ढाई साल का यह मासूम बच्चा दुनियाभर में (अमर) हो गया! जानिए पूरी खबर
नई दिल्ली: 27 नवंबर 2020 को भारत ने छठां ऑर्गन डोनेशन डे मनाया। ऑर्गन डोनेशन यानी मृत्यु के बाद दूसरे को जीवन दे जाना। अंगदान महादान को सही साबित किया है एक ढाई साल के बच्चे ने। ढाई साल के इस बच्चे की कहानी आपको रुला देगी।
बच्चे के परिवार का जज्बा और हिम्मत आपके दिल को छू लेगा। सूरत का ढाई साल का बच्चा जश ओझा अपनी मौत के बाद भी अमर हो गया। मौत के बाद भी मासूम की आंखें खूबसूरत दुनिया को देखेगी। उसकी मौत के बाद दिल की धड़कन आज भी सुनी जा सकेगी। 9 दिसंबर को सूरत में जश ओझा दूसरी मंजिल से नीचे गिर गया।
हादसे के कुछ ही बाद 14 दिसंबर को जश ओझा ब्रेन डेड हो गया। परिवार ने जश को बचाने की सब कोशिशें
अच्छे से अच्छे डॉक्टर इलाज में जुट गए, पर नाउम्मीद होने के बाद परिवार ने एक ऐसा निर्णय लिया जो किसी के लिए भी मुश्किल हो, परिवार ने अपने मासूम के अंगदान का निर्णय लिया। दूसरे लोगों को जीवन देने की पहल की।
रशिया-यूक्रेन के बच्चे को जीवनदान
अपने मासूम को डॉक्टरों को अंगदान के लिए सौंप देना बेहद ही कठिन फैसला है पर परिवार ने हिम्मत दिखाते हुए ऐसा कठोर फैसला लिया जो दूसरे लोगों के लिए ना सिर्फ उदाहरण बना बल्कि कई लोगों को जिंदगी दे गया।
जश के परिवार अंगदान के लिए डोनेट लाइफ संस्था से संपर्क किया। परिवार ने जश के हार्ट, फेंफड़े और लीवर के दान के लिए कहा। सूरत के अमृता अस्पताल ग्रीन कॉरीडोर के जरिए जश के दिल, फेफड़े को चेन्नई के एमजीएम अस्पताल ले जाया गया।
जश का हार्ट रशिया के बच्चे और फेफड़ा यूक्रेन के बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया। जश की एक किडनी सुरेन्द्रनगर के 13 वर्षीय बच्ची में और दूसरी किडनी सूरत निवासी 17 साल के बच्चे और लिवर भावनगर के 2 वर्षीय बच्चे में ट्रांसप्लांट हुआ। जश की आंखे आइबैंक में दान की गईं। जश की वजह से कुल 7 नई जिंदगियों को रोशनी मिली हैं।
अंगदान के लिए जागरूकता जरूरी
देश में तमाम संस्थाए ऑर्गन डोनेशन के लिए काम कर रही हैं। लोगों को जागरूक कर रही हैं, क्या आप जानते हैं कि हमारे 17 अंगों को दान किया जा सकता है। जो मौत के बाद भी जीवित रह सकती हैं।
हम अपने हार्ट, लंग्स, लीवर, किडनी और स्किन को दान कर सकते हैं आंकड़े बताते हैं कि हर सार ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए 5 लाख अंगों की आवश्यकता होती है पर आवश्यकता के अनुसार ऑर्गन जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पाते।
हर वर्ष 2 लाख से ज्यादा आंखों(Cornea) की जरूरत होती है, लेकिन 50 हजार के करीब आंखे मिल पाती हैं। हर साल 2 लाख से ज्यादा किडनी की जरूरत होती है पर मिलती हैं सिर्फ 1600 के करीब -देश में हार्ट और लीवर के मरीजों को ये उपलब्धता और भी कम है। कम इसलिए हैं क्योंकि कोई भी जश के परिवार की तरह अंगदान का फैसला नहीं लेता। आंकड़े बताते हैं कि देश में हर 10 लाख लोगों में 1 व्यक्ति भी अंगदान नहीं करता है।
कौन कर सकता है अंगदान?
अंगदान में उम्र की कोई सीमा नहीं होती। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक अंगदान कर सकते हैं। एक दिन के बच्चे से लेकर 100 साल के बुजुर्ग भी अंगदान कर सकते हैं। अभी नवंबर महीने में ही अमृतसर में एक गंभीर बीमारी से जूझ रही 39 दिन की बच्ची ने दुनिया को अलविदा करने से पहले अंगदान किया। अंगदान एक सेवा का काम है, इसलिए अंगदान के लिए कोई पैसा नहीं दिया जाता है क्योंकि नेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट के मुताबिक मानव अंगों को बेचना गैरकानूनी और अवैध है और यह अपराध की श्रेणी में आता है।
कैसे करें अंगदान?
अंगदान करने के लिए भारत सरकार के National Organ & Tissue Transplant Organization की वेबलाइट पर जाएं। इस वेबसाइट पर खुद को रजिस्टर करवा सकते हैं। कई एनजीओ और अस्पताल भी अंगदान के लिए जागरूक करते हैं।
कितने तरह का अंगदान?
अंगदान दो तरह का होता है एक जीवित और मृत. जीवित में आप किसी को नियम के अनुसार किडनी या पैक्रियाज का कुछ हिस्सा दे सकते हैं, मृत अंगदान अक्सर ब्रेन डेड होने पर किया जाता है. जैसे ढाई साल के बच्चे जश ओझा के साथ हुआ. ब्रेन डेड होने पर हार्ट, किडनी, लीवर, फेफड़ा, आंत, आंखे दान की जा सकती हैं
कौन से राज्य अंगदान के लिए जागरूक?
अंगदान के लिए सबसे जागरूक राज्य है तमिलनाडु। तमिलनाडु को लगातार छठीं बार अंगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्य घोषित किया गया है। महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर रहा. महाराष्ट्र में लोगों को अंगदान के लिए बहुत प्रेरित किया जा रहा है।
देश में ऐसे लाखों लोग हैं जिन्हें हमारी एक कोशिश से बचाया जा सकता है…अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग से जिताया जा सकता है। अंगदान के लिए आगे बढ़े और जागरूक बनें।