ऋषिकेश नीर झरने पर 2009 से अवैध वसूली का आरटीआई एक्टिविस्ट पंकज गुप्ता ने आरटीआई के माध्यम से किया खुलासा,
ऋषिकेश -: उत्तराखंड सूचना आयोग ने नीर झरने पर हो रही 2009 से अवैध वसूली का संज्ञान लिया आपको बता दें कि मैंने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत दिनांक 10 नवंबर 2020 को 11 बिंदुओं पर सूचना की मांग की थी जिसमें प्रमुखता यह थी कि नीर झरने पर जो अवैध वसूली की जा रही है उस पर जो रसीद जारी की जाती है उस के पृष्ठ भाग में वन विभाग लिखा है और वसूली करने वाले भी वन विभाग की वर्दी में रहते हैं किंतु सच्चाई यह है कि यह समिति कभी भी अस्तित्व में नहीं रही है क्योंकि विभागीय अधिकारियों के उस नियमावली पर हस्ताक्षर ही नहीं है जिसका संज्ञान आयोग ने भी लिया और सीएम हेल्पलाइन पर मेरे द्वारा शिकायत करने पर वन प्रभाग मुनी की रेती ने स्वीकार किया कि वहां अवैध वसूली चल रही है किंतु आज दिन तक कोई f.i.r. ना करने पर और आयोग में मेरे द्वारा अपना पक्ष रखने पर माननीय आयुक्त उत्तराखंड सूचना आयोग श्री विपिन चंद्र जी ने तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी श्रीमती स्पर्श काला को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तत्काल अवैध वसूली पर रोक लगाने और कार्यवाही करने का आदेश निर्गत किया
सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 63 आवेदन प्राप्ति के 5 दिन के अंदर अंदर अन्य लोक सूचना अधिकारी को हस्तांतरित की जाती है 5 दिन से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए किंतु प्रश्न कर मामले में 2 साल बाद धारा 6 की उप धारा 3 का प्रयोग नियमों के विरुद्ध जाकर वन क्षेत्राधिकारी द्वारा किया गया
कार्यालय वन क्षेत्राधिकारी ने स्वयं स्वीकार किया कि गतिविधियां अवैध हैं
यह नियमावली का प्रथम पेज है और अंत में अनुमोदन विभागीय अधिकारियों ने करना था जिनका कहीं भी हस्ताक्षर नहीं है
आपको यह भी बता दें कि मेरे द्वारा ऑडिट रिपोर्ट भी मांगी गई थी जिसमें विभाग ने कहा है हमने ऑडिट कराया ही नहीं जो अभी प्राप्ति नियमावली 2011 के लागू होने के बाद अति अनिवार्य है यह बहुत बड़ी अनियमितता