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देहरादून के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) सफलतापूर्वक किया गया।

उत्तराखंड में पहली बार, (टीएवीआई) एक जटिल वाल्व शरीर रचना के साथ वाले मरीज में

डॉक्टरों ने गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचे 77 वर्षीय एक व्यक्ति जिन्हे वेंट्रिकुलर सेप्टल एन्यूरिज्म था उनका ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) सफलता पूर्वक किया।

– टीएवीआई एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है जो ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच का भाग) में फेमोरल धमनी के माध्यम से या छाती में एक छोटे से चीरा के माध्यम से एक छोटी ट्यूब के जरिए की जाती है।

– मरीज कैथ लैब में हो रही इस पूरी प्रक्रिया को बिना किसी दर्द के देखता रहता है और इस प्रक्रिया के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है और वह चलकर घर जा सकता है।

देहरादून, 20 अक्टूबर, 2020- उत्तराखंड में पहली बार, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून में डॉक्टरों ने 77 साल उम्र के उमा आनंद जिन्हे वेंट्रिकुलर सेप्टल एन्यूरिज्म था उनका सफलता पूर्वक ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) किया, जिससे मरीज को स्वस्थ जीवन जीने की उम्मीद पैदा हुई।
दिल के चार वाल्वों में से एक – एओर्टिक वाल्व में स्टेनोसिस या वाल्व में टाइटनिंग की समस्या आम तौर पर बुढ़ापे में होती है, जिसमें कैल्शियम जमा होने के कारण वाल्व कड़ा हो जाता है, जिससे इसके लीफलेट की गतिशीलता में बाधा आती है। यह स्थिति हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालती है और इसके परिणामस्वरूप सांस फूलना, टखनों में सूजन, सीने में दर्द, चक्कर आना और कभी-कभी आंखों के आगे अंधेरा छाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। एओर्टिक स्टेनोसिस के रोगी को जब सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो बीमारी बढती ही जाती है, और इसका इलाज नहीं कराने पर अधिकांश रोगियों की मृत्यु 2 वर्ष के भीतर हो जाती है।

मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, देहरादून के कार्डियोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ इरफान याकूब भट ने कहा, “77 वर्षीय सेना के जवान सांस लेने में गंभीर तकलीफ के कारण खुद ही हमारे अस्पताल आये थे। जांच करने पर, रोगी में बहुत गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस पाया गया और उनके दिल के कार्य करने की क्षमता भी काफी कम पायी गयी। इसके अलावा, हार्ट फेल्योर के कारण उनके फेफड़ों के अंदर और आसपास तरल पदार्थ जमा हो गया था। मूल्यांकन पर, रोगी में क्वाड्रिसिपिड एओर्टिक वाल्व (सामान्य तीन के बजाय चार क्यूसप वाले) और वेंट्रिकुलर सेप्टल एन्यूरिज्म का एक रूप पाया गया। वाल्व शरीर रचना के क्षेत्र में टीएवीआई का कोई भी मामला दुनिया में अभी तक सामने नहीं आया है और हृदय की खराब कार्यप्रणाली के कारण रोगी को सर्जरी के लिए बहुत अधिक जोखिम था।“

इतनी गंभीर स्थिति में अस्पताल में आने के बाद, रोगी और उनके करीबी रिश्तेदार उच्च जोखिम वाली सर्जरी के लिए तैयार नहीं थे। मैक्स के डॉक्टर भी मरीज की एक बड़ी सर्जरी करने के पक्ष में नहीं थे। तब वे इस निर्णय पर पहुँचे कि टीएवीआई का चुनाव करना सबसे अच्छा है।

