नई दिल्ली, 14 मई, 2020: COVID-19 महामारी अभूतपूर्व अनुपातों वाली आपदा है और इसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। यह एक ऐसा अदृश्य और सीमाहीन दुश्मन है जिससे मानव जाति का पिछले कुछ वर्षों के इतिहास में पहले कभी सामना नहीं देखा गया है और इसके अनोखे परिणाम हैं। इसके फैलने से भारत भी किसी भी और दूसरे देश की तरह प्रभावित हुआ है। हालाँकि भारत में इसका फैलना और मृत्यु दर कुछ पश्चिमी के देशों जितना अधिक नहीं है और अमरीका में, संक्रमण के मामलों की संख्या समय के साथ लगातार बढ़ती जा रही है। यह सब इन सब बातों के बावजूद हो रहा है जब भारत ने समय पर कार्यवाही करने और पूरे देश में पूर्ण लॉकडाउन लागू करने में तत्परता के साथ काम किया। इस लॉकडाउन का असर लाखों दिहाड़ी मज़दूरों, प्रवासी मजदूरों पर सबसे अधिक पड़ा हैं और उन्हें राशन, स्वच्छता और चिकित्सा सेवाओं के मामले में तत्काल सहायता किए जाने की ज़रूरत है। कोविड-19 के प्रकोप के कारण देशभर में हुए तालाबंदी ने लाखों प्रवासी मज़दूरों, दिहाड़ी मज़दूरों, किसानों, और अनौपचारिक क्षेत्र के मज़दूरों पर बहुत बड़ा आर्थिक बोझ डाल दिया है और उन्हें दो वक़्त के भोजन का इंतज़ाम करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। अस्पताल और चिकित्सा क्षेत्र के कर्मचारी भी सुरक्षा उपकरणों, सुविधाओं और साज़ो-सामान की कमी का सामना कर रहे हैं। भारत में हर दिन दर्ज किए जाने वाले मामलों और होनेवाली मौतों की संख्या खतरनाक दर से बढ़ रही है। भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट, द हंस फाउंडेशन (टी.एच.एफ.) अपने सहयोगियों – उत्तराखंड सरकार, वरदान, अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन, ग्रैविस, मासूम चैरिटेबल ट्रस्ट, आसरा ट्रस्ट, बी.ए.आई.एफ. डिवेलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन, गूंज, अक्षय पात्र फाउंडेशन और कई दूसरे सहयोगियों के साथ मिलकर प्रभावित लोगों के लिए राहत एवं सहायता के अभियान चला रहा है और अस्पतालों और पहली पंक्ति के कर्मचारियों की मदद भी कर रहे हैं । इस समय राष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली अनेकों समस्याओं से निपटने के लिए बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, कोलकाता, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के आंतरिक क्षेत्रों में कमज़ोर समुदायों के लिए काम शुरू कर दिया गया है। अपने सहयोगियों के साथ यह फाउंडेशन प्रवासी लोगों के परिवारों, दिहाड़ी मज़दूरों, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को पोषक पदार्थों के किट/राशन के किट और पहली पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मचारियों को हेल्थकेयर किट, आधा वेतन और मेडी-क्लेम्स, वेंटिलेटर्स और आइसोलेशन केंद्र स्थापित करने में मदद भी कर रहा है। उदारता के हर छोटे से छोटे काम के प्रभाव को बड़ा बनाने के लिए, द हंस फाउंडेशन ने कोविड-19 के राहत कार्य में दान किए गए हर एक रुपये के बराबर राशि देने का संकल्प लिया, प्रक्रिया के बारे में जानने के लिए, कृपया देखें http://thehansfoundation.org/donate.
