साल का अंतिम ग्रहण 14 दिसंबर को, जानिए पूरी जानकारी क्या खास प्रभाव रहेगा जातकों पर।
श्री मदन गुप्ता सपाटू, प्रसिद्ध ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़: साल 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण मार्गशीर्ष अमावस्या पर लगने जा रहा है। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण 14 दिसंबर की शाम 7 बजकर 02 मिनट से शुरू होगा जो 15 दिसंबर की रात के 12 बजकर 23 मिनट पर खत्म होगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटा 21 मिनट की होगी।
चूंकि भारत में उस समय रात होगी, इसलिए यह दिखाई नहीं देगा। साल 2020 ज्योतिष और खगोलशास्त्र के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है। सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा। यह ग्रहण बृश्चिक राशि, ज्येष्ठा नक्षत्र, शूल योग और धनु संक्रांति में पड़ रहा है।
सूर्य 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु राशि में रहेगा। इस धनु राशि में जन्मे लोगों को सावधानी बरतनी होगी।
इस दिन सूर्य के साथ 5 ग्रह -चंद्र, बुध, शुक्र, केतु साथ होंगे जिन्हें राहू की देख रहा है। एक प्रकार से यह आंशिक काल सर्प योग भी है। चंद्र नीच राशि में और अस्त हैं जबकि नीचस्थ गुरु, शनि के साथ हैं। इन सभी ग्रहों तथा सूर्य ग्रहण का धरती पर कैसा प्रभाव पड़ेगा ?
राजनीतिक पटल
यदि भारत की बात की जाए तो सबसे अधिक दुष्प्रभाव रहेगा प्रधान मंत्री पर जिनकी अपनी जन्म राशि और लग्न भी बृश्चिक है जिसमें ग्रहण लग रहा है। यही नहीं, पुरातन इंद्रप्रस्थ जो आज एन.सी.आर कहलाता है, उसकी राशि भी यही बृश्चिक ही है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रहणों का असर उनके आरंभ होने से 41 दिन पहले दिखना शुरु हो जाता है और 41 दिन बाद तक रहता है।
2020 में 6 ग्रहणों का प्रभाव और 30 नवंबर का चंद्र ग्रहण और 14 दिसंबर के सूर्य ग्रहण के मध्य बहुत कम अंतर, आग में घी डालने का काम करेगा। पूरे विश्व में इसका प्रभाव , कोरोना दिखा ही रहा है और बड़े बड़े देशों में राजनीतिक उथल पुथल देखने को मिल ही रहे हैं। अमेरिका में आशा के विपरीत सत्ता परिवर्तन हुआ। पाकिस्तान में अपेक्षित है। भारत के कई राज्यों में इसकी शुरुआत हो चुकी है।
आने वाले 3 महीने भारत के लिए बहुत क्रांतिकारी, परिवर्तनकारी सिद्ध होंगे। किसान आंदोलन देश को 3 महीनों तक अत्यंत प्रभावित करेगा। यही नहीं राजनीतिक उपद्रव, धार्मिक उन्माद, लेबर क्लास द्वारा हड़ताल, बैंकिंग क्षेत्र में असंतोष, अधिक ठंड से जनहानि तथा प्राकृतिक आपदाओं का जोर रहने की पूर्ण संभावना बनी रहेगी। भारत के प्रधान मंत्री ही नहीं बल्कि अमेरिकी राष्ट्र्पति भी आंतरिक जन आंदोलनों से परेशान दिखेंगे।
रसायन उद्योग
चंद्र-बुध की युति बृश्चिक राशि में केमीकल इंडस्ट्री व दवा कंपनियों में अभूतपूर्व परिवर्तन दर्शा रहा है। नए अनुसंधानों से आम जनता लाभान्वित होगी। यह साफ तौर से कोरोना की वेक्सीन से आम लोगों को फायदा पहुंचने का संकेत है। ज्योतिष शास्त्र में बृश्चिक राशि का संबंध रसायन शास्त्र से है औेर इसी में ग्रहण का अर्थ है किसी आविष्कार का अचानक सफल हो जाना।
अतः चिरप्रतीक्षित कोरोना वेक्सीन विश्व के लिए संजीवनी सिद्ध होगी और 6 अप्रैल 2021से जब गुरु – शनि की जुगलबंदी टूटेगी, कोरोना का प्रभाव कम होना आरंभ हो जाएगा। गुरु नीच रहने के कारण, बड़े राजनेताओं, बडे़ उद्योगपतियों, प्रबंधकों के व्यक्तिगत जीवन व उनके कार्य क्लापों तथा राजनीतिक कैरियर पर भी ग्रहण लग सकता है।
कई राजनीतिक स्कैंडल उजागर होंगे । हमें 3 महीनों में किसी बड़े़ सेलिब्रिटी का वियोग भी सहना पड़ सकता है। बुध ग्रह मीडिया का परिचायक भी है जो ग्रहण के प्रभाव में रहेगा। बड़े टी वी चैनल्ज , मीडिया कर्मी प्रभावित होंगे। इन्हें अपने व्यक्तिगत जीवन में कार्य क्षेत्र एवं कानूनी पचड़ों से सावधान रहना चाहिए।
प्राकृतिक आपदाएं
ग्रहण कभी भी प्राकृतिक आपदाएं लाए बिना नहीं रहते। चूंकि ग्रहण के समय, चंद्र नीच व अस्त होने के साथ साथ सूर्य ग्रहण के मध्य भी है, इसलिए तटीय क्षेत्रों में सुनामी तथा भूकंप संभावित हैं। आशा है भारत इस बार भूकंप से बचा रहेगा।