देहरादून:- विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र के सफल संचालन हेतु विधानसभा अध्यक्ष ने आज महत्वपूर्ण सुरक्षा सम्बन्धी बैठक ली। बैठक में सभी मंत्रिगणों, विधायकों, प्रेस व दर्शकों के सुविधाओं एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई और सम्बंधित विभागों के प्रमुखों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया।
बैठक में प्रदेश के मुख्य सचिव एस एस संधू, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था वी मुरुगेशन, आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार, पुलिस महानिरीक्षक इंटेलिजेंस ए पी अंशुमान, डी एम देहरादून सोनिका, पुलिस उपमहानिरीक्षक गढ़वाल करण सिंह, पुलिस उपमहानिरीक्षक इंटेलिजेंस निवेदिता कुकरेती आदि विभागों के प्रमुख उपस्थित थे।
विस सचिवालय से हाल में बर्खास्त कर दिए गए थे 228 तदर्थ कर्मचारी विधानसभा का 29 नवंबर से प्रारंभ होने वाला शीतकालीन सत्र इस बार विधानसभा अध्यक्ष के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहेगा। उन्हें कम कर्मचारियों के साथ ही कामचलाऊ सचिव के बूते सदन को संचालित करना होगा।
यद्यपि, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण का कहना है कि चुनौती जैसी कोई बात नहीं है। सभी अधिकारी-कर्मचारी अनुभवी और सत्र आयोजित कराने में पूरी तरह सक्षम हैं। सभी मिलकर शीतकालीन सत्र को बेहतर ढंग से चलाएंगे। बदली परिस्थितियों में हो रहा विधानसभा का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने के आसार जताए जा रहे हैं