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मुंबई-उत्तराखंड के बीच संवाद सेतु बना ‘कौथिग’ ।

 

देहरादून। मुंबई में पिछले करीब 16 वर्ष से आयोजित कौथिग मुंबई और उत्तराखंड के बीच संवाद का सेतु बना है। अपनी जड़ों तक पहुंचने में कोई शब्द कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है यह कौथिग शब्द से समझा जा सकता है। इस साल दस दिवसीय कौथिग का आयोजन मुंबई में 31 जनवरी से किया जा रहा है।

यह बात कौथिग मुंबई के आयोजन समिति के समन्वयक केशर सिंह बिष्ट ने उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। बिष्ट ने बताया कि इस आयोजन को लेकर आज समिति के सदस्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले। मुख्यमंत्री धामी ने मुंबई में कौथिग के आयोजन को लेकर नसीहत दी और अगले साल से एक ही मंच से इसके आयोजन की सलाह दी। इस पर समिति के सदस्यों ने उन्हें आश्वस्त किया।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के खेत खलिहानों के इस पांरपरिक शब्द कौथिग ने दूसरे राज्यों में बसे और रोजगार के लिए सात समुंदर पार गए प्रवासी और अप्रवासी उत्तराखंडियों को अपनी माटी से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। इससे दूसरे राज्यों में भी उत्तराखंड की संस्कृति को जीवित रखा है। पहली बार मुंबई में इस सामाजिक और सांस्कृतिक महोत्सव कौथिग का आयोजन 2008 में शुरू किया था। तभी से हर साल इसका आयोजन किया जा रहा है। उत्तराखंड सरकार ने इस मेले को विशाल कैनवास पर स्थापित करने में हर मुमकिन सहयोग दिया। इसके कारण ही आज यह कौथिग ऊंचाईयों पर पहुंचा है। हंस फाउडेशन ने भी इस मेले के आयोजन में सक्रिय सहयोग दिया। प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी कौथिग में शामिल होकर और सहयोग देकर इसे ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

बिष्ट ने कहा कि मुंबई ही नहीं अन्य हिस्सों में बसे प्रवासी और अप्रवासी उत्तराखंडियों ने इस मेले के आयोजन में आर्थिक और अन्य तरह से सहयोग दे रहे हैं। उत्तराखंड के संस्कृति कर्मियों का भी कौथिग के आयोजन में सहयोग मिलता रहा है।

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