मिलिए अल्मोड़ा के इस अलौकिक बालक योगेश गोसाईं से..विद्यालय के वार्षिक समारोह में भगवान राम की भूमिका अदा करनी थी..मंचन के कुछ समय पहले ही माता जी के स्वर्गवास होने का समाचार मिला..इस गहन शोक युक्त समाचार के बावजूद भी इस बालक ने भगवान राम की भूमिका अदा करने की जिद की..राम की लीला राम ही जाने..
श्री प्रदीप राय (IPS) एसएसपी अल्मोड़ा जी की कलम से
सत्य कथा –
एक विद्यालय अल्मोड़ा के ताकुला में स्थानीय सेवानिवृत्त लोगों और कुछ दानदाताओं के सहयोग से चल रहा है..आसपास के कम साधन संपन्न लोग अपने अपूर्ण सपनो को अपने संतान में देखने की अभिलाषा से इस विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ाते है.
5 दिसंबर 2022 को विद्यालय का वार्षिकोत्सव होना था।वार्षिकोत्सव की तैयारी चल रही थी.. चूंकि सारे अभिभावक और दानदाताओं सहित अन्य गणमान्य अतिथियों का आगमन हो रहा था इसलिए सारे शिक्षक गण और विद्यार्थी पूरे जोर शोर से एक कार्यक्रम की तैयारी में लगे हुए थे..कार्यक्रम था डेढ़ घंटे की ‘ रामलीला ‘ जो एक संगीतमय नृत्य नाटिका शैली में होनी थी…
बड़े गहन चयन प्रक्रिया से पात्रों को चुना गया था। रावण के लिए स्कॉटलैंड से आए ‘ सैम ‘ को चुना गया था और सीता बनी थीं ‘ कनक ‘…. रामलीला के लिए ‘राम ‘ को चुनना एक कठिन कार्य था..आखिरकार इस जगत के महानायक ,मर्यादा पुरुषोत्तम के मंचन हेतु उसी प्रकार का धीर गंभीर व्यक्तित्व के साथ ही मुखाकृति से ऐश्वर्य भी झलकना आवश्यक जो था..फिर रामलीला में सभी का ध्यान तो राम जी के पात्र की ओर होना नैसर्गिक ही है। अतः रामजी के शैशव,बाल्य और किशोर स्वरूप के अभिनय हेतु तीन छात्रों का चयन हुआ… अल्मोड़ा की रामलीला पूरे भारत में प्रसिद्ध है। अब अल्मोड़ा के किसी गांव की भी रामलीला हो तो उसके पात्रों के मंचन की अपेक्षा भी उसी प्रकार की ही होगी.. लिहाजा खूब अभ्यास कर पात्रों को माजा जा रहा था..अभिनय की हर छोटी बड़ी कमी पर विद्यालय के छात्र और अध्यापक पुनः अभ्यास कराने लगते…जैसे जैसे समय नजदीक आ रहा था वैसे वैसे अभ्यास और बढ़ रहा था…
वार्षिकोत्सव से दो दिन पहले अचानक एक ऐसा दुखद समाचार मिला जिसने आयोजक मंडल के उत्साह को मिट्टी में मिला दिया। सबके मुंह से निकला कि अब क्या होगा??? हुआ यूं था कि भगवान राम के बाल्यावस्था का मंचन करने वाले योगेश गुसाईं की माताजी के असामयिक निधन का समाचार प्राप्त हुआ था…योगेश को जहां यह दुखद सूचना बतानी थी वहीं समस्या यह थी की भगवान की बाललीला कौन करेगा???
योगेश को उनके माता जी के गोलोक प्रस्थान की सूचना दी गई…एक बालक की दुनिया उसकी मां ही होती है..बालक के रूदन से सारा स्टाफ रो रहा था..सब बच्चे को ढांढस बघा रहे थे…कुछ संयत होने पर योगेश को उनके गांव ले जाने की तैयारी हुई…योगेश को जब यह ज्ञात हुआ कि उसे गांव ले जाया जा रहा है तो उसने अपने अध्यापक से पूछा कि बालक रामजी का पात्र कौन निभाएगा ?? शिक्षक ने मायूसी से कहा कि अब तो रामजी ही जाने… किसी को चुना जायेगा..योगेश के पांव ठिठक गए उस बालक में जैसे बालक राम ने हो प्रवेश कर लिया था..” मैं ही करूंगा रामजी का पात्र.. ” योगेश बोल पड़ा..
उसको लगा कि शिक्षक उसकी बात नहीं सुन रहे,अगर सुन भी रहे हों तो ऐसी परिस्थिति में कौन विश्वास करेगा?? उसने शिक्षक के हाथ को झिझोड़ा..” मैं ही बनूंगा रामजी .. मैं घर नहीं जाऊंगा”
शिक्षक अवाक..प्रधानाचार्य भी अवाक हो गए..जो सुना वही अवाक हो गया..बालक की जिद और श्रद्धा के आगे सब नत मस्तक हो गए….श्रद्धा ही दुख का निवारण है समस्त संकटों को दूर करने वाली है..वेदों – पुराणों में वर्णित ,संतो- महात्माओं द्वारा व्याखायित ज्ञान जिसको समझने में जन्मों जन्म लग जाते है,कोई जल्दी श्रवण नहीं कर पाता,कुछ विरले ही मनन कर पाते हैं और सदियों में कोई उसका आचरण कर पाता है। उक्त नन्हे बालक का ऐसा आचरण किसने करवाया होगा…???
तेरी महिमा अपरंपार है प्रभु…
दिनांक 5 दिसंबर 2022 को मैं एक अतिथि के रूप में उक्त विद्यालय पहुंचा।प्रसिद्ध उद्योगपति श्री राज भट्ट जी भी उपस्थित थे..रामलीला के शानदार और जीवंत मंचन का रसपान करने का सौभाग्य मुझे मिला…प्रत्येक पात्र के अनुभव ने भाव विभोर किया..रामलीला समाप्त हुई हम सभी ने रामदरबार की आरती उतारी ..
‘ करहु प्रणाम जोर जुग पाणी..सियाराम मय सब जग जानी ‘
लेकिन जब राजभट्ट जी ने बालक राम के पात्र योगेश का परिचय कराया और घटना के बारे में बताया तो मेरे भीतर के दुख, वात्सल्य और श्रद्धा की मिश्रित भावनाएं एक साथ उदात्त हो गईं.. बालक राम के एक अल्प वयस पात्र में ऐसा विचार प्रभु की कृपा से ही हो सकता है.. श्री भट्ट जी के गोद में बैठे उक्त बाल प्रभु के शीश पर मेरे हाथ गए और पुनः उसके चरणों पर भी…धन्य है ऐसे बालक , धन्य हैं ऐसी जननी जिसने ऐसे संस्कार दिए…अध्यापक गण और प्रबंधन का ऐसे विशिष्ट चरित्र निर्माण करने हेतु बारंबार आभार…
“ब्यापक अकल अनीह अज निर्गुन नाम न रूप।
भगत हेतु नाना बिधि करत चरित्र अनूप॥”
भावार्थ:-जो व्यापक, अकल (निरवयव), इच्छारहित, अजन्मा और निर्गुण है तथा जिनका न नाम है न रूप, वही भगवान भक्तों के लिए नाना प्रकार के अनुपम (अलौकिक) चरित्र करते हैं॥
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