनका उपचार कर रहे हों तो वह किसी मसीहा से कम नहीं है।

डाॅ कुकरेती जी का कहना है कि गाॅव में लोगों की शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता अधिक हैं, क्योकि वह शारीरिक कार्य अधिक करते हैं, साथ ही यहाॅ शु़़द्ध हवा पानी होने के कारण लोग जल्दी स्वस्थ भी हो रहे हैं, उन्होने कहा कि बुखार या जुखाम होने में घबराने की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं है, लेकिन यदि बुखार और जुखाम या खाॅसी बदन दर्द आदि हो तो वह समय पर अपना उपचार एवं दवाईयों का सेवन और भाप अवश्य लेते रहें। इसी के साथ उन्होने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में कुछ लोग लापरवाही बरत रहे हैं, प्राय देखने में आ रहा है कि लोग जब एक दूसरे से मिल रहे हैं तो मुॅह पर मास्क नहीं लगा हुआ हैं, या ईधर उधर जा रहे हैं तो मास्क नहीं लगा रहे हैं, जिस कारण समस्या हो रही है। यदि ग्रामीण लोग लापरवाही ना करें और बीमार होने के बाद भोजन तरल पदार्थ के रूप में लेते रहें तो उनके जल्दी स्वस्थ होने की संभावना अधिक है, जो लोग भोजन और पानी नहीं ले रहे हैं, उनका स्वास्थ्य ज्यादा प्रभावित हो रहा है।
उन्होने अपील की है कि लोग स्वास्थ्य पर ध्यान दे एवं सरकार और स्वास्थ्य विभाग की गाईड लाईन का पालन अवश्य करें, साथ ही सार्वजनिक एवं दो व्यक्तियों के बीच उचित दूरी के साथ मास्क का प्रयोग अवश्य करें ताकि खुद भी सुरक्षित रह सकें औरों को भी सुरक्षित रख सकें।

हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।

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