Thursday, July 10, 2025
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महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच खटास, जानें क्‍या है पूरा मामला

मुंबई । महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार और राज्य के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच रिश्‍तों की खटास का ताजा मामला आज एक बार फिर सामने आया है। राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के अंतर्गत आने वाले सामान्‍य प्रशासन विभाग ने राज्यपाल कोश्यारी को विमान को प्रयोग करने की अनुमति नही दी। बता दें कि राज्‍यपाल कोश्यारी सरकारी विमान का इस्तेमाल कर उत्तराखंड जा रहे थे। राज्‍यपाल लगभग आधे घंटे तक सामान्‍य प्रशासन विभाग से संपर्क करने की कोशिश करते रहे, लेकिन उन्‍हें कोई जवाब नहीं मिल पाया।

जानें क्‍या है मामला

राज्यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी उत्‍तराखंड में बीते रविवार हुई त्रासदी का जायजा लेने उत्तराखंड जाना चाहते थे। इसके लिए वह मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचे, लेकिन इस संबंध में उन्‍हें कोई जवाब नहीं मिला, वे लगभग आधा घंटा वहां इंतजार करते रहे। बता दें कि विमान को प्रयोग करने अनुमति मुख्यमंत्री के अंतगर्त आने वाले सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दी जाती है। आधे घंटे इंतजार करने के बाद राज्‍यपाल कोश्‍यारी ने फैसला किया है कि अब वह सरकारी विमान प्रयोग नहीं करेंगे। वह अब प्राइवेट विमान में ही सफर करेंगे। वे अब प्राइवेट विमान से ही देहरादून जाएंगे।

बीते वर्ष नवंबर में लोग ये सुनकर स्‍तब्‍ध हो गए थे जब उन्‍हें सुबह उठकर पता चला कि राज्यपाल कोश्यारी ने राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन रात को ही हटा दिया और तड़के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिला दी गई। राज्यपाल के इस फ़ैसले को शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट के निर्णय के बाद तुरंत ही फ़्लोर टेस्ट हुआ और फडणवीस सरकार को पद से इस्‍तीफा देना पड़ा। इस संबंध में शिवसेना नेता संजय राउत ने भी राज्‍यपाल को लेकर तीखी बयानबाजी की थी।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधान मंडल का सदस्य बनने के समय पर भी कोश्‍यारी ने विरोध जताया था। दरअसल उद्धव ठाकरे के मुख्‍यमंत्री पद पर बने रहने के लिए विधानसभा या विधान मंडल का सदस्य निर्वाचित होना था उस समय विधान परिषद में मनोनयन कोटे की दो सीटें खाली थी। राज्‍य मंत्रिमंडल ने इसके लिए राज्‍यपाल कोश्‍यारी से सिफारिश की थी कि इन दो खाली सीटों में से एक पर ठाकरे को मनोनीत कर दिया जाये, लेकिन राज्‍यपाल टस से मस न हुए और अपनी बात पर अड़े रहे। तब शिवसेना ने उन पर राजनीतिक साज़िशों को रचने वाला केंद्र बनने का आरोप लगाया था।

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