भड़ेथ में यम और शिव के मध्य भयकंर युद्ध पर उमा के रोने से बना उमारोली ( उमरोली)।

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भड़ेथ में यम और शिव के मध्य भयकंर युद्ध पर उमा के रोने से बना उमारोली ( उमरोली)।

उमरोली ग्राम सभा का परिचयः यमकेश्वर ब्लॉक में तीन जिला पंचायत हैं, जिनमें उमरोली, गुमाल गाँव, और भादसी हैं। जिस गॉव की सर्वाधिक जनसंख्या होती है, उस गॉव के नाम से और उसको सम्मान देने के लिए उस क्षेत्र की जिला पंचायत को उसी गॉव का नाम दिया जाता है। अतः उमरोली जिला पंचायत की बात की जाय तो तात्कालीन परिसीमन के समय उमरोली की सर्वाधिक जन संख्या होने के कारण जिला पंचायत उमरोली नामकरण किया गया। उमरोली ग्राम सभा तीन प्रमुख राजस्व ग्राम से बनी है जिसमें उमरोली अमोला और भडेथ। उमरोली और अमोला एक ही हार सार और उमरोली से गये कंडवाल जाति के लोग अमोला में बसागत करने पर हम उमरोली अमोला का एक साथ और भड़ेथ गॉव का अलग से भौगौलिक, इतिहास, सामाजिक सांस्कृतिक, आर्थिक स्थिति एवं वर्तमान स्थिति का अलग अलग अध्ययन सुविधानुसार करेगें।

उमरोली अमोला गॉव की भौगोलिक स्थितिः उमरोली- अमोला गॉव बडोली न्याय पंचायत की जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ी ग्राम सभा है। यह लक्ष्मणझूला- काण्डी मोटर मार्ग के किनारे बसा हुआ गॉव है। ऋषिकेश से यहॉ की दूरी लगभग 50 किलोमीटर और कोटद्वार से लगभग 65 किलोमटीर है। समुद्रतल से इसकी उॅचाई भी लगभग 1800 से 2000 फीट ऊॅचाई पर अवस्थित है। वहीं ब्लॉक मुख्यालय से इस गॉव की सीमा लगी हुई है। उमरोली अमोला के पूर्व दक्षिण में दमराड़ा वहीं पश्चिम मेंं जिमराड़ी पंबा दक्षिण में सेल्ड़ी बडोली, जामल और उत्तर में पाठ, भडेथ, गुमाल गॉव इत्यादि हैं। उमरोली गॉव में साल के वृक्षों की अधिकता है। उमरोली पहाड़ की तलहटी में बसा है, जबकि अमोला गॉव सड़क के किनारे बसा हुआ हैं।

भडेथ गॉव की भौगोलिक स्थितिः उमरोली ग्राम सभा का दूसरा बड़ा राजस्व ग्राम भडेथ गॉव है, जो उमरोली के उत्तर दिशा में अवस्थित है। समुद्रतल से 2000 फीट ऊॅचाई पर अवस्थित यह गॉव लक्ष्मणझूला- कांडी मोटर मार्ग के किनारे पहाड़ी की तलहटी मे है। कुछ परिवार सड़क के ऊपर रहते हैं, जिसे डंग्या कहते हैं और वहीं मूल भड़ेथ गॉव सड़क से लगभग 300 मीटर नीचे बसा हुआ है। ऋषिकेश से भड़ेथ की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 45से 50 किलोमीटर और कोटद्वार से लगभग 70 किलोमीटर दूरी पर अवस्थित है। भड़ेथ गॉव के पूरब में पाटा चुब्यानी, उमरोली, उत्तर पूर्व में पोखरी, पश्चिम में जामल, कुलेथा, पंबा नौंगाव, उत्तर में खरदूनी, तुनखाल, गणेशपुर, जबकि दक्षिण में यमकेश्वर, बडोली व सिल्डी गॉव हैं। भडेथ से ब्लॉक मुख्यालय के दूरी लगभग 3 किलोमीटर है। भडेथ गॉव पहाड़ी के ऊपरी हिस्से में बसागत होने के कारण यहॉ से यमकेश्वर अधिकांश गॉव दिखायी देते हैं, वहीं पूर्व दिशा में हिमालय की पर्वत ़ऋखंलायें जो हिम से लदी रहती हैं दिखायी देती हैं।

