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आंदोलनकारी व साहित्यकार श्री त्रेपन सिंह चौहान व वरिष्ठ पत्रकार सुक्खन सिंह जी के निधन पर राज्य आंदोलनकारी मंच ने भारी दुख के साथ अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की 

आज दिनांक 13-अगस्त को कर्मठ आंदोलनकारी व साहित्यकार श्री त्रेपन सिंह चौहान व वरिष्ठ पत्रकार श्री सुख्कन सिहं के निधन पर राज्य आंदोलनकारी मंच ने गहरा दुख व्यक्त करते हुऐ दोनों ही दिवंगत आत्माओं हेतु ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
टिहरी मूल के श्री त्रेपन चौहान काफी जुझारू किस्म के व्यक्ति थे अक्सर उन्हे कई कार्यक्रमों व गोष्ठियो में राजशाही से लेकर आज के जमाने तक की पिडा साफ दिखाई देती थी। प्रदीप कुकरेती ने कहा कि जहां त्रेपन सिहं वह एक सामान्य व्यक्ति के अधिकारो व समाजिक ताने बाने को लेकर बिल्कुल खुलकर अपनी बात रखा करते थे। एक तरफ अधिकारों के प्रति कर्मठ और वहीं ठीक अपने समाज के प्रति दूसरी जिम्मेदारी एक साहित्यकार के रूप में दर्ज क़ी और दोनों ही किरदार बखूबी निभाएं
वहीं दूसरी ओर पत्रकार सुख्कन सिहं जी के निधन को एक बड़ी क्षति बताया वह उम्र के इस पड़ाव में भी काफी सामाजिक संस्थाओं के कार्यक्रमों में तो सक्रिय रहते ही थे साथ ही व्यक्तिगत रूप से भी बेहतरीन इंसान थे हर जगह उनकी उपस्तिथि दिखाई देती थी।
आज दोनों ही व्यक्तियों के निधन की खबर से सभी वर्ग के लोग शोकाकुल हैं। जगमोहन सिहं नेगी व जयदीप सकलानी ने अपने बयान में कहा क़ि त्रेपन सिंह चौहान उत्तराखंड में जन-आंदोलनों का एक जाना पहचाना चेहरा थे।
विभिन्न आंदोलनों में उनकी सक्रीय हिस्सेदारी रही है खासतौर पर टिहरी के फलेंडा में जल विद्युत परियोजना के खिलाफ स्थानीय लोगों के आंदोलन का उन्होंने आगे बढ़ कर नेतृत्व किया। देहारादून में असंगठित मजदूरों को संगठित करने का काम भी त्रेपन भाई ने किया। “हे ब्वारी” और “यमुना” जैसे उपन्यासों के लेखन मुख्यतः था। चौहान जी लंबे समय से बीमारी से जूझ ही रहे थे और आखिर कार आज जिंदगी ने उनसे दामन छुड़ा लिया।
दोनों व्यक्तियों को श्रद्धांजली देने वालों में मुख्यतः जगमोहन सिहं नेगी, जयदीप सकलानी, हरजिंदर सिहं, प्रदीप कुकरेती , रामलाल खंडूड़ी ,सुरेश कुमार, सुदेश सिहं व दीपक बड्थ्वाल , मोहन खत्री आदि…

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