डॉ भट ने कहा, ष् हमारे पास टीएवीआई ही एकमात्र विकल्प था जो 30 सितंबर को मरीज के प्रवेश के 5 दिनों के बाद सफलतापूर्वक किया गया था। टीएवीआई एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जो ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच का भाग) में फेमोरल धमनी के माध्यम से एओर्टिक वाल्व प्रत्यारोपित किया जाता है। यह प्रक्रिया लोकल एनीस्थिसिया के तहत की जाती है और इसमें मरीज कैथ लैब में हो रही इस पूरी प्रक्रिया को बिना किसी दर्द के देखता रहता है और इस सर्जरी के बाद दूसरे या तीसरे दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है और वह चलकर घर जा सकता है। इस प्रक्रिया के बाद रोगी की इकोकार्डियोग्राफी में दिल के बेहतर कार्यों को स्पष्ट रूप से देखा गया और किसी भी जटिलता के बिना, ऑपरेशन के दूसरे दिन रोगी को छुट्टी दे दी गई।

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल देहरादून के यूनिट हेड डा. संदीप सिंह तंवर ने कहा, “मैक्स अस्पताल, देहरादून इस महामारी के दौरान सभी आपात स्थितियों और नैदानिक मामलों के इलाज के लिए हमेशा आगे रहा है। हमारी टीमें यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं कि कोविड के प्रकोप के कारण गैर-कोविड उपचार में बाधा न आए। हम सभी से सुरक्षित रहने और आवश्यक सावधानी बरतने और निवारक उपाय अपनाने और खुद को स्वस्थ रखने के लिए स्क्रीनिंग कराने और जांच करवाने की अपील करते हैं।“

हाल तक, इस स्थिति के लिए उपलब्ध एकमात्र निश्चित उपचार सर्जरी के माध्यम से वाल्व रिप्लेसमेंट था। यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए उपलब्ध थी जो बहुत कमजोर, बीमार होते थे या जिनमें ओपन हार्ट सर्जरी कराने से अधिक खतरा होने की संभावना होती थी। लेकिन अब, किसी भी गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस वाले रोगियों में, जिनमें लक्षण महसूस हो रहे हों, टीएवीआई के लिए विचार किया जा सकता है।

यह प्रक्रिया कैसे काम करती है, इसके बारे में डॉ भट ने विस्तार से बताया, “वाल्व, जो या तो गाय या सुअर के दिल से प्राकृतिक ऊतक से बना होता है, दोबारा अभियांत्रिक की मदद से सुधारा जाता है और एक लचीले फैले हुए मेश फ्रेम से जोडा जाता है। हृदय में, वाल्व का प्रत्यारोपण एक कैथेटर के चारों ओर या अंदर वाल्व को निचोड़ कर किया जाता है, उसके बाद उसे प्रविष्ट किया जाता है और दिल में एओर्टिक वाल्व खोलने के लिए निर्देशित किया जाता है। वहां इसे मौजूदा वाल्व के ऊपर प्रत्यारोपित किया जाता है। एक बार जब नया वाल्व प्रत्यारोपित हो जाता है, तो कैथेटर को हटा दिया जाता है, और नया वाल्व तुरंत काम करना शुरू कर देता है।

ट्रांसकैथेटर उपकरणों का उपयोग, गंभीर सिम्प्टोमैटिक एओर्टिक स्टेनोसिस के इलाज के लिए पसंदीदा या एकमात्र विकल्प के रूप में सर्जिकल रिपेयर को चुनौती दे रहा है। दुनिया भर में टीएवीआई के रोगियों में न केवल मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में भी काफी सुधार हुआ है।

इस मजबूत सबूत के कारण, टीएवीआई को अब एक वर्ष से अधिक की जीवन प्रत्याशा के साथ गंभीर सिम्प्टोमैटिक एओर्टिक स्टेनोसिस वाले रोगियों की देखभाल का मानक माना जा रहा है, जो सर्जिकल एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए अन्यथा अयोग्य हैं। देहरादून के मैक्स अस्पताल में बहुत उन्नत प्रक्रियाओं सहित दिल की अधिकतर बीमारियों के लिए उपचार उपलब्ध हैं, जिससे मरीजों को एक ही छत के नीचे सभी उपचार विकल्पों में से चयन करने की सुविधा मिलती है, वरना उन्हें गंभीर सामाजिक, भावनात्मक और वित्तीय समस्या का सामना करना पडता।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें – विकास कुमार-8057409636

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