उमरोली- अमोला गॉव का इतिहासः उमरोली अमोला और भडेथ का इतिहास भी यमकेश्वर महोदव के पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। किवदंती है कि जब यम और शिवजी के मध्य यद्ध हुआ तो जिमराड़ी से शुरू होते हुए भड़ेथ तक गया। भडेथ में दोनो जब आपस में भिड़ गये तो यहॉ पर भिडंत होने के कारण इसे भिडेंत हो गया, और बाद में इसका नाम भडेथ हो गया। भडेथ गॉव के आस पास यु़़द्ध होते हुए आगे बढने लगे तो दोनो के मध्य अनिर्णित लड़ाई को देखकर माता पार्वती यानी उमा विलाप करने लगी। उनके रोने या विलाप करने के कारण उमा रोली से अपभं्रश होकर उमरोली नाम से यह स्थान प्रसि़द्ध हो गया। अमोला गॉव में उमरोली के कंडवाल जाति एवं अन्य जाति के लोगों के खेत या तोक थे जो सुविधानुसार उमरोली से अमोला में आकर बस गये। अमोला गॉव की बसागत को लगभग दो पीढी यानी लगभग 1940 के बाद ही अमोला गॉव की बसागत हुई है। उमरोली गॉव मे पदमचारी व्यवस्था चमोला बिष्ट जाति के पास थी। यहॉ के पधान स्व0 श्री मदन सिंह बिष्ट और उनके पुत्र जीत सिंह बिष्ट और उनके पूर्वजों के पास रही है।

उमरोली गॉव के चिर परिचित नाम स्व0 श्री महानंद कण्डवाल जो कि ब्रिटीश काल में प्रमाणित वैद्य थे एवं आजादी के बाद भारत सरकार से मान्यता प्राप्त वैद्य थे। आपने काशी (गया) से वैद्य विशारत की डिग्री उपार्जित की थी। उनके पास क्षेत्र के दूर दराज के लोग मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के लिए उनके पास आते थे। इसी तरह गॉव में स्व चंद्रमणि कंडवाल जो बिना प्रशिक्षण प्राप्ति के ही हड्डी जोड़ने के चिकित्सक थे। इनके बारे में कहा जाता है कि किसी भी प्रकार की टूटी हड्डी को जोड़ने में इनको महारत हासिल थी वह जानवर हो या इंसान सबका इलाज दक्षता से करने में सक्षम थे। ये क्षेत्रीय व दूर दराज के लोगो का निशुल्क उपचार करते थे।

भडेथ गॉव का इतिहासः भडेथ का इतिहास भी यमकेश्वर महोदव के पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। किवदंती है कि जब यम और शिवजी के मध्य यद्ध हुआ तो जिमराड़ी से शुरू होते हुए भड़ेथ तक गया। भडेथ में दोनो जब आपस में भिड़ गये तो यहॉ पर भिडंत होने के कारण इसे भिडेंत हो गया, और बाद में इसका नाम भडेथ हो गया। भडेथ गॉव की बसागत भी लगभग 1815- 1820 के मध्य हुई है। भडेथ गॉव निवासी श्री सुरेन्द्र सिंह बिष्ट जो देहरादून में निवासरत हैं, यमकेश्वर क्षेत्र में रहने वाले सम्पूर्ण चमोला बिष्ट जाति की वंशावली बनायी गयी हैं। उनके द्वारा लिखी गयी वंशावली में भडेथ गॉव के चमोला बिष्ट जाति के इतिहास के बारे में लिखा है, कि चमोला बिष्ट जाति के लोग चमोली से पहले बड़खोला गॉव (सतपुली के नजदीक) बाद में भरपूर गॉव बिष्ट डांडा के पास मेंं बसे। किवदंती है कि यहॉ के प्रथम वंशज के सात बेटे थे, जो क्रमशः पोखरी, भडेथ, उमरोली, चुब्याणी, नाली तथा कुलसी, इत्यादि गॉव में बस गये थे। वहीं पोखरी में आने वाले चमोला बिष्ट स्व0 शिव सिंह बिष्ट थे, जबकि भडेथ में आने वाले पहले चमोला बिष्ट में स्व0 श्री कलम सिंह बिष्ट थे। स्व0 नारायण सिह बिष्ट और उनके पूर्वजों के पास पदमचारी थी, जो क्षेत्र में मालगुजारी एकत्रित करते थे।

भडेथ गॉव में स्व0 गंगा सिहं बिष्ट ’ब्रहमचारी’ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। इनका जन्म 1897 में हुआ था, इनके पिताजी का नाम स्व0 श्री रघुनाथ सिंह बिष्ट था। सत्याग्रह आंदोलन में आपकी सक्रिय भूमिका रहीं। इसके लिए आप दो बार 08 अक्टूबर 1930 से 6 माह के लिए और पुनः 1932 में छह माह के लिए जेल गये। इनको गॉव में ब्रहमचारी के नाम से जाना जाता था। 1966 में इनका देहांत हो गया। गॉव में वर्तमान में उनकी स्मृति में डंग्या नामक स्थान में सड़क के किनारे उनका एक स्मारक मार्च 2018 में स्थापित किया गया है।

उमरोली- अमोला गॉव की सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्थितिःः उमरोली गॉव जाति बाहुल्य गॉव हैं, जबकि अमोला मूलतः कंडवाल जाति के लोग निवास करते हैं, जबकि भड़ेथ में चमोला बिष्ट जाति के लोग निवास करते हैं। उमरोली और अमोला में कंडवाल जाति के लोग कांडाखाल भड़ेत गॉव से आये हैं, यहॉ इनकी 6वी पींढी चल रही है। जबकि चमोला बिष्ट चमोली से सतपुली के पास बड़खोली गॉव से होते हुए भरपूर गॉव, बिष्ट डांडा गॉव में जाकर बसे। वहीं उमरोली में चमोला बिष्ट जाति के लोग बुदोली गॉव से आकर यहॉ बसे, उमरोली में स्वं गंभीर सिंह बिष्ट का पहला परिवार बसा। इसका प्रमाण यह है कि आज भी बुदोली पाठ इत्यादि इत्यादि भूमि का कर उमरोली के थोकदार परिवार के श्री दरबान सिंह बिष्ट के नाम पर आता है।

वहीं पडियार बिष्ट जाति के लोग पडियार बिष्ट ढांगू पट्टी के कौंधरा गढ अमोला के मूल निवासी हैं। वहीं महर नेगी मजोगी, (गैंडखाल), बिडवाल नेगी, उचुंड ढासीं, से के मूल निवासी हैं। इसके अतिरिक्त एक परिवार कुकरेती खेड़ा से आकर आये हैं जो अपने ननिहाल में रहते हैं। इसके अतिरिक्त एक परिवार बडोला जाति का है जो ढुंगा के मूल निवासी हैं, वह भी अपने ननीहाल की भूमि में यहॉ निवास करते हैं। वहीं सुमेरू डांड में नेगी परिवार निवास करते हैं। गॉव में रौत, रावत जाति के लोग भी निवास करते हैं।

उमरोली में अनुसूचित जाति के अन्तर्गत राज मिस्त्री, जागरी, लुहार और ढोल वादक लोग जो अपने अपने अलग अलग हुनर के लिए जाने जाते हैं, निवास करते हैं। बलूनी डांडा में मिस्त्री और मावा डांडा में ढोलवादक निवास करते हैं। उमरेली के जागरी क्षेत्र में बहुत प्रसि़़द्ध थे। पूर्व में गोलू देवता के जागर गायन करने वाले श्री दुर्लभ नामक जागरी का अपना अलग ही नाम था, उस समय गोलू देवता के जागर में उन्हें सि़द्धहस्त प्राप्त था, इसके अतिरिक्त वह अन्य जागर गायन भी करते थे। वहीं ढोलवादन करने वाले लोगों की वृती पूरे यमकेश्वर क्षेत्र में थी, इसी तरह लोहे के औजार बनाने वाले हस्तशिल्पी लोगों की बडोली से लेकर दमराड़ा, जामल, सिल्डी, भडेथ, पाठ, चुब्याणी तक इनकी वृती बाड़ी थी।

