अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना प्रकरण पर टिहरी के समाज कल्याण अधिकारी पर गिरी गाज
-विवादित प्रेस नोट पर मुख्यमंत्री ने दिए थे जांच के आदेश, अभी बड़ी कार्रवाई की तैयारी
-प्रभारी समाज कल्याण अधिकारी को किया हल्द्वानी निदेशालय में अटैच
टिहरी जनपद के प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी को विवादित प्रेसनोट जारी करना भारी पड़ गया। सरकार ने उनको टिहरी जनपद से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। फिलहाल उनको निदेशालय हल्द्वानी में अटैच कर दिया है। अभी प्रकरण में विस्तृत जांच रिपोर्ट मिलनी बाकी है। इसके बाद अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि नवम्बर माह के पहले पखवाड़े में टिहरी के प्रभारी समाज कल्याण अधिकारी पर अंतरजातीय व अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना के लिए आवेदन की जानकारी वाले प्रेस नोट जारी करने का आरोप लगे। प्रकरण को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संज्ञान लिया था। उस दौरान सीएम ने मामले की जांच के आदेश दे दिए थे। मुख्य सचिव ओम प्रकाश को मामले की जांच के आदेश देकर उन्होंने पूछा कि आखिर किन परिस्थितियों में यह आदेश जारी हुआ। इस प्रकरण में प्राथमिक जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आज मंगलवार को सरकार ने प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल को तत्काल हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। निदेशक विनोद गोस्वामी ने आदेश जारी कर कहा कि फिलहाल प्रभारी समाज कल्याण अधिकारी घिल्डियाल को निदेशालय में अटैच कर दिया है। जल्द टिहरी में नए अधिकारी की तैनाती की जाएगी।
क्या था पूरा मामला
प्रभारी समाज कल्याण अधिकारी ने प्रेसनोट जारी कर कहा था कि अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाह राष्ट्रीय एकता की जागृत रखने और समाज में एकता बनाए रखने में यह योजना काफी सहायक सिद्ध हो सकती है। ऐसे विवाह पर सरकार योजना के तहत 50 हजार रुपये का अनुदान देती है। समाज कल्याण अधिकारी का यह आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसके बाद इसे लेकर राजनीति शुरु हो गई।इस प्रकरण को राजनीतिक पार्टियों ने सीधा लव जिहाद से जोड़ा था।
देहरादून – उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को टिहरी गढ़वाल में समाज कल्याण विभाग द्वारा अंतरधार्मिक विवाह को प्रोत्साहन देने का आदेश जारी करने वाले समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्ड़ियाल को पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार मजहबी उद्देश्यों और धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाली शक्तियों के खिलाफ कठोरता से कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अंतरजातीय/अंतरधार्मिक विवाह के बाद सहायता राशि देने वाली सूचना को लेकर जाँच करने के आदेश जारी करने के बाद यह फैसला लिया गया। दरअसल, जिले के सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़े को 50,000 रुपए की मदद देने की घोषणा की थी, जिसके बाद ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देने के आरोप लगे थे। गत 18 नवम्बर को टिहरी गढ़वाल जिले के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्ड़ियाल ने एक पत्र जारी किया, जिसमें अंतरजातीय विवाह करने पर समाज कल्याण विभाग की तरफ से प्रोत्साहन के रूप में 50,000 रूपए की धनराशि दिए जाने का उल्लेख किया गया था। इस प्रकरण के चर्चा में आते ही राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रशासन को इस मामले की जाँच के आदेश दिए थे। सीएम रावत ने कहा कि इसकी जाँच की जाएगी कि किन परिस्थितियों में इस प्रेस रिलीज को जारी किया गया।
इस प्रेस रिलीज के सामने आने के बाद उत्तराखंड सरकार के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट ने बताया था कि ये 1976 का उत्तराखंड का क़ानून है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत पहले 10,000 रुपए की सहायता राशि मिलती थी, जिसे कॉन्ग्रेस की सरकार ने 2014 में बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा से किसी ने भी अंतरधार्मिक विवाह को बढ़ावा देने की बात नहीं की है।उत्तराखंड राज्य ने वर्ष 2018 में ही ‘फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल’ पारित किया था। इसके तहत रुपयों के दम पर या किसी का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने का दोषी पाए जाने पर दो साल तक की जेल का प्रावधान है। इसके साथ ही उत्तराखंड, ओडिशा, एमपी, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में शामिल हो गया, जहां दूसरे रूप में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू है।