दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है। इसी को ध्यान में रखकर परिवहन बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया जा रहा है। अब दिल्ली से बाकी राज्यों को सीधे जोड़ने के लिए 75 बसों को संचालित किया जाएगा। ध्यान रहे कि राजधानी के सार्वजनिक परिवहन बेड़े में 1500 इलेक्ट्रिक बसों को भी शामिल किया जाना है।
बोर्ड बैठक में अंतर्राज्यीय बस संचालन के लिए 75 (38 गैर-एसी और 37 एसी) सीएनजी सामान्य फ्लोर बसों की खरीद को भी मंजूरी प्रदान की। यह बसें 5 राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब) और केंद्र शासित प्रदेश (चंडीगढ़) के लिए संचालित की जाएगी। इससे पांच राज्यों के लिए सीधे बसें मिल सकेंगे। इन बसों का संचालन आनंद विहार और कश्मीरी गेट बस डिपो से किया जाएगा। जबकि जयपुर जाने वाली बसों का संचालन धौला कुआं व सराय काले खां से किए जाने की संभावना है।
इन रूटों पर होगा बसों का संचालन
उत्तराखंड के लिए दिल्ली-ऋषिकेश, दिल्ली-हरिद्वार, दिल्ली-देहरादून, दिल्ली-हल्द्वानी रूट पर डीटीसी की बसें चलेंगी। इसके साथ ही यूपी में दिल्ली-आगरा, दिल्ली-बरेली, दिल्ली-लखनऊ के लिए बसों को संचालन होगा। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-पानीपत और दिल्ली-पटियाला रूट पर भी बसों को संचालन किया जाएगा।
बोर्ड ने पहले ही एफएएमई-2 (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल) श्रेणी के तहत कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड की ग्रैंड चैलेंज स्कीम के तहत 921 बसों को खरीदने की मंजूरी दी थी। इसके साथ ही नॉन एफएएमई-2 श्रेणी के तहत 579 बसों खरीदी जानी है। इन बसों के लिए दिल्ली सरकार पर 262.04 करोड़ रुपए की सब्सिडी देगी। सीईएसएल द्वारा 20 जनवरी 2022 को प्रस्ताव जारी होने के बाद टाटा मोटर्स ने सबसे ज्यादा बोली लगाई है। परिवहन निगम जल्द कंपनी के साथ मास्टर कन्सेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करेगी। सरकार बसों के संचालन, रखरखाव और बुनियादी ढांचे के विकास पर लगभग 7145 करोड़ रुपए खर्च करेगी।