देहरादून

रतूड़ी एवं बिष्ट होंगे हिमालय प्रहरी से सम्मानित, 21 मई को टाउन हॉल देहरादून में सम्मान समारोह

प‌द्म विभूषण सुंदरलाल बहुगुणा के चतुर्थ पुण्यतिथि पर सुंदरलाल बहुगुणा स्मृती सम्मान “हिमालय प्रहरी 2025” पुरुष वर्ग में प्रतिष्ठित जन कवि आंदोलनकारी स्वर्गीय घनश्याम रतूड़ी सैलानी जी व महिला वर्ग में सुश्री दीक्षा बहन बिष्ट को प्रदान किया जाएगा। सेव हिमालय मूवमेंट के अध्यक्ष समीर रतूड़ी व पर्वतीय नवजीवन मंडल आश्रम के सचिव राजीव नयन बहुगुणा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुये जानकारी दी है कि इस वर्ष 2025 में सम्मान का चयन पांच सदस्यीय चयन समिति के द्वारा सर्वसम्मति से चयन किया गया। चयन समिति के सदस्यों में स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल, वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता जगदम्बा प्रसाद रतूड़ी, भगवती प्रसाद नैथानी तथा शीशराम कंसवाल शामिल है। चयन समिति के पास पुरस्कार के लिये पुरुष वर्ग के लिये पैनल में आये नामो में स्व. प्रताप शिखर, स्व. सुरेन्द्र दत्त भट्ट, स्व. घनश्याम सैलानी एवं सदन मिश्रा जी व महिला वर्ग में पैनल में आये नामो में दीक्षा बिष्ट, नंदा देवी, बचनी देवी, जुपली देवी व हेमा देवी के नाम में चर्चा कर चयन किया गया ।

दीक्षा बहन को यह सम्मान उनके जीवन भर के विभिन्न सामाजिक कार्य को देखते हुये दिया जा रहा है। उनके मुख्य कार्य में कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट के साथ अनोपचारिक बालवाडी गठन करना 20 वर्षों से महिला संगठन गठन कर उनके साथ महिला उत्थान के लिये कार्य करना, वन बचाओ आन्दोलन के तहत 70 के दशक में टिहरी गढवाल के हॅवल घाटी व बडियारगढ़ में सक्रीय भूमिका, वनीकरण को लेकर गरुड के फल्याटी गाँव कई लाख पौधों बा रोपण व कई वर्ष तक संरक्षण, 60 के दशक में शराब बंदी आन्दोलन के दौरान कोटद्वार, घनसाली व गरुड़ में चल रहे आन्दोलन में सक्रीय भूमिका, टिहरी बाँध विरोधी आन्दोलन व् महिला जागरूकता के लिये कई किलोमीटर की पदयात्रा है। उनकी अद्‌भूत कार्य शैली व महिलाओं के प्रति कर्मठता को देहते हुये देखा बहन की 75 किमी की पदयात्रा के पश्च्यात सुन्दर्ताला बहुगुणा जी ने उनको उत्तराखंड की शेरनी की उपाधि दी। पूर्व में दीक्षा बहन को मैती सम्मान व 1992 में कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट की ओर से इन्दोर में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा के द्वारा भारत की सर्वश्रेष्ठ सेविका का अवार्ड दिया गया है।

पुरुष वर्ग में यह सम्मान स्व. घनश्याम रतूड़ी सैलानी जी मो मरणोपरांत उनके विभिन्न जन चेतना व आन्दोलन में अपनी अहम् भूमिका के आधार पर दिया जा रहा है। धनश्याम सैलानी जी ने विभिन्न आन्दोलनों में अपनी अहम् भूमिका निभाई जिसमे मुख्यतः चिपको आन्दोलन, सर्वोदय आन्दोलन, भूदान आन्दोलन, नशाबंदी आन्दोलन, टिहरी बाँध विरोधी आन्दोलन इत्यादि में किये गए उल्लेखनीय कार्य के आधार पर अनका चयन किया गया है। चिपको को जन्म देने वाले गीत ‘चिपक जाओ, काटने मत दो, वन सम्पदा लुटने मत दो’ के रचयिता घनश्याम सैलानी रुढियों के खिलाफ बाल्यावस्था से ही मुखर थे। आंदोलनों में अपने गीतों के माध्यम से गति देने वाले घनश्याम सैलानी का गीत ‘हिटो दीदी, हिटों भुल्यों, चला गौ बचैला’, शराब बंदी आन्दोलन का मुख्य गीत बन गया । अस्पृश्यता अंधविश्वास एवं सामाजिक रुढियों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाया । अपने विद्रोही रवैय्ये व सामाजिक सकारात्मक सोच के चलते उनको एक महँ विद्रोही कवि के रूप में भी जाना जाता है।

सम्मान समारोह 21 मई को देहरादून शहर के नगर निगम के टाउन हॉल को सायं पांच बजे आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन सेव हिमालय मूवमेंट व पर्वतीय नवजीवन मंडल आश्रम के द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा

 

 

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