ऋषिकेश

एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने मार्फन सिंड्रोम से ग्रसित एक 14 वर्षीय किशोर के हार्ट के 3 वाल्व का ऑपरेशन कर उसे जीवनदान दिया

ऋषिकेश-: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने मार्फन सिंड्रोम से ग्रसित एक 14 वर्षीय किशोर के हार्ट के 3 वाल्व का ऑपरेशन कर उसे जीवनदान दिया है।

निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने हाईरिस्क सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए ​चिकित्सकीय टीम की सराहना की है। इस अवसर पर निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि अस्पताल में मरीजों की सेवा के लिए ड्यूटी हावर्स के बाद भी जरुरत पड़ने पर वरिष्ठ चिकित्सकों का हरसंभव सहयोग मिलेगा।

गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश निवासी एक 14 वर्षीय किशोर जो कि मार्फन सिंड्रोम नामक जेनेटिक बीमारी से ग्रस्त था, इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की लंबाई अत्यधिक रहती है साथ ही हाथ व पैरों की अंगुलियां औसत से कहीं अधिक लंबी होती हैं। इस बीमारी में आंख में लैम्स का खिसकना एवं दिल के वाल्व का लीक होना या ऑर्टा नामक धमनी का फटना आम बात होती है जिससे किसी भी इंसान की मृत्यु भी हो सकती है।

इस किशोर के दिल के 3 वॉल्व लीक कर रहे थे, बावजूद इसके समय रहते इलाज नहीं करवाने से उसका हार्ट फेल हो गया था। साथ ही उसका लीवर व गुर्दा भी फेल हो गया था,जिसकी वजह से उसके ऑपरेशन में अत्यधिक रिस्क बढ़ गया था। इन तमाम बीमारियों के कारण उसके पेट व पैरों में सूजन आ गई थी, साथ ही उसे पीलिया की शिकायत थी।

चिकित्सकों के अनुसार किशोर को ऑक्सीजन से भी सांस नहीं आ रही थी और उसकी छाती में पानी भर गया था। तमाम तरह की शारीरिक व्याधियों के बावजूद पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डा. अनीश गुप्ता ने अपनी टीम के साथ इस किशोर का इमरजेंसी ऑपरेशन किया,जिसमें उसके दो वाल्व बदले गए, जबकि उसके एक वॉल्व को रिपेयर किया गया। ऑपरेशन के दौरान किशोर के दिल में जमा खून के थक्के भी निकाले गए। सर्जरी के बाद मरीज को काफी समय तक आईसीयू में रखा गया और उसके बाद स्थिति थोड़ा सामान्य होने पर उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया जहां अब वह स्वस्थ है।

डा. अनीश के मुताबिक इस हाईरिस्क सर्जरी में मरीज की जान को अत्यधिक खतरा था, बावजूद इसके उसके जीवन की सुरक्षा के लिए वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ प्रोफेसर भानु दुग्गल, पी​डियाट्रिक कॉर्डियोलॉजिस्ट डा. यश श्रीवास्तव एवं कॉडियक ऐनेस्थिसिया डा. अजय मिश्रा की संयुक्त टीम द्वारा अथक प्रयासों से मरीज की जान बच पाई।

उन्होंने बताया कि ऐसे जटिल कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने चिकित्सकीय टीम का हौंसला बढ़ाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *