उत्तराखंड

उत्तराखंड: ज़हरीली गैसों से प्राकृतिक हवा में जहर घोलते उद्योगों पर कसा शिकंजा, 31 मार्च तक लगाना होगा वायु शोधक संयंत्र

उत्तराखंड में हवा को जहरीली बना रहे उद्योगों पर अब पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शिकंजा कस दिया है। बोर्ड ने इस तरह के उद्योगों को 31 मार्च 2022 तक वायु शोधक संयंत्र लगाने को कहा है। बुधवार को बोर्ड बैठक में यह फैसला लिया गया।

बोर्ड के संज्ञान में आया कि प्रदेश में ऐसे भी कई उद्योग हैं जो इगनॉट बनाने का काम करते हैं, अभी तक करीब ऐसे 54 उद्योग चिह्नित किए गए हैं। इन उद्योगों को कहा गया है कि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जरूरी उपाय करें।

बोर्ड बैठक में इसके लिए समय सीमा तय कर दी गई। इस तरह के उद्योग कोटद्वार, भगवानपुर, काशीपुर, किच्छा में अधिक हैं। इगनॉट के उत्पादन में उच्च ताप पर लोहे को पिघलाया जाता है और इससे कई जहरीली गैस वातावरण में पहुंचती हैं।

बोर्ड 2.5 करोड़ रुपये तक की मदद करेगा
इसी के साथ बोर्ड ने यह भी तय किया है कि वायु और जल प्रदूषण की रोकथाम करने या उनकी गुणवत्ता बढ़ाने की योजना बनाने वाले विभागों को बोर्ड 2.5 करोड़ रुपये तक की मदद करेगा। बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया कि पर्यावरणीय आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए भी यह पैसा दिया जाएगा।

बोर्ड ने हरिद्वार में विद्युत शवदाह गृह के निर्माण के लिए 50 लाख रुपये की मंजूरी भी दी। इसके साथ ही देवप्रयाग में सेप्टेज वाहन के लिए 45 लाख रुपये भी मंजूर किए। देवप्रयाग में सीवर लाइन से यह वाहन सीवेज को खींच कर शोधन संयंत्र तक पहुंचाने का काम करेगा।

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