इन जगहों पर मौजूद है,लंकापति रावण की पाँच प्रशिद्ध मंदिर, जहां भगवान मानकर होती है लंकेश की पूजा,
हर साल असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजया दशमी यानी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. मां भगवती की आराधना यानी की नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दशमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकाधिपति दशानन का वध कर सीता को छुड़ाया था. दशानन जिसे रावण के तौर पर जानते हैं बहुत बड़ा विद्वान था. उसके विद्वानता के कारण भारत में कई जगह पर उसके मंदिर हैं. आइए बताते हैं भारत की उन 5 जगहों के बारे में जहां आज भी रावण की पूजा होती है.
लंकेश्वर महोत्सव, कोलार, कर्नाटक
कर्नाटक राज्य के कोलार में लंकेश्वर महोत्सव के दौरान रावण की पूजा के साथ जुलूस भी निकाला जाता है.
इस जुलूस में रावण के साथ भगवान शिव जी की मूर्ति को घुमाया जाता है. भगवान शिव का परम भक्त होने के कारण कोलार में रावण की पूजा की जाती है. कोलार के मालवल्ली तहसील में रावण का एक मंदिर भी है.
विदिशा, मध्य प्रदेश
विदिशा रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म स्थान है. यहां पर रावण की 10 फीट लंबी प्रतिमा है. विदिशा में दशहरे की दिन लोग रावण की पूजा करते हैं. इसके अलावा शादी-विवाह या किसी अन्य शुभ अवसर पर लोग इस मूर्ति की पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं.
मंदसौर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के मंदसौर में बना मंदिर रावण का पहला मंदिर है. यहां पर रावण की रुण्डी नाम की विशाल मूर्ति है जिसकी पूजा की जाती है. इस मंदिर में पूजा करने के दौरान मूर्ति के सामने महिलाएं घूंघट में रहती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण को मंदसौर का दामाद माना जाता है. मंदोदरी के नाम पर ही इस जगह का नाम मंदसौर रखा गया.
बैजनाथ कस्बा, हिमाचल प्रदेश
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बैजनाथ कस्बा में रावण ने भगवान शंकर की कठोर तपस्या की थी. वैसे तो बैजनाथ कस्बा में रावण का कोई मंदिर नहीं है लेकिन यहां पर रावण की पूजा की जाती है. हिमाचल प्रदेश के इस जगह पर रावण का कोई पुतला भी नहीं जलाया जाता है.
दशानन मंदिर, कानपुर, उत्तर प्रदेश
कानपुर के शिवाला क्षेत्र में मौजूद दशानन मंदिर साल में सिर्फ एक बार दशहरा के दिन खुलता है. दशहरा के दिन इस मंदिर में रावण की मूर्ति का श्रृंगार कर आरती की जाती है. इस मंदिर में सिर्फ दशहरा वाले दिन ही पूजा करने की अनुमति होती है. 1890 में बने इस मंदिर में भारी संख्या में लोग पूजा करने आते हैं.