ऋषिगंगा नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने के बाद बनी झील के बहाव को SDRF ,ITPB ने मिलकर किया तेज।
उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने के बाद बनी झील के बहाव को तेज किया जा रहा है. ITBP के जवानों ने SDRF और अन्य संगठनों के साथ मिलकर उत्तराखंड के चमोली में ऋषि गंगा में बनी झील के प्रवाह को चौड़ा करने के लिए काम कर रहे हैं.
बता दें कि पहले इस झील से खतरा बताया गया था, लेकिन कल सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान में बताया कि जल के प्रवाह को और बढ़ाने तथा कुछ अवरोधकों को हटाने से जुड़े काम की समीक्षा की गई है.
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों ने SDRF और अन्य संगठनों के साथ मिलकर उत्तराखंड के चमोली में ऋषि गंगा में बनी झील के प्रवाह को चौड़ा करने के लिए काम कर रहे हैं.
इससे झील से पानी छोड़ने की मात्रा में वृद्धि हुई है. यह बात आईटीबीपी की ओर से एक बयान में कही गई है.
70 शव मिल चुके हैं और 29 बॉडी पार्ट भी मिले हैं
बता दें कि इस हादसे में कुल 204 लोग गायब हुए, जिनमें 192 लोग दोनों पावर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे और 12 लोग आसपास के गांवों के थे. इनमें से अभी तक 70 शव मिल चुके हैं और 29 बॉडी पार्ट भी मिले हैं. यह बात उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बयान दिया है.
उपग्रह से मिले डाटा से पता चला है कि फिलहाल कोई खतरा नहीं
बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जुड़े उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने बताया कि विभिन्न वैज्ञानिक एजेंसियों द्वारा स्थल पर कृत्रिम झील के संबंध में विश्लेषण और उपग्रह से मिले डाटा के आधार पर पता चला है कि फिलहाल कोई खतरा नहीं है, क्योंकि जलस्तर अनुमान से कम है और यह पानी पुरानी धारा से बह रहा है.
लगातार हालात की निगरानी करने को कहा गया
केंद्रीय गृह सचिव ने अस्थायी अवरोधक के कारण बनी स्थिति के अनुरूप जरूरत पड़ने पर तथा राज्य सरकार को केंद्रीय एजेंसियों से मदद जारी रखने का आश्वासन दिया. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव और राज्य सरकार को केंद्र और राज्य की एजेंसियों के साथ लगातार हालात की निगरानी करने को कहा गया है.