भारतीय पेट्रोलियम संस्थान द्वारा हरित ईंधन दिवस पर गणेश कण्डवाल, को इस विशेष कार्य के लिए किया गया सम्मानित।
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान द्वारा हरित ईंधन दिवस पर गणेश कण्डवाल, को इस विशेष कार्य के लिए किया गया सम्मानित
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून द्वारा आज हरित ईघन दिवस का आयोजन आईआईपी मेहकमपुर में किया गया। आज के इस कार्यक्रम में हरित ईधन के उपयोग एवं विशेषकर होटलों और रेस्टोंरेंट मे तैलीय भोज्य पदार्थों निर्माण में इत्तेमाल किये जाने वाले तीन से अधिक बार तेल का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, ऐसे तेल का उपयोग अब बायोडीजल के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है। इस हेतु आज उत्तराखण्ड देहरादून के जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी गणेश कंडवाल को इस मुहीम को सफल बनाने के लिए आईआईपी मोहकमपुर देहरादून द्वारा सम्मानित किया गया।
यमकेश्वर के देवराना गॉव के मूल निवासी गणेश कण्डवाल को इससे पूर्व में भी अनेकों कार्यां के लिए सम्मानित किया जा चुका है, आपको खाद्य पदार्थों के सेहत पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रोकने के लिए चलाये जाने वाले जागरूकता अभियानों के लिए ही अनेको राजकीय मंचों पर पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। आज इसी कड़ी में हरित ईधन दिवस पर सम्मानित होकर एक नया आयाम हासिल किया।
बकौल गणेश कण्डवाल, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी देहरादून ने बताया कि अक्सर देखने मे आता था कि रेस्टोरेंट और होटलों में बनाये जाने वाले तैलीय भोज्य पदार्थो के निर्माण मे प्रयुक्त किये जाने वाला तेल एक नही कई बार उपयोग में लाया है, जो स्वास्थ्य के लिये हैं बहुत ही हानिकारक होता है। एफएसएसएआई नियमों के अनुसार, कुल ध्रुवीय यौगिकों ( Total polar compounds TPC) के लिये अधिकतम स्वीकार्य सीमा 25 प्रतिशत निर्धारित की गई है, इसके बाद कुकिंग आयल की खपत असुरक्षित मानी गई हैद्य भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने RUCO ( Repurpose used cooking oil) पहल शुरू की है, जो प्रयुक्त खाना पकाने के तेल को बायोडीज़ल में संग्रह और रूपांतरण सक्षम करेगी।
इस संबंध में विश्व अंतराष्ट्रीय हरित ईंधन दिवस 10 अगस्त 2018 के अवसर पर भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा त्न्ब्व् की पहल की शुरुवात करते हुए इसके लिये कानून बनाकर बार बार इस्तेमाल में लाये जाने वाले तेल के खाने में इस्तेमाल पर प्रतिबंधित किया जिसमें, टोटल कम्पाउंड की मात्रा 25 फीसदी से ज्यादा होने पर ऐसा तेल किसी भी तरह से खाद्य श्रृंखला में वापिस नही आ सके।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून एवं उत्तराखंड खाद्य एव औषधी प्रशासन के सयुंक्त तत्वाधान में इस पहल का शुभारम्भ 06 अगस्त 2019 को खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ पंकज पांडे के द्वारा इस उद्देश्य के साथ किया गया कि आम जनमानस का बेहतर स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की सुरक्षा और हरित ईंधन का विकल्प तैयार हो सके। इस योजना के तहत खाद्य कारोबार कर्ताओ को जोड़ने हेतु वृहद स्तर पर जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री गणेश कंडवाल द्वारा जिले में व्यापार मंडल के सहयोग से जगह जगह जाकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गए, जिसमे खाद्य कारोबार कर्ताओ को इस अभिनव पहल की जानकारी दी गयी जिनमे होटल कारोबारियो द्वारा इस पहल में अपनी सहभागिता देते हुये इसकी सराहना की और इस योजना से जुड़कर इस्तेमाल किये गए खाद्य तेल का हरित ईंधन के रूप में तैयार करने हेतु सहयोग देने के लिए सहमति व्यक्त की। इस योजना के तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून को 20 से ज्यादा होटल कारोबारियो द्वारा लॉकडाउन से पहले 2000 लीटर इस्तेमाल किया गया तेल प्प्च् को उपलब्ध कराया गया, जिससे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून द्वारा विकसित तकनीकि के माध्यम से 1500 लीटर बायोफ्यूल ईंधन के रूप में परिवर्तन किया गया है, जो कि बायोजेट और बायोडीजल के रूप में एवेशियन कम्पनी द्वारा प्रयोग में लाया गया है। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून ने एसडीसी फाउंडेशन ( एग्रीगेटर) के माध्यम से ₹ 20 प्रति लीटर तेल का भुगतान होटल, रेस्ट्रोरेंट कारोबारियो को किया गया।
इसी क्रम में राज्य खाद्य सुरक्षा नियामक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के इस पहल को लेकर राज्य में एक अभियान चलाया गया। इससे पहले अथॉरिटी की ओर से दून में हलवाइयों, कैफे वालों और ऋषिकेश के व्यापारियों के लिए भी इस तरह की वर्कशाप का आयोजन किया जा चुका है। उत्तराखंड में इसके लिये विस्तृत योजना तैयार की गई जिसके तहत होटलों और रेस्ट्रोरेंट एवं हलवाई के लिये शहरो में जागरूकता अभियान चलाया गया।
उत्तराखंड खाद्य एव औषधी प्रशासन की ओर से पूर्व में राजपुर रोड स्थित होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस अभियान की जिम्मेदारी संभाल रहे जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री गणेश कंडवाल ने नेशनल और मल्टीनेशनल फूड प्रोवाइडिंग कंपनियों के प्रतिनिधियों को यूज्ड ऑयल के बारे में जानकारी दी। अपने प्रजेंटेशन के माध्यम से श्री गणेश कंडवाल ने बताया कि खाना बनाने के लिए तेल का बार-बार इस्तेमाल किये जाने से बनाया गया खाना कितना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने तेल को तीन से अधिक बार इस्तेमाल ना करने की सलाह दी और कहा कि एक बार का तेल कम होने पर उसी में फिर से नया तेल डालने से बचें।
उन्होंने कहा कि तेल का बार-बार इस्तेमाल से उसमें कई तरह के खतरनाक तत्व पैदा हो जाते हैं, जो भोजन को असुरक्षित और जहरीला बना देते हैं। श्री गणेश कंडवाल ने कहा कि देहरादून समेत उत्तराखंड के अन्य जिलों में भी हरित ईंधन के लिये जागरूकता अभियान चलाकर इसको अधिक से अधिक होटल, रेस्ट्रोरेंट कारोबारियों को इससे जोड़ा जायेगा।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम द्वारा की गई इस तकनीक को धरातल पर उतारने के लिये उत्तराखंड में त्न्ब्व् कार्यक्रम के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभाल रहे जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री गणेश कंडवाल ने नेशनल और मल्टीनेशनल फूड प्रोवाइडिंग कंपनियों के प्रतिनिधियों व जनपद में विद्यमान होटल रेस्टोरेंट और मिष्ठान विक्रेताओं को यूज्ड ऑयल का हरित ईंधन के रूप में परिवर्तित करने हेतु भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के साथ एक कड़ी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।