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भारतीयों ने कोरोना से लड़ी अच्छी जंग, लेकिन निगेटिव खबरों को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी- लैंसेट

भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस  संक्रमण के 85,362 नए मामले सामने आने के बाद अब तक संक्रमित लोगों की कुल संख्या 59 लाख के पार चली गई है, जबकि इसी अवधि में 93,420 लोगों के संक्रमणमुक्त होने के बाद अब तक कुल 48 लाख से अधिक लोग संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो चुके हैं.

नई दिल्ली. दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस माहामारी  के मामले देश में 50 लाख का आंकड़ा पार कर चुके हैं. देश अभी भी कोरोना वायरस की मार झेल रहा है. वहीं इसके ब्रिटिश जर्नल ‘लैंसेट’  ने कोरोना के प्रति देश के कड़े रुख और साइंस पर निर्भरता ना दिखाने पर प्रशंसा की है. हालांकि ब्रिटिश पत्रिका ने कहा है कि भारत में कोरोना की स्थिति भयावह है और दिनों-दिन मामले बढ़ते जा रहे हैं।

पत्रिका ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन  के अनुसार, भारत में कोरोना के मामले 50 लाख से ऊपर जा चके हैं, जो कि जून में लॉकडाउन हटने के बाद से बढ़ते ही जा रहे हैं।

पत्रिका के मुताबिक, भारत ने कई मायनों में कोरोना के खात्मे के लिए कड़ा रुख अपनाया है. भारत में सुरक्षा के मद्देनजर मार्च में ही लॉकडाउन का ऐलान एक सराहनीय कदम था. कोरोना के प्रति भारत के इस कदम की डब्ल्यूएचो  ने भी प्रशंसा की थी।

लॉक डाउन

कहा गया है कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान क्षेत्रीय स्तर पर लोगों को सुरक्षा मुहैया करवाई गई. इस दौरान बड़ी संख्या में वेंटिलेटर का इंतजाम भी किया गया. इतना ही नहीं कोरोना के टेस्टिंग मामले में भी भारत ने प्रशंसनीय भूमिका अदा की है।

भारत कोरोना की वैक्सीन बनाने के प्रयास में बड़े देशों के बीच खड़ा है. पत्रिका ने यह भी कहा कि कोरोना से देश में आय में कमी और भुखमरी की बढ़ती समस्या पर ध्यान नहीं दिया।

पत्रिका ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कई प्रवासी मजदूरों के घर वापसी से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हुई है. साथ ही बताया कि देश में अप्रैल-जून तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था  में बड़ी गिरावट देखी गई है.

पत्रिका ने देश के कोरोना पर साइंस पर निर्भरता ना दिखाने की भी प्रशंसा की है. साथ ही कहा है कि देश ने महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग का अच्छा उदाहरण पेश किया है. पत्रिका ने भारत के कोरोना पर विश्व रिपोर्ट के लिए मृत्यु दर के निष्पक्ष आंकड़े भेजने की भी तारीफ की है।

लैंसेट’ का कहना है कि कोरोना की स्थिति भयावह होते देख देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया संगठनों के मालिकों और संपादकों के साथ बातचीत में नकारात्मकता से बचने का संदेश दिया और प्रेस समेत कई वैज्ञानिक संगठनों पर दवाब बनाने को कहा।
विशेषज्ञों ने भी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च  को सलाह दी कि वे वैज्ञानिक प्रमाणों के जरिए भटकाव की स्थिति पैदा ना करें. पत्रिका ने आईसीएमआर के महानिदेशक और प्रोफेसर बलराम भार्गव के कोरोना वैक्सीन के 15 अगस्त तक तैयार करने की समयसीमा का उल्लेख करते हुए इसे आशा के विपरीत बताया.

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