वसंत पर्व के आगाज के साथ गायत्री तीर्थ शांतिकुज का स्वर्ण जयंती वर्ष प्रारंभ
ज्ञान चेतना का महापर्व है वसंत ः डॉ. पण्ड्या
वसंत प्रेरणाओं का पावन दिन ः शैलदीदी
आचार्यश्री के आध्यात्मिक जन्मदिवस पर आपके द्वार-पहुंचा हरिद्वार को विस्तार करने का लिया संकल्प मुण्डन, जनेऊ, विवाह सहित विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न, बहिनों ने सजाई आकर्षक रंगोली
हरिद्वार 16 फरवरी।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय शांतिकुंज में वसन्तोत्सव का मुख्य कार्यक्रम मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। धर्मध्वजा फहराने के साथ प्रारम्भ हुए वसंत पर्व आयोजन में गायत्री परिवार प्रमुख शैल जीजी एवं देवसंस्कृति विवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने विश्वभर से आये गायत्री साधकों को वासंती उल्लास की शुभकामनाएँ दीं। सरस्वती पूजन, गुरुपूजन एवं पर्व पूजन के साथ हजारों साधकों ने भावभरी पुष्पांजलि अर्पित कीं।
वसंतोत्सव के मुख्य कार्यक्रम को आनलाइन संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि वसंत ज्ञान चेतना का महापर्व है। प्रकृति और जीवन का शृंगार करता है वसंत। प्रकृति व परमेश्वर के मिलन का पर्व है। उन्होंने कहा कि इन दिनों वासंती संस्कृति पूरे विश्व में दिखाई दे रहा है। लोगों में जब संस्कृति आती है, तब उनमें उदारता, सेवाभाव जैसे सद्गुण विकसित होने लगते हैं। क्रांतिकारियों के जीवन में जब वसंत आया है, तब उनमें राष्ट्र प्रेम का भाव जागा और उन्होंने राष्ट्रोत्थान के लिए अपना सर्वस्व लगा दिया। कड़ी से कड़ी परीक्षाएँ दीं, तभी उन्हें बड़ी सफलताएँ मिलीं। आज हम सभी को जीवन में ऐसी ही वासंती उल्लास जगाने की जरूरत है, जिससे समाज में पनप रही विसंगतियों और विभिन्न समस्याओं को दूर करने में सहयोग कर सकें।
संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि वसंत प्रेरणाओं का पावन दिन है। साथ ही ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का अवतरण दिन है और इन्हीं से ज्ञान का विस्तार हुआ। शैलदीदी ने कहा कि भौतिक संपदा की तुलना में आत्मिक व आध्यात्मिक प्रगति का महत्त्व ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अवतारी सत्ताओं के कार्य को पूज्य आचार्यश्री ने इस युग में आगे बढ़ाने का कार्य किया है। उन्हीं सूत्रों पर चलते हुए गायत्री परिवार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज जहाँ मानवता संवेदनहीन हो रही है, ऐसे समय में समूह साधना के माध्मम से मनुष्य में भाव संवेदनाएँ जगाने का पावन अवसर है। उन्होंने आपके द्वार पहुंचा हरिद्वार की योजना की विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या व शैलदीदी ने पूज्य आचार्यश्री की पुस्तकों का ओडिया, तमिल सहित महाशक्ति गायत्री सावित्री साधनाःएक अध्ययन, हिमालय की वादियों में, आध्यात्मिक पत्रकारिता सहित कुल आठ पुस्तकों का विमोचन किया।
विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न –
गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने शताधिक लोगों को गुरुदीक्षा दी, तो वहीं देश के विभिन्न राज्यों से आयेसैकड़ों की संख्या में बटुकों ने यज्ञोपवीत संस्कार कराये। उत्तराखण्ड सहित विभिन्न राज्यों से आये नवदम्पतियों ने विवाह के बंधन में बँधे। नामकरण, मुण्डन, विद्यारंभ सहित कई संस्कार बड़ी संख्या में सम्पन्न हुए। समस्त संस्कार निःशुल्क सम्पन्न कराये गये। सायं दीपमहायज्ञ में पूज्य आचार्यश्री के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के संकल्प लिये गये।
नवसृजन गायत्री महापुरश्चरण सामूहिक साधना प्रारंभ –
विश्व स्तरीय 40 दिवसीय गायत्री महापुरश्चरण साधना शृंखलाबद्ध के साधना सत्र का गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. पण्ड्या ने साधकों को आनलाइन संकल्प कराने के साथ प्रारंभ किया, जिसमें अस्सी देशों के करीब एक लाख से अधिक साधक इस महापुरश्चरण में भागीदारी कर रहे हैं।