Uncategorized

देश की जानी मानी कम्पनी फिनोलेक्स ने उत्तराखंड सहित देश के कोने कोने में लॉक डाउन के दौरान किया बेजोड़ कार्य

फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसके सीएसआर पार्टनर मुकुल माधव फाउंडेशन संकट की स्थिति में सबसे आगे रहा है, कमजोर समुदायों के साथ-साथ अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं की सहायता के लिए अथक प्रयास कर रहा है

एम.एम.एफ. ने – किराना सामग्री पैकेट को- दैनिक वेतन भोगियों, प्रवासियों, प्लंबर समुदायों को वितरित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, साथ ही साथ अन्नमित्र और विकास खन्ना के फीड इंडिया के साथ मिलकर पूरे देश में एक लाख लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने में सहाता की है, पुणे के बाहरी क्षेत्र में यात्रा कर रहे 13,000 प्रवासीयों को उनकी सुलभ यात्रा के लिए फुट वेयर और भोजन प्रदान कर मदद की गई है, संगीतकार सलीम-सुलेमान की पहल के तहत संस्था ज़रीया- के साथ काम करते हुए – राजस्थान में उन स्थानीय संगीतकारों की मदद की है जो इन दिनों अपनी आजीविका खो चुके है , एमएमएफ ने पुणे में ट्रांसजेंडर समुदाय तक राशन को वितरित किया है साथ ही एचआईवी प्रभावित व्यक्तियों को रोजगार का अवसर प्रदान कर कपड़े के मास्क की सिलाई का कार्य दिया गया – एमएमएफ की हमेशा से व्यापक पहुंच रही है और देश भर में अतिसंवेदनशील समुदायों की मदद करने के लिए रास्ते तलाशने का सिलसिला जारी है।

यह तो केवल एक बानगी है –एमएमएफ- पुणे शहर के अस्पतालों का जीवन रक्षक मित्र है जहाँ उपकरण, सैनिटाइज़र, मास्क और पीपीई सूट की जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अग्रिम पंक्ति के योद्धा डॉक्टरों और नर्सों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए सुरक्षा किट अस्पतालों में भेजे जाते हैं । वेन्की द्वारा अस्पताल कैंटीन में एक लाख से अधिक अंडे का वितरण सुनिश्चित किया ताकि रोगियों को प्रोटीन युक्त भोजन मिल सके। समान विचारधारा वाले व्यक्तियों, दाताओं और साझेदार संगठनों से प्राप्त सहयोग ने एमएमएफ के प्रयासों और पहुंच को बढ़ाने में सक्षम बनाया है। एमएमएफ ने अन्य एन.जी.ओ. के साथ भागीदारी कर चक्रवात निसर्ग, चक्रवात अम्फान और अब हाल ही में असम में आई बाढ़ के लगभग 20,000 पीड़ितों के बचाव के लिए सहायता की मुख्यत: ईस्ट में अपने ग्राउंड पार्टनर रंगीन खिड़की का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।

इसी शृंखला के तहत मुकुल माधव फाउडेंशन व फिनोलेक्स कम्पनी द्वारा उत्तराखंड में भी लॉक डाउन के समय पलम्बरो को राशन सामग्री व मीडिया कर्मियों को मास्क व बरसाती कैप का वितरण किया गया है।
संकट से जूझते समय भी एमएमएफ ने अपनी मौजूदा परियोजनाओं पर से ध्यान नहीं हटाया। एमएमएफ उन 960 सेरेब्रल पाल्सी किशोरों की थेरेपी सहायतार्थ भी आगे आया ताकि लॉक डाऊन के दौरान उनकी चिकित्सा अप्रभावित रहे जिनकी वे 2015 से देखरेख कर रहे है, इसके लिए एमएमएफ की टीम ने ग्रामीण महाराष्ट्र में स्थानीय समाचार टीवी चैनल पर फिजियोथेरेपी और योग सत्र शुरू किए ताकि मरीज अपनी दिनचर्या को नियमित कर सकें।
680 बच्चे जो मुकुल माधव विद्यालय घोलप, रत्नागिरि में पढ़ते है उन्हे शीघ्र ही ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा प्रदान की ताकि उनका शैक्षणिक विकास और सीखने की प्रक्रिया धीमी न हो।

एमएमएफ ने उन 150 परिवारों को बीज और प्रशिक्षण प्रदान करके सतत मानवीयता का परिचय दिया, जो नौकरी के अभाव में मुंबई से पालघर जिले में लौटे थे , ताकि पुन: वे खेती के कार्यों में संलग्न हो सके और आत्मनिर्भर बन सके।

इस महामारी के दौरान ही अशांत लद्दाख सीमा क्षेत्र की गैलवान घाटी -जिसमें 20 बहादुर जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था, मुकुल माधव फाउंडेशन प्रत्येक परिवार के पास पहुंचा और आर्थिक सहायता प्रदान की। इसके अतिरिक्त, लॉक-डाऊन में लद्दाख क्षेत्र में पर्यटन प्रभावित होने के कारण महाबोधि इंटरनेशनल सेंटर, लद्दाख को उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की गई ।
हम जानते हैं कि वायरस की पकड़ जल्द ही कम नहीं होगी – हम यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि हम वैश्विक स्तर पर नागरिकों की सहायता कर सकें, समय पर फंड जुटा सकें और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए उपलब्ध हो सकें।
मैनेजिंग ट्रस्टी, श्रीमती ऋतु प्रकाश छाबड़िया ने कहा, “मैं मुकुल माधव फाउंडेशन के दोस्तों, व्यक्तिगत, कॉरपोरेट दानदाताओं, स्वयंसेवकों और अन्य एनजीओ की आभारी हूं जो हमारे साथ मिलकर इस महामारी का सामना करने के लिए सहृदय दिल एवं दृढ़ता के साथ खड़े रहे।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *