देहरादून

अपनी अदभुद परंपरा के लिए मशहूर जाखदेवता

           समस्थ लेख:-अर्जुनसिंह भंडारी 
देहरादून :-उत्तराखंड अपने आप में प्राचीन काल से ही देवी देवताओं की भूमि रहा है। अलग अलग परंपरा देवी देवता हर पहाड़ हर गांव में बसे है। हर गांव के साथ ही अलग मान्यताएं जुड़ी है।

अपनी इसी अलग परंपरा को संजोए हुए है रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी से लगभग 7किलोमीटर दूर जाखमंदीर जो की अपनी अदभुद मान्यताओं के लिए मशहूर है। 14 गांव के सहियोग से बना ये अदभुद मंदिर अपने आप में बहुत शक्तिशाली है। देवताओं की शक्ति और सामर्थ के बारे में वेद और पुराणों में उल्लेख मिलता है। लेकिन बताया जाता है की वैशाख में लगने वाले जाखमेले में भगवान जाखराज धधकते हुए अंगारों में नृत्य करते है।

हर साल वैशाखी के दिन यह मेला लगता है जिसकी तैयारी में आसपास के गांव वासी 2-3 दिन पहले ही जुट जाते है। और पूजा के लिए सामग्री और लकड़ियां इकठ्ठा करते है। मेले वाले दिन गांव वासी नंगे पैर अपनी पारंपरिक टोपी और कमर में कपड़ा पहनकर आग्निकुंड तैयार करते है। भगवान जाखराजा जो की यक्ष के अवतार है उन्हें ढोल दमऊ के साथ नचाया जाता है। भगवान जाख देव गांव वालो को आशीर्वाद देते है और जलते हुए अग्निकुंड में प्रवेश करते है और अंगारों में नृत्य करते है।

जिसके साक्षी हज़ारों गांव के निवासी है। और कहा जाता है की हज़ारों लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है। इस मेले को देखने के लिए दूर-दराज के गांवों के लोग बड़ी संख्या में आते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से जाख मेले में आकर जाखराजा के दर्शन करते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

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