चाचा के कातिल को पकड़ने के लिए IT इंजीनियर ने नोकरी छोड़ 40 दिन में दबोच लाया कातिल को।
कभी कभी ऐसे भी किस्से इंसान की जिंदगी में आ जाते हैं जिन पर आसानी से विश्वास कर पाना बेहद मुश्किल होता है. दिल्ली में रहने वाले आईटी इंजीनियर में भी कुछ ऐसा ही कमाल कर दिया. इस आईटी इंजीनियर ने सड़क हादसे में मारे गये चाचा के कातिल को तलाशने के लिए नौकरी छोड़ दी. उसके बाद 40 दिन तक सड़कों पर कातिल की तलाश में इधर-उधर भटकता रहा. अंतत: उसे सफलता मिली. फिलहाल कातिल पुलिस के कब्जे में है.
जानकारी के मुताबिक, कैलाश एक्स ब्लाक मंगलापुरी, दिल्ली में सपरिवार रहते थे. बीते साल यानि 11 नवंबर 2020 को सुबह के वक्त कैलाश, बेटे महेश के साथ दुपहिया वाहन से दफ्तर जा रहे थे. उन्हें मादीपुर जाना था. पीरागढ़ी फ्लाईओवर पर टेंपो ने महेश के दुपहिया वाहन को पीछे से हिट कर दिया.
इससे पिता-पुत्र दुपहिया वाहन से गिर पड़े. हादसे में महेश के पिता कैलाश की मौत हो गयी.
आधा टेंपो नंबर कर गया पूरा काम
सड़क हादसे में कैलाश की मौत हो चुकी जानकर टेंपो चालक मौके से वाहन सहित भाग गया. भागते टेंपो को रुकवाने की कोशिश में महेश ने चालक के ऊपर हेलटमेट से हमला भी किया. हेलमेट के वार से टेंपो का शीशा टूट गया. इन तमाम कोशिशों के बाद भी मगर महेश टेंपो को नहीं रोक पाया. लिहाजा टेंपो चालक के हुलिये और टेंपो के आधे अधूरे नंबर के साथ महेश ने पूरी घटना पुलिस को बता दी.
मश्किल से मिलते हैं सड़क हादसे के जिम्मेदार
पुलिस ने मामला दर्ज करके आरोपी चालक की तलाश शुरु कर दी. तमाम कोशिशों के भी मगर दिल्ली पुलिस के हाथ टेंपो चालक नहीं लग सका. इसके पीछे प्रमुख वजह थी कि टेंपो का जो नंबर, शिकायतकर्ता ने पुलिस को दिया था, वो भी आधा-अधूरा था. पूरा प्रकरण चूंकि कैलाश के भतीजे और आईटी इंजीनियर की सर्विस कर रहे किशन कुमार की नजर में था. किशन जानता था कि, सड़क हादसे के मामले में भागे हुए चालक ब-मुश्किल पुलिस को भी मिल पाते हैं.
कातिल तलाशने को नौकरी छोड़ दी
लिहाजा किशन ने चाचा कैलाश के कातिल टेंपो चालक को खुद ही तलाशने का वीणा उठाया. उसके सामने मगर प्रैक्टिकल प्रॉब्लम यह थी कि, कोरोना काल में ब-मुश्किल बचा पाये अपनी, आईटी की नौकरी उसके हाथ से जा सकती थी. चूंकि चाचा के कातिल तक पहुंचने के लिए टाइम चाहिए था. लिहाजा बिना आगे-पीछे की कुछ सोचे हुए ही, किशन ने नौकरी छोड़ दी.
रोजाना तड़के चार बजे होता था सड़क पर
जब नौकरी छोड़ दी तो, अब किशन दिन रात उस रास्ते पर ही मौजूद रहने लगा जिस पर, उसके चाचा को टेंपो ने कुचल कर मार डाला था. साथ ही चाचा के कातिल की तलाश में जुटने से पहले किशन ने घटना के चश्मदीद और चचेरे भाई महेश से भी हादसे की वक्त की तस्वीर जानने के लिए गंभीरता से कई बार बात की. ताकि टेंपो और चालक के बारे में उसे ज्यादा से ज्यादा मालूमात हासिल हो सकें. इस बातचीत में किशन को महेश से चालक का हुलिया और टेंपो पर तिरपाल मौजूद होने की बात मुख्य लगी. साथ ही घटना के चश्मदीद चचेरे भाई ने किशन को यह भी बताया कि, टेंपो का 4603 नंबर वो याद रख पाया.
जानकारी जिसने कातिल तक पहुंचाया
बस यही तमाम बिंदु किशन ने जेहन में बसा लिये. इसके बाद किशन घटनास्थल के आसपास 40 दिन तक लगातार मंडराता रहा. किशन टेंपो की तलाश में तड़के रोजाना चार बजे मौके पर पहुंच जाता था. उसने कई अंडा सप्लायरों से भी संपर्क साधा. सीसीटीवी फुटेज भी तलाशा. पीरागढ़ी फ्लाईओवर (घटनास्थल) पर रोजाना चलने वाले टेंपो चालकों से दोस्ती भी की. ताकि कोई सुराग हाथ आ जाये. अंतत: चालिसवें दिन किशन की मेहनत रंग लाई. और उसके हाथ चाचा को कुचलकर मारने वाला ड्राइवर मय टेंपो लग ही गया.
पानीपत के टेंपो ने दिल्ली में ली जान
आगे की पड़ताल में पता चला कि, टेंपो पानीपत स्थित एक पॉलट्री फार्म का है. घटना वाले दिन टेंपो को रोजाना चलाने वाले ड्राइवर के स्थान पर कोई दूसरा शख्स चला रहा था. पुलिस को किशन ने सारी बात बताई. लिहाजा पुलिस ने टेंपो मालिक गिरधारी को पकड़ लिया. गिरधारी ने पुलिस को बताया कि, उसे घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हां, जब उसने टेंपो का एक बैक-मिरर (जोकि हादसे के बाद पकड़ने की कोशिश में महेश द्वारा मारे गये हेलमेट के वार से टूटा था) टूटा देखा, तो चालक ने बस झगड़े की बात बताई थी.
40वें दिन हो गया “मिशन-ओवर”
दिल्ली पुलिस और 40 दिन में कातिल को दबोचने वाले किशन के मुताबिक, “टेंपो मालिक गिरधारी ने बताया कि, हादसे वाले दिन ही टेंपो चालक छुट्टी लेकर घर चला गया. ऐसे में उसे दूसरा चालक टेंपो पर भेजना पड़ा था. फिलहाल पुलिस ने इन तमाम जानकारियों के आधार पर 11 नवंबर 2020 को सड़क हादसे में कैलाश की जान लेने के आरोपी असली टेंपो चालक को भी गिरफ्तार कर लिया.”
पुलिस भी किशन की कायल हुई
गिरफ्तार असली टेंपो चालक का नाम सुरेंद्र कुमार उर्फ छोटू है. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी असली चालक की पहचान घटना के चश्मदीद और हादसे में जान गंवाने वाले कैलाश के बेटे महेश ने भी बाद में पहचान लिया. उधर दिल्ली पुलिस भी किशन के इस भागीरथ प्रयास से गदगद है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, “महकमा किशन जैसे समझदार और मददगार लोगों को वक्त-वक्त पर प्रोत्साहित करती रहती है. ताकि यह लोग पुलिस के मददगार बनने के लिए हमेशा तत्पर रहें.”