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उत्तराखंड में भर्ती मामले में एक ओर  भ्रष्टाचार सामने आया, विजिलेंस ने किया केस दर्ज ,

देहरादून –अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की वीपीडिओ भर्ती मामला,

विजिलेंस ने एक ओर भर्ती में दर्ज किया केस,

2016 में हुई ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भर्ती में केस हुआ दर्ज,

196 पदो पर हुई थी भर्ती,

आरोप है कि भर्ती परीक्षा की ओएमआर सीट दो सप्ताह तक रखी गयी किसी गुप्त स्थान पर,

दो सगे भाइयों के टॉपर ओर एक ही गांव के 20 से ज्यादा अभ्यर्थियों के चयन के बाद उठे सवाल,

आयोग के भीतर ही हो सकता है मास्टरमाइंड, घर का भेदी तलाश रही एसटीएफपेपर लीक मामले में गिरफ्तार सभी छह आरोपियों को एसटीएफ ने सोमवार को न्यायालय में पेश किया। न्यायालय के आदेश पर सभी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले में केवल आउटसोर्स कंपनी का कंप्यूटर प्रोग्रामर और चंद लोग जिम्मेदार हैं,

यह बात एसटीएफ अधिकारियों के गले नहीं उतर रही है। माना जा रहा है कि बिना घर के भेदी के इतना बड़ा काम हो ही नहीं सकता। ऐसे में आयोग से भी कोई कर्मचारी या अधिकारी इस कांड का राजदार जरूर है। एसटीएफ अब इस मामले में शह देने वाले, किसके इशारों पर काम हुआ और किसे इसका असल फायदा पहुंचा, इन सबकी तलाश में जुटी है।वहीं, जिस हिसाब से पेपर लीक का मामला उठ रहा है, यह माना जा रहा है कि इसमें करोड़ों रुपये का खेल हुआ है। यह भी माना जा रहा है कि नकल माफिया ने बड़े पैमाने पर युवाओं से पैसा ऐंठा हुआ है। गिरोह का सरगना पकड़ में आने के बाद इस राज से पर्दा उठ सकता है।पेपर लीक मामले में गिरफ्तार सभी छह आरोपियों को एसटीएफ ने सोमवार को न्यायालय में पेश किया।

न्यायालय के आदेश पर सभी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, अभी इस पेड़ की कुछ शाखाएं ही कटी हैं। पेड़ को खाद पानी कौन दे रहा था, इसकी तलाश अभी बाकी है। ऐसे में आरोपियों के बैकग्राउंड की जांच की जा रही है। हो सकता है कि इनमें से किसी ने अपने किसी रिश्तेदार या किसी परिचित को लाभ पहुंचाया हो।

पकड़े गए लोगों में आयोग का एक पूर्व कर्मचारी है। केवल पूर्व कर्मचारी और एक आउटसोर्स कंपनी के कुछ कारिंदे इतने बड़े काम को अंजाम नहीं दे सकते हैं। ऐसे में इस बात का पूरा अंदेशा है कि आयोग में से किसी की शह पर यह काम हुआ है। इस बात का पता विस्तृत जांच से ही चल सकता है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जल्द ही एसटीएफ इस मामले का भी खुलासा कर सकती है।

पास हुए अभ्यर्थियों से भी खुल सकते हैं राज
एसटीएफ के रडार पर पास हुए अभ्यर्थी भी हैं। इनके और आरोपियों के मोबाइल नंबरों की जांच की जा रही है। सभी अभ्यर्थियों को पूछताछ के लिए भी बुलाया जा सकता है। इससे साफ हो जाएगा कि यदि आरोपी ही पेपर लीक कराने के जिम्मेदार हैं तो कुछ पास हुए अभ्यर्थी भी इनके संपर्क में होंगे। हालांकि, अभी तक पैसे के लेनदेन के बारे में भी कुछ पता नहीं चला है। बताया जा रहा है कि पैसे का लेनदेन केवल नकद में हुआ था। यदि अकाउंट के माध्यम से होता तो ट्रेस करने में आसानी होती।

एसटीएफ की अभ्यर्थियों से अपील, अपना पक्ष रखें
एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने सभी अभ्यर्थियों से अपील की है कि यदि किसी ने परीक्षा में अनुचित संसाधन का प्रयोग किया है तो अपना पक्ष खुद जांच अधिकारियों के सामने रख दें। इससे उन्हें विधि सम्मत मदद मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। यदि जांच में अभ्यर्थियों के नाम सामने आए तो उनके साथ भी आरोपियों जैसी प्रक्रिया ही अमल में लाई जाएगी। मदद भी कानून के हिसाब से ही की जाएगी।

पेपर लीक कराने वालों में हो सकते हैं हरियाणा-राजस्थान के गिरोह
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के दावे के मुताबिक फुलप्रूफ मानी जाने वाली स्नातक स्तरीय परीक्षा में सेंध लगाने वाले हरियाणा या राजस्थान के बड़े गिरोह हो सकते हैं। आयोग खुद इस बात का स्वीकार कर रहा है कि ऐसे संकेत मिले हैं। हालांकि, पुलिस की जांच में ही इससे पर्दा उठ सकेगा।

स्नातक स्तरीय परीक्षा में एसटीएफ ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। अभी इसकी जांच चल रही है। इससे पहले आयोग ने पुलिस की मदद से अपने स्तर से एक जांच कराई थी। सूत्रों के मुताबिक, इस जांच में ऐसे संकेत मिले थे कि इस पेपर लीक में बड़े गिरोह का हाथ हो सकता है। शक की सुई राजस्थान में रीट जैसे पेपर लीक कराने वाले गिरोह या हरियाणा में भर्ती परीक्षाओं में सेंध लगाने वाले गिरोह की ओर है।

हालांकि, यह पुलिस की जांच में ही स्पष्ट हो पाएगा कि पेपर लीक का प्रकरण स्थानीय स्तर का है या दूसरे राज्यों के गिरोह इसमें शामिल हैं। आयोग के सचिव संतोष बडोनी का कहना है कि पेपर लीक में कुछ भी हो सकता है। पुलिस की जांच के बाद ही कुछ साफ हो पाएगा।

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