धर्म-कर्मनई दिल्ली

सावधान ! यहाँ सिर्फ आपका चश्मा छीना जाएगा, बिना फिरौती दिए आपको वापिस नही मिल पायेगा,

*चश्मा छीनकर फ्रूटी पीने वाले वृंदावन के बंदर*
(संस्मरण)

कल्पना कीजिए… अगर कोई तीर्थ यात्री दक्षिण भारत के किसी इलाके से 800 किलोमीटर का सफर तय करके वृंदावन श्री कृष्ण के दर्शनों के लिए आया है और अचानक उसका चश्मा लेकर कोई बंदर गायब हो जाए तो उस तीर्थ यात्री पर क्या बीतेगी ? ये कल्पना करके भी मैं सिहर उठता हूं क्योंकि मैं खुद भी चश्मा लगाता हूं ।

जैसे ही मैंने मथुरा में एंट्री की भगवान की कृपा से कई ऐसे लोग मिले जिन्होंने मुझे ये बताया कि आप जब वृंदावन पहुंचें तो अपना चश्मा निकालकर जेब में रख लें क्योंकि यहां के बंदर बड़े आराम से आपके कंधे पर बैठेंगे और फिर चश्मा निकालकर ऊंची दीवार पर बैठ जाएंगे ।

मैंने वृंदावन में बिलकुल ऐसा ही देखा जब मैं बांके बिहारी में दर्शन करने गया था तब मैंने चश्मा अपनी जेब के अंदर रख लिया था । मुझे साफ नहीं दिख रहा था लेकिन जितना देखा उसमें मेरे सामने कम से कम 4 लोगों के चश्मे बंदर ले उड़े । किसी शहर से आए एक जवान व्यक्ति को मैंने बूढ़े की तरह जमीन पर चश्मा ढूंढते देखा । आस पास के लोगों ने बताया कि सर आपका चश्मा बंदर ले उड़ा ।

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर की गली में मेरे सामने ही एक 50 साल के शख्स भक्तिभाव में अचरज से भरे हुए दीवारों को देखते हुए जा रहे ते । अचानक बंदर उनके कंधे पर बैठकर आराम से चश्मा ले उड़ा । वहीं पर मौजूद पुलिस वाले बोले… फ्रूटी लाओ फ्रूटी लाओ । ये फ्रूटी वाला रहस्य मुझे मथुरा में एंट्री के दौरान ही किसी ने बता दिया था कि बंदर चश्मा ले लेगा और तभी लौटाएगा जब उसको फ्रूटी मिल जाएगा अगर फ्रूटी नहीं मिली तो 5 मिनट के बाद बंदर चश्मा तोड़ देगा । अब उनके चश्मे का क्या हुआ ? मुझे नहीं पता लेकिन मुझे उन्हें दुखी देखकर पीड़ा हुई ।

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बांके बिहारी से पहले मैं वृंदावन के निधिवन में गया था । वहां पर एक युवती ने काले फ्रेम का चश्मा लगा रखा था । मैंने उसे देखा तो ये बताया कि यहां बंदर चश्मा छीन लेते हैं आप अपने पास छुपा लो लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी । निधिवन से निकलते निकलते मुझे ये जानकारी मिली कि उस युवती का चश्मा भी बंदर ले उड़े । अब आप सोचिए जिसका चश्मा गायब हुआ वो फौरन तो बनेगा नहीं । इसीलिए अगर वृंदावन जाएं तो दो चश्मे लेकर जाएं या फिर कॉन्टेक्ट लेंस लगा लें।

जंगलों के कटने से बंदरों ने मुनुष्यों के इलाकों में घुसपैठ कर दी है । भूख भी बंदरों को ये सब करने पर मजबूर करती है । कुछ बंदर शरारती भी होते हैं । कुछ लोग कहते हैं कि फ्रूटी मिलने पर बंदर चश्मा दे देते हैं लेकिन जरूर नहीं कि जहां पर बंदर चश्मा ले उड़े हैं वहां पर फ्रूटी की दुकान हो । कई लोगों ने बताया कि फ्रूटी की एक दुकान पर 10 रुपए की फ्रूटी 80 रुपए की बेची जा रही थी क्योंकि दुकानदार भी ऐसी स्थिति का फायदा उठाना चाहते हैं और बेईमानी करते हैं ।

मथुरा के जिला अधिकारी से निवेदन है कि वो मथुरा में समुचित व्यवस्था करें या तो इन बंदरों की भूख शांत करने के लिए इनको खूब खिलाया पिलाया जाए या फिर कुछ और व्यवस्था की जाए ताकी तीर्थयात्रियों को परेशानी ना हो !

राधे राधे
जय श्री कृष्ण

 

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