उमरोली- अमोला का क्षेत्रपाल देवता भूम्या देवता है, जबकि उमरोली में देवेश्वर महादेव का मंदिर है। आस्था का मुख्य प्रतीक यमकेश्वर महादेव का मंदिर है।

भडेथ गॉव की सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्थितिः- भडेथ गॉव में चमोला बिष्ट जाति के लोग निवास करते हैं। चमोला बिष्ट जाति के लोग चमोली से पहले बड़खोला गॉव (सतपुली के नजदीक) बाद में भरपूर गॉव बिष्ट डांडा के पास मेंं बसे। भडेथ में आने वाले पहले चमोला बिष्ट में स्व0 श्री कलम सिंह बिष्ट थे।

भडेथ गॉव के पानी के स्त्रोत के पास एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जहॉ पर वर्तमान में पीपलेश्वर महादेव के नाम से मंदिर का निर्माण किया गया है। पहले यह थोड़ा ही दिखाई पड़ता था, लेकिन धीरे धीरे पानी के कटाव के कारण मिट्टी रेत इत्यादि बहने से स्पष्ट दिखाई देने लगा। श्री सुरेन्द्र सिंह बिष्ट स्थानीय निवासी बताते हैं कि शिवलिंग की लम्बाई, एक फीट तथा गोलाई दो फीट है।

शिवलिंग के विषय में स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार किवदंती है कि यह शिवलिंग यमकेश्वर के कुछ व्यक्तियों द्वारा घट गदेरा के रास्ते यहॉ लाया गया। यहॉ पहॅुचने पर उन व्यक्तियों द्वारा इस स्थान पर विश्राम करने के लिए शिवलिंग को नीचे जमीन में रख दिया। विश्राम करने के बाद जब पुनः शिवलिंग को उठाने लगे तो वे उठा न सके। सुबह जब भडेथ गॉव की महिलायें पानी लेने उक्त स्थान पर आयी तो, उन्हें देखकर वह सब लोग भाग गये। बताते हैं कि उन व्यक्तियों को महिलाओं ने सामने थमला- धारड़ जाने वाले रास्ते में जाते देखा। यह मालूम नहीं हो सका कि वे किस जगह से इस शिवलिंग को लेकर आये और कहॉ ले जाना चाहते थे। यमकेश्वर में बहने वाली सतेड़ी या शतरूद्रा नदी के विषय में कहा जाता है कि यहॉ पर लगभग 100 रूद्र के लिंग होने के कारण इसे शतरूद्रा कहते हैं, हो सकता है कि उक्त शिवलिंग भी उक्त में से कोई एक हो। इसके अतिरिक्त गॉव मेंं भूम्या देवता का मंदिर अवस्थित है। भडेत गॉव मे अठवाड़ की पंरपरा वर्तमान में भी है, लेकिन पिछले कुछ सालों से बलि प्रथा बंद हो गयी है।

उमरोली-अमोला एवं भडेथ की आर्थिक व्यवस्थाः पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण उमरोली-अमोला एवं भड़ेथ गॉव की पूर्व में आर्थिकी का मुख्य आधार कृषि एवं पशुपालन रहा है। उक्त तीनों गॉव राजस्व गॉव हैं, इसके अतिरिक्त बलूनी डांडा और मावा डांड क्षेत्र भी राजस्व क्षेत्र हैं। उक्त क्षेत्रों से पहले खेती करने पर मालगुजारी के तहत कर लिया जाता था। यहॉ खेती में धान, झंगोरा, मंडुवा, गेहूं, जौ, उड़द गहथ और अब घर के सगवाड़ी में आलू प्याज, लहसन, धनिया, हल्दी, अदरक, अरबी इत्यादि सभी फसलें उगायी जाती हैं। वहीं पशुपालन में गाय, बैल, भैंस, भेड़ बकरी, मुर्गा आदि का पालन किया जाता रहा है।

