रुद्रप्रयाग

PMGSY की लापरवाही से विरोली – बुरुवा 3:5 किमी निर्माणाधीन मोटर मार्ग के पुस्तो के ढहने से ग्रामीणों की मकाने,गौशालाएं खतरे की जद में आ गयी

ऊखीमठ!( लक्ष्मण सिंह नेगी) पी एम जी एस वाई की लापरवाही से विरोली – बुरुवा 3: 5 किमी निर्माणाधीन मोटर मार्ग के पुस्तो के ढहने से कई ग्रामीणों की मकाने , गौशालाएं खतरे की जद में आ गयी है।

साथ ही मोटर मार्ग का मलवा खेतों में जाने से काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान हो चुका है! लम्बा समय व्यतीत होने के बाद भी निर्माणाधीन मोटर मार्ग का निर्माण कार्य अधर में लटकने से विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी है! ग्रामीणों द्वारा विभागीय अधिकारियों से बार – बार सुरक्षा दीवालों के निर्माण की मांग की जा रही है मगर विभागीय अधिकारी ग्रामीणों की मांगों को अनसुना करने से ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है, जो कि कभी भी सड़कों पर फूट सकता है! विदित हो कि विरोली – बुरुवा 3:5 किमी मोटर मार्ग का निर्माण कार्य पीएमजीएसवाई द्वारा विगत वर्ष सितम्बर माह में शुरू तो किया गया था मगर मोटर मार्ग पर बने सुरक्षा दीवालों के निर्माण कार्य में गुणवत्ता न होने से अधिकांश इलाकों में सुरक्षा दीवाले क्षतिग्रस्त हो चुकी है जिससे शेर सिंह, गजपाल सिंह, शिव भगत सिंह, सहित 15 मकानों को खतरा बना हुआ है! ग्रामीणों का कहना है कि विभाग द्वारा मोटर मार्ग के ऊपरी हिस्सों में सुरक्षा दीवालों का निर्माण तो किया गया मगर सुरक्षा दीवालों के निर्माण में गुणवत्ता न होने से सुरक्षा दीवाले क्षतिग्रस्त हो चुकी है!

ग्रामीणों का कहना है कि निर्माणाधीन मोटर मार्ग के अधिकांश हिस्सों में सुरक्षा दीवाले का निर्माण न होने से बीरेन्द्र सिंह धिरवाण, जीत पाल सिंह, रमेश लाल, प्रेम सिह, राय सिंह सहित 20 परिवारों के खेत – खलिहानों को खतरा बना हुआ है! बताया कि मोटर मार्ग के निचले हिस्से में सुरक्षा दीवालों के निर्माण के बजाय मोटर मार्ग के किनारो पत्थरों को बिछाने से मोटर मार्ग का मलवा ग्रामीणों के खेतों में गिरने से काश्तकारों की फसलों को नुकसान पहुंच चुका है! मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट्, प्रताप सिंह चौहान का कहना है कि यदि किसी भी ग्रामीण की मकान, गौशालाओं को खतरा पहुंचता है तो उसकी जिम्मेदारी विभाग की होगी साथ ही यदि मोटर मार्ग के निचले हिस्से में कार्ययोजना के तहत सुरक्षा दीवालों का निर्माण नहीं किया गया तो ग्रामीणों को पीएमजीएसवाई के खिलाफ उग्र आन्दोलन के लिए बाध्य होना पडे़गा! वही दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों से वार्ता करनी चाही मगर सम्पर्क नहीं हो पाया!

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