देहरादून :-सीएसआईआर – भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून के अनुसंधान अध्येताओं द्वारा इस वर्ष पर्यावरण दिवस के अवसर पर दिनांक 5 जून, 2020 को ‘ऊर्जा भविष्य निर्माण : चुनौतियां एवं अवसर’ विषय पर चतुर्थ राष्ट्रीय संगोष्ठी (सेफ़्को 2020) का आयोजन किया गया है। इस वर्ष इस संगोष्ठी का मुख्य विषय है: ‘ऊर्जा का डिजिटल भविष्य’। भारतीय पेट्रोलियम उद्योग फेडरेशन के महानिदेशक डॉ आर के मल्होत्रा इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे तथा पद्मश्री डॉ टी प्रदीप, संस्थान अध्यक्ष प्रोफेसर, आईआईटी मद्रास इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित थे
सर्वप्रथम इस संगोष्ठी की छात्र संचालक सुश्री नेहा शर्मा ने सेफ़्को 2020 के बारे में जानकारी देते हुए इस संगोष्ठी के कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. अंजन रे, निदेशक सीएसआर-आईआईपीने इस आभासी संगोष्ठी में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया तथा डिजिटलाइजेशन के लाभ के बारे में अपना वक्तव्य दिया।
‘सेफ़्को‘ डॉ. अंजन रे,निदेशक सीएसआईआर – आईआईपी की ही संकल्पना है तथा इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रथम आयोजन वर्ष 2017 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के उपलक्ष में किया गया था। इस वर्ष कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के कारण इसे आज 5 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है।
इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. आरके मल्होत्रा ने कोविड-19 के उपरांत ऊर्जा अंतरण विषय पर अपना व्याख्यान दिया तथा जलवायु परिवर्तन के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व का ध्यान पुनः जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग की ओर आकर्षित किया है इस वैश्विक महामारी से हमारी उपभोक्ता आदतों में बहुत परिवर्तन होगा। क्योंकि अब प्रत्येक जन साफ-सुथरे नीले आसमान को देखना चाहता हूं उन्होंने लोक ईंधन की खपत में हुई कमी पर भी चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी तकनीकी दक्षता को और बढ़ाना चाहिए क्योंकि यह उत्सर्जन न्यूनीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसलिए हमें स्वच्छ एवं हरित भविष्य हेतु द्रुतगति से ऊर्जा अंतरणसंबंधी नवोन्मेष करने होंगे. उन्होंने ऊर्जा उत्पादन की विविध संभावनाओं तथा उनकी सफलता पर भी चर्चा की उन्होंने यह भी कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा इस दिशा में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है और हमें इस दिशा में एक मिशन की तरह कार्य करना चाहिए.
इसी संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि पद्मश्री डॉ टी प्रदीप ने स्वच्छ जल के महत्व पर चर्चा की तथा जल की कमी एवंजल प्रदूषण को कम करने में नैनो विज्ञान के नवीनतम आधुनिक प्रयोग पर भी चर्चा की उन्होंने कहा इस क्षेत्र में एक सुदृढ़ जल प्रबंधन प्रणाली तथा अत्याधुनिक तकनीक की मुख्य आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हमें इस क्षेत्र से संबंधित समस्याओं में से किसी एक को चुनना चाहिए तथा इसका पूर्ण निदान होने तक इस पर कार्य करना चाहिए।
भारत के वाटरमैन श्री राजेंद्र सिंह इससंगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे. उन्होंने अपने वक्तव्य में पानी के उपभोग तथा पानी के रिचार्ज में संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया, जिससे कि पर्यावरण संरक्षण हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि सतत ऐसी प्रौद्योगिकियाँ विकसित की जानी चाहिए जो पर्यावरण हितैषी हों। उन्होंने वैश्विक महामारी के दौरान गंगा नदी के जल में हुई शुद्धता तथा स्वच्छता पर भी प्रकाश डाला.
इस संगोष्ठी में कुल 5 सत्र थे , जिनमें आमंत्रित व्याख्यान,मौखिक तथा डिजिटल पोस्टर सत्र आदि शामिल थे । इन विभिन्न सत्रों में ऊर्जा में डिजिटल अनुप्रयोग,ऊर्जादक्षता तथा प्रबंधन,सतत विकास,ऊर्जा अनुप्रयोग हेतु उन्नत पदार्थ और नवोन्मेष तथा नवाचार प्रबंधन आदि विषयों पर चर्चा की गई। इस संगोष्ठी में कुल 15 आमंत्रित व्याख्यान रखे गए थे तथा 300 से भी अधिक प्रतिभागी एमएस टीम, यूट्यूबलाइव तथा फेसबुकलाइव से इस संगोष्ठी में शामिल हुए। इन 05 सत्रों की अध्यक्षता क्रमश: श्री अमर कुमार जैन, श्री सुदीप के गांगुली,डॉ. प्रणबदास, श्रीमती पूनम गुप्ता तथा डॉ. विपुल सरकार ने की।
इस संगोष्ठी के आयोजन में सुश्री नेहा शर्मा, डॉ. विपुल सरकार, डॉ प्रणब दास ने संस्थान के निदेशक डॉ अंजन रे के मार्गदर्शन में मुख्य भूमिका निभाई तथा डॉ. डी सी पांडे, श्रीसूर्यदेव कुमार, सुश्रीअंजलि भटनागर तथा श्रीसोमेश्वर पांडेय इस आयोजन में सहयोगी थे ।