द हंस फाउंडेशन की अध्यक्षा, सुश्री श्वेता रावत ने इस पहल पर बोलते हुए कहा कि ‘द हंस फाउंडेशन कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए बेहद सक्रिय और प्रेरित है। सरकारों, सहयोगियों और जन स्वास्थ्य प्रदान करनेवाली संस्थाओं के अच्छे सहयोग और समर्थन के ज़रिए यह फाउंडेशन इस मुश्किल भरे समय में देश भर में खाद्य सुरक्षा, आजीविका का विकास मुहैया करा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निचले तबके वाले समुदाय इस मुसीबत से बच सकें। हम यह पूरी तरह से समझते हैं कि मिलकर इसका मुकाबला करने के लिए हमारे पास हिम्मत, धैर्य और पूरे संसाधन उपलब्ध हैं।’
सुरक्षा और स्वच्छता के सभी तौर-तरीकों का पालन करके, खाने के किट, स्वच्छता किट (एन -95 फेस मास्क, सैनिटाइज़र्स, दस्ताने आदि) सुरक्षात्मक उपकरण, वेंटिलेटर्स, आदि के रूप में राहत सेवायें प्रदान करने के लिए द हंस फाउंडेशन काम कर रहा है। इसके अलावा, सिक्किम और उत्तराखंड में क्वारंटाइन के लिए आइसोलेशन केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। राहत के सभी प्रयासों के लिए, प्रवासी लोगों, झुग्गीयों में रहनेवालों, विकलांग व्यक्तियों, बुज़ुर्गों, अकेली माताओं और पहली पंक्ति के सेवा प्रदाताओं जैसे समुदायों के सबसे कमज़ोर वर्गों पर विशेष ध्यान दिया गया है। ऐसी मुश्किल की घड़ी में सरकार, समाजिक संस्थायें और निजी क्षेत्र इस मुसीबत से लड़ने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। इस फाउंडेशन ने उत्तराखंड में राशन के किट, चिकित्सा सहायता और पी.पी.ई. किट के रूप में 1 करोड़ 51 लाख रूपए की आवश्यक सहायता प्रदान करने में उत्तराखंड सरकार को सहयोग दिया है। अमेरिकेयर्स के सहयोग से, कोविड 19 के रोगियों के लिए आपातकालीन प्रतिक्रिया करने के लिए महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और केरल में $2,50,000 (लगभग 1.90 करोड़) मूल्य के वेंटिलेटर दिए गए हैं। इस तरह के अनेक प्रयास टीएचई द्वारा आंतरिक स्थानों में काम कर रहे अपने सहयोगियों के माध्यम से किए जा रहे हैं और आठ करोड़ से अधिक मूल्य का सहयोग अभी तक प्रदान किया जा चुका है। अभी तक देशभर के दस राज्यों में भोजन और स्वच्छता के किट्स के वितरण के साथ करीब दो लाख लोग लाभान्वित हुए हैं और दूसरे राज्यों को भी सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
द हंस फाउंडेशन ने पिछले 10 वर्षों के दौरान भारत के लाखों लोगों के जीवन पर एक सकारात्मक प्रभाव डाला है और देश के वंचित क्षेत्रों में सैकड़ों हजारों वंचित लोगों को लाभ प्रदान करना जारी रखे हुए है। मौजूदा समय में 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 150 संस्थानों के साथ काम कर रहा है और कई राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करते हुए, इस फाउंडेशन ने अब तक 10 बिलियन रुपए से अधिक की परियोजनाओं सहयोग प्रदान किया है। द हंस फाउंडेशन कोविड रिलीफ फंड में दिल खोलकर दान कर सकते हैं और परिस्थिति को बदलने में अपना योगदान दे सकते हैं। देश भर के कमज़ोर परिवारों को सहायता प्रदान करने के लिए अभी प्रयास करें। आपके द्वारा दान में दी गई पूरी राशि का इस्तेमाल सबसे कमज़ोर और प्रभावित हुए लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए किया जायेगा।
~ द हंस फाउंडेशन ने कोविड-19 के राहत कार्य में दान किए गए हर एक रुपये के बराबर राशि देने का संकल्प लिया, अधिक जानकारी के लिए http://thehansfoundation.org/donate देखें~