गोबर से मीथेन गैस बनाकर किसानों की होगी मोटी कमाई, जानिए क्या है ये पूरी योजना?
किसानों के गोवर्द्धन योजना की हुई सुरुवात
किसानों के लिए खुशखबरी है. अब गोबर से किसानों की मोटी कमाई होगी. जी हाँ, बिहार सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक खास तरह की योजना की शुरुआत की है, जिससे अब किसान घर बैठे अच्छा पैसा कमा सकते हैं.
किसानों के लिए खुशखबरी है. अब गोबर से किसानों की मोटी कमाई होगी. जी हाँ, बिहार सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक खास तरह की योजना की शुरुआत की है, जिससे अब किसान घर बैठे अच्छा पैसा कमा सकते हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोवर्धन योजना (Govardhan Yojana ) की शुरुआत की है, जिससे अब किसानों से गोबर की खरीद कर मीथेन गैस बनाई जाएगी. यह घरेलू उपयोग के लिए इस्तेमाल की जाएगी.
सरकार का मानना है कि इस योजना से किसानों की आय में काफी इजाफा होगा, साथ ही राज्य सरकार को उम्मीद है कि गोवर्धन योजना की शुरुआत के बाद से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और किसान व पशुपालक भी समृद्ध होंगे.
मिली जानकारी के अनुसार, गोबर से मीथेन गैस बनाने के लिए प्रत्येक जिले में प्लांट स्थापित किए जाएंगे. राज्य सरकार जल्द ही इस काम को पूरा करने की प्रक्रिया में जुट गई है. बिहार में वर्तमान में पशुओं की संख्या 2.5 करोड़ से अधिक है, जिसमें करीब 1.54 करोड़ गाय शामिल हैं.
गोबर से बनी मीथेन गैस को गाँव में ही सप्लाई किया जाएगा. जिसका इस्तेमाल ग्रामीण लोग कर सकते है.
मीथेन गैस से ग्रामीण वासी लाइट के लिए कर सकते है.
खाना बनाने के लिए सिलेंडर में भी अब मीथेन गैस का इस्तेमाल किया जायेगा.
एजेंसी के द्वारा किसानों और पशुपालकों से खरीदे गए गोबर से मीथेन गैस बनाने के लिए प्रत्येक जिले में संयंत्र स्थापित किया जाएगा. एजेंसी के चुनाव के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राज्य सरकार एजेंसी का चयन 5 मार्च तक कर लेगी.
सरकार की तरफ से किसानों से गोबर की खरीद किस कीमत पर होगी, यह अभी तय नहीं किया गया है. जल्द ही इस बात की जानकारी आप सभी तक साझा होगी. फिलहाल यह योजना छत्तीसगढ़ में चलायी जा रही है. मीथेन गैस बनाने के लिए प्लांट लगाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन को दी गई है. जिला प्रशासन ही भूमि का चयन करेगा.
अधिकारियों के मुताबिक, ज्यादातर जिलों में प्लांट के लिए भूमि चयन का काम शुरू हो गया है. ऐसा माना जा रहा है कि साल 2025 तक बिहार के सभी जिलों में प्लांट से उत्पादन शुरू हो जाएगा
इन गोशालाओं में गोबर गैस का प्लांट नहीं है। शर्मा के मुताबिक एक गाय एक दिन में 300 से लेकर 500 लीटर मीथेन गैस निकालती है। गाय दिन भर जुगाली करती है, यानि घास खाती है, उसे निगलती है, उसे फिर निकालती है और फिर उसे चबाती है। घास खाते समय डकार और गोबर के साथ वह मीथेन गैस भी निकालती है।
कार्बन डाईआक्साइड से भी घातक है मीथेन
मीथेन गैस कार्बन डाईआक्साइड से भी खतरनाक है। मीथेन गैस ओजोन परत को कार्बन डाईआक्साइड से 200 गुणा ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। 200 सालों में कार्बन डाईआक्साइड के उत्सर्जन में 31 प्रतिशत और मीथेन में 149 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक किलो गोबर से .037 क्यूबिक लीटर मीथेन गैस निकलती है। उनका कहना है कि 25 किलो गोबर से एक परिवार का खाना बनाने के लिए गैस तैयार की जा सकती है। 20 किलो गोबर से एक किलोवॉट बिजली पैदा हो सकती है। उनका कहना है कि दस हजार गायों की मदद से एक मेगावाट खपत वाला डेटा सेंटर आसानी से चलाया जा सकता है। दस हजार गायों की क्षमता वाली गोशाला से हर साल दो लाख मीट्रिक टन खाद पैदा की जा सकती है। एक दिन में पैदा होने वाली खाद तीन मेगावाट क्षमता वाले डेटा सेंटर को चलाने के लिए पर्याप्त है।