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कलयुग का श्रवण कुमार 150 किलोमीटर की दूरी पर माता पिता को कांवड़ में कराई यात्रा, बेटा तो बेटा बहु ने जीता सबका दिल.

जहानाबाद (बिहार). कलयुग में माता-पिता पर अत्याचार करते हुए हजारों खबरें मिल जाएगी, लेकिन माता-पिता की सेवा करती खबरों को सुनकर खुशी होती है। ऐसा लगता है जैसे आज के समय में भी ऐसे लेाग है, जो पुरानी कहावतों को और कहानियों को सच कर दिखाते हैं।

बिहार में बेटे और बहु ने श्रवण कुमार बने बुजुर्ग दंपत्ती को कांवड़ में बिठाकर 150 किमी की यात्रा कराई। ऐसा ही एक वीडियो इन दिनों खुब वायरल हो रहा है। वीडियो बिहार के जहानाबाद कै है।

बेटे-बहु का यह कांवड़ देख लोग खूब तारीफ कर रहे
जहानाबाद जिले के रहने वाले दंपति ने माता-पिता की इच्छा के लिए 150 किलोमीटर पैदल यात्रा शुरू की। माता-पिता ने देवघर के बाबाधाम जाने की इच्छा जतायी तो इच्छा पूरी के लिए दंपति ने कांवड़ में बिठाकर यात्रा शुरू की। बेटा और बहू ने एक बहंगी तैयार करने के बाद श्रवण कुमार की तरह कंधे पर कांवड़ लेकर यात्रा शुरू की। सावन मेला में ये दंपति अपने माता-पिता को ठीक उसी तरह तीर्थ पर निकला है जैसे कभी श्रवण कुमार निकले थे। चंदन कुमार और उनकी पत्नी रानी देवी ने माता-पिता को देवघर लाने के लिए श्रवण कुमार बन गये। कावंड़ में बैठाकर माता-पिता को बाबाधाम की यात्रा पर निकले हैं। दंपति ने सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर के लिए प्रस्थान किया। बेटे- बहु का यह कांवड़ देख लोग उनकी खूब तारीफ कर रहे है। लोग इस विशेष कावंड़ का फोटो और वीडियो भी बना कर सोशल मीडिया में शेयर कर रहे है।

चंदन ने कहा- पत्नी के प्रोत्साहन के बाद बढ़ी हिम्मत…
बेटे चंदर कुमार ने बताया कि सत्यनारायण व्रत के पूजन के दौरान माता पिता को बाबाधाम की यात्रा कराने की ईच्छा हुई। बुजुर्ग होने के कारण वे पैदल 105 किमी की यात्रा नहीं कर सकते थे। जब यह इच्छा हमने अपनी पत्नी को बताया कि उसने काफी हिम्मत दी। जिसके बाद हम दोनों ने माता-पिता की अनुमति ली और निकल पड़े। चंदन बताया कि माता-पिता को हम बहंगी में बिठाकर अपने कंधे के बल इस यात्रा को सफल करेंगे। इसके लिए एक मजबूत कांवड़नुमा बहंगी तैयार किया है। रविवार को सुल्तानगंज से जल भरकर उस बहंगी में आगे पिताजी और पीछे माताजी को बिठाकर यात्रा शुरू की है

बहू ने कहा- इससे काफी खुशी मिली
वहीं बहू रानी देवी ने बताया कि पति के मन में इच्छा जाहिर हुई तो मुझे भी इसमें भागीदार बनने का मन हुआ। हम लोग खुश हैं कि अपने सास-ससुर को बाबाधाम की यात्रा कराने निकले हैं और लोग भी हम लोगों को हिम्मत दे रहे हैं और प्रशंसा कर रहे हैं। माता-पिता को कांवड़ में लेकर जाने में बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। चंदन की माता ने बताया कि हम तो आशीर्वाद ही दे सकते हैं। प्रार्थना है कि मेरे पुत्र को सब खुशी मिले।

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