वर्तमान में रोजगार ने नौकरी का स्थान ले लिया है। उमरोली गॉव में अकेले ही लगभग 45 से अधिक युवा फौज में है, वहीं कुछ युवा होटल मैंनेजमेंट की डिग्री लेकर बड़े होटल व्यवसाय में अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं, वहीं भडेथ में भी सरकारी व निजी क्षेत्रों में रोजगार कर आय का साधन जुटा रहे हैं।

उमरोली के प्रमुख तोको की बात की जाय तो इसमें मुख्यतः सारी तोक, बसग्यत, सिल्लू बघारा, खगली, प्रमुख हैं जबकि अमोला मेंं सारी तोक, तूण सौड़ चुपड़ सिंग्वल तोक तमतोली, जामली तोक, डांड तोक प्रमुख है।

वहीं भडेथ गॉव के प्रमुख तोको में डंग्या तोक, सारी जो गॉव से लगी हुई है, डांकेघार तोक जो पूर्व दिशा में है, पीपलखोली तोक जो भडेथ गॉव के प्राकृतिक पानी का स्त्रोत और वर्तमान में पीपलेश्वर महादेव का मंदिर अवस्थित है। पॉचवा तोक सुनार गॉव तोक जो सुनार गॉव की सीमा से लगा हुआ है। छठवां तोक घट गदन तोक जहॉ पूर्व में घराट चलता थां। सातवां तोक गथोड़ तोक जो कभी गहथ की उन्नत फसल के लिए प्रसि़़द्ध था। आठवां तोक मठयानी और गुराकर जोकि सतेड़ी नदी के किनारे है, एक जमाने में धान और गेहॅू की उपज के लिए जाना जाता था।

उमरोली- अमोला- भडेथ की वर्तमान स्थिति। उमरोली-अमोला में वर्तमान की बात की जाय तो यह विकाससील गॉव हैं। सड़क पानी बिजली एवं अस्पताल और शिक्षा के केन्द्र गॉव के 3-5 किलोमीटर के दायरे में हैं। ब्लॉक मुख्यालय यमकेश्वर के अतिक्ति यहॉ डाकघर, इण्टर कॉलेज, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक व नजदीकि सरकारी डिग्री कॉलेज गुरूगोरखनाथ महाविद्यालय विथ्यानी में है। प्राईमरी स्कूल गॉव में ही है। गॉव में वर्तमान में 70 से अधिक परिवार निवास करते हैं। गॉव के ऊपर ही दो चार दुकानें खुली हुई हैं। इस तरह से उमरोली अमोला गॉव विकासशील गॉव है। उमरोली में भी लिंक रोड़ बन गयी है, जबकि अमोला पूर्व से ही लक्ष्मणझूला मोटर मार्ग के किनारे बसा हुआ है। उमरोली अमोला दोनों में प्ांंचायत घर और बारात घर सरकारी निधि से बना हुआ है।

वहीं भडेथ गॉव की वर्तमान स्थिति भी विकासशील है। गॉव में मुख्य समस्या पानी की है, गर्मियों में पानी के लिए टैंकर से पानी की आपूर्तित की जाती है। इसके अलावा गॉव में लिंक रोड़ का कार्य गतिमान है। गॉव में पंचायत घर का निर्माण सरकारी निधि से किया गया है। इसके अतिरिक्त गॉव में प्राथमिक विद्यालय छात्र संख्या कम होने के कारण अस्थायी रूप से बंद है, जबकि इण्टर कॉलेज यमकेश्वर और चमकोट खाल नजदीक है, वहीं अस्पताल यमकेश्वर में है, डिग्री कॉलेज बिथ्यानी और बैंक यमकेश्वर, दिउली में है। गॉव में वर्तमान में 15-20 परिवार निवास करते हैं, गॉव में वासियों एवं प्रवासी लोगो द्वारा सड़क पानी मंदिर आदि के लिए किये जाने वाले प्रयास सराहनीय हैं, कुछ प्रवासियों द्वारा गॉव मे मकान बनाने शुरू कर दिये हैं।

उपरोक्त सभी जानकारी गॉव के वरिष्ठ एवं अनुभवी लोगों के द्वारा प्रदान की गयी हैं।

हरीश कण्डवाल मनखी की कलम से।
23 अगस्त 2020।

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