मजहबी बन्धन से बाहर निकले देश के प्रत्येक नागरिक, राष्ट्र नव निर्माण में जननायक नरेंद्र मोदी के सपनो को करे साकार, (इस्लामुद्दीन अंसारी)
देहरादून:- देश मे भाईचारे के सन्देश को मजबूती प्रदान करती ये लेख श्रीमान इस्लामुद्दीन अंसारी जी ने एक सभी समाज के लोगो की आंखे खोल देने वाली सच्ची घटना का जिक्र अपने शब्दों में वर्णित किया है।
मेरा तमाम भारतीयों से अनुरोध है कि मेरे इस लेख को अंतिम तक जरूर पढ़ें खास तौर से धार्मिक, मजहबी उन्माद में लिप्त व्यक्ति जो नरेंद्र मोदी का बिना सोचे समझे विरोध करते हैं।
अयोध्या में श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा समारोह की खुशियां प्रत्येक देश वासी मना रहा था और मनाना भी चाहिए था।जिसमे देश के करोड़ो मुस्लिमों ने खुशी का इजहार किया है, लेकिन इस खुशी में एक वाकया मन को दुःख पहुंचाने वाली हमारे साथ हुई है जिसका मुझे बेहद दुख है।
ख़ुशी का इजहार करने के लिए दिनांक 22-01-2024 को एक व्यक्ति जो कि मेरे घर के सामने होटल चलाता है उनके द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की खुशी मनाते हुए पटाखे छोड़े गए जिसमें एक राकेट मेरे आंगन के सामने छत पर गिरा उसकी तीव्रता को देख ऐसा लगा जो आप लोग भी सोचने को मजबूर हो जाओगे, वह रॉकेट पटाखा नही बल्कि कोई घातक विस्फोटक प्रतीत होता है। लेकिन जाँचने पर पता चला कि एक सामान्य रॉकेट ही था लेकिन उसकी तीव्रता से तो कुछ असमंजस सा लगा, वह रॉकेट प्लास्टिक हार्ड बोर्ड में इस तरह घुस गया कि देखकर रोंगटे खड़े हो गए अगर यह रॉकेट गलती से किसी इंसान जानवर या पक्षी को लग गया होता तो जान का नुकसान भी हो सकता था।
इस पर मेरा सरकार से मांग है कि पटाखे बनाने वाली फैक्ट्री पर शख्ती से अंकुश लगाए कि पटाखों में घातक रसायन और लोहे का इस्तेमाल न करें क्योंकि इससे जन हानी की संभावना बढ़ सकती है और पटाखे के माध्यम से खुशी मनाने वाले व्यक्ति समाज को भी सावधान रहने की आवश्यकता है पटाखों की तीव्रता को देख भाल कर स्तेमाल करें अगर पटाखों में लोहे की चीज लगी नजर आए तो फ़ौरन पुलिस को सूचना देकर प्रतिबन्ध करायें यह समाजिक व पुण्य का कार्य समझकर करें देखना मनको अति शान्ति के साथ आपको तमाम समाज की ओर से मोहब्बत भरा पैगाम मिलेगा अब हमें भारत में मोहब्बत के साथ आगे बढ़ना है, राममंदिर के पर्व को मोहब्बत के रूप में मनाएं मोदी जी ने जो मन्दिर का उद्घाटन किया है उस में किसी की ना हार है ना जीत है कांग्रेस सरकार के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, उसके बाद इन्दिरा गांधी, उस के बाद राजीव गांधी ने जो नफ़रत का जो बीज बोया था जो कि मात्र मुस्लिम समाज में भय व्याप्त करने के लिए था, वहीं आज़ मोदी जी ने भय की नफरत की व्यवस्था समाप्त करने का काम किया है।
कांग्रेस ने देश का बंटवारा कर जो नफ़रत हिन्दू मुस्लिम समाज के बीच पैदा कर लाखों हिन्दू मुस्लिम समाज को बेघर किया और मासूमों का कत्लेआम कराया उससे देश वाशी कांग्रेस के इस कृत्य को कभी माफ़ नहीं करेगा। कांग्रेस ने यह कत्लेआम का सिलसिला 1947 तक ही सीमित नहीं रखा उसने 1949 में बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाकर मूर्ति रखवाकर दंगा कराकर मुस्लिम समाज को संदेश दिया कि मुस्लिम समाज को अब भय मुक्त नहीं भय युक्त जीवन जीना होगा जिस का अन्त माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने 22 जनवरी 2024 को कर दिया है। मोदी जी को मुस्लिम समाज की ओर से में धन्यवाद करता हूं और जो मुस्लिम समाज मेरे इस कथन से सहमत नहीं हैं वह मुझसे खुला डिबेट्स में आ सकते हैं।
पहले उनको सोचना होगा कि देश के बटवारे से लेकर मस्जिद को कांग्रेस द्वारा तुड़वाने तक मुस्लिम समाज की कितनी जन हानी हुई है।
1947 को देश बटा हिंदू मुस्लिम दंगों में लाखों हिन्दू मुस्लिम मारे गए उस के बाद मुस्लिम समाज के खून के प्यासे कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री को शान्ति नहीं मिली क्योंकि पंडित जवाहरलाल नेहरू को डर था कि कहीं अगला प्रधानमंत्री सरदार पटेल को ना चुन लिया जाए तो 1949 में मस्जिद का ताला खुलवाकर मूर्ति रखवा दी गई तब दंगा हुआ नफ़रत फैला कर हिन्दू मुस्लिम के नाम पर वोट की राजनीति की उस के बाद फिर यही हुआ इन्दिरा गांधी के वक्त में उसके बाद राजीव गांधी ने ताला खुलवाकर राम लला को स्थापित कर चबूतरे की स्थापना कराई उस दंगे में देश में नफ़रत फैली लाखों मुस्लिम मारें गये तब कोई कांग्रेस का दलाल नहीं बोला उसके बाद 1992 -06 दिसम्बर को कांग्रेस सरकार ने मस्जिद का नामोनिशान मिटा दिया था जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए और मारें गये जिस का प्रणाम यह हुआ कि हिन्दू मुस्लिम के बीच नफ़रत का फासला इतना बढ़ा कि आज समाज में एक दूसरे के प्रति शंका है कि यह हिन्दू है यह मुस्लिम है पर इस शंका को समाप्त करने के लिए श्री नरेन्द्र मोदी जी ने राममंदिर निर्माण कार्य को पूरा कराकर उद्घाटन किया यह कार्य समाजिक व्यवस्था के लिए समाज में देश की एकता अखंडता के लिए नई उर्जा का संचार करने का प्रयास है जो देश के विकास के लिए आवश्यक है धार्मिक उन्माद से विकास संभव नहीं है समाज समझे और मोदी जी को देश को मजबूत करने के लिए उनके हाथ मजबूत करने के लिए 2024 में पुनः प्रधानमंत्री बनाकर मोदी जी को संदेश दो आप ने जो कार्य किया है वह इस युग की दशा दिशा बदलने के लिए अमिट इतिहास साबित होगा।
मेरा संदेश है समाज के लिए हम भारतीय बने हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई नहीं क्योंकि धर्म, मजहब क्या है किस लिए अल्लाह ने, हिन्दू समाज के अनुसार इश्वर (भगवान) ने अवतार और नबी के माध्यम से धर्म मजहब की स्थापना कराई है हमें समझना है और हमारे नौजवानो को समाज को समझना है धर्म मजहब है किया इस व्यवस्था की आवश्यकता क्यों है और धर्म मजहब हमारे जीवन में किस हद तक आवश्यकता है यह समझना होगा पर स्वार्थी संत और मौलवी समाज को स्थिर एकता अखंडता को मजबूत कर समाज की धार्मिक मजहबी व्यावस्था को स्थापित करना नहीं चाहते इसलिए माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वयं मन्दिर के प्राण प्रतिष्ठा कर उचित संदेश देने का प्रयास किया है कि जीवन में अगर संत उलेमा अपने कार्य से विमुख हो जाएंगे तो समाजिक धार्मिक संतुलन स्थापित करने के राजनैतिक व्यवस्था के बल पर प्रधानमंत्री को आगे आना होगा जिसमें माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी सफल हुए और भारत के एक मात्र प्रधानमंत्री स्थापित हो गये है।
हमें यह समझना है कि धर्म मजहब की हमारे जीवन में इतनी महत्ता की हमारी आत्मा रूह का शुद्धिकरण का एक यन्त्र है जिससे मनुष्य, इन्सान अपने मनुष्यता विद्रोह कर जानवर की जिन्दगी में प्रवेश न कर सके और राजनीति जीवन को सरल सुन्दर बनाने का एक यन्त्र है हमें जिसका उपयोग सिर्फ और सिर्फ विकास के लिए जीवन को सरल और सुन्दर बनाने के लिए बच्चों को सही जीवन देने के लिए समाज को योगदान देना चाहिए यही मेरी सोच है और तमाम भारतीय समाज से अपील है कि एक दूसरे के दुःख तकलीफ़ में काम आए मेरे भारत के अवतार और हमारे नबी का यही संदेश है उनके बाद संतों उलेमाओं की यही ड्यूटी है जिस को बिना भेदभाव के पूरा किया जाय यह मेरी अपील है और आशा भी।
जय हिन्द जय भारत
श्री इस्लामुद्दीन अंसारी जी द्वारा रचित
“आजाद भारत 1947 से 2024 की यात्रा”
किताब जल्द आपके संमुख होगी
मेरी किताब लिखने का तात्पर्य है मोदी जी की भारत को आवश्यकता क्यों..?
मेरी किताब का नाम होगा। आजाद भारत 1947 से 2024 की यात्रा।
इन बूढ़े हो रहे हाथों को ध्यान से देखिए..
ज़ूम कीजिये…
किसकी याद आती है आपको ?
आपके दादा जी, नानाजी या बूढ़े हो रहे पिताजी की ना ?
जिस उम्र में मोदी जी हैं , उस उम्र में आपके नाना,दादा या पिताजी क्या करते थे याद हैं ??
ज़्यादातर लोगों का जवाब होगा कि आराम करते है।
या फिर परिवार के लिए रोजी रोटी की जुगाड़ मे लगे हैं।55-58 के बाद अवकाश ही ले लेते है बुज़ुर्गवार..
और ये शख्स जुटा है भारतवर्ष के नवनिर्माण में..
बिना थके, बिना हार माने…
हम में से कितने लोग ये जीवन जी पाएंगे ??
फिर देखिए ध्यान से इन हाथों को…
देखिए धैर्य क्या होता है।
देखिए तपस्या क्या होती है।
आपके जन्म का क्या अर्थ होता है।
#तस्वीरें_बोलतीं_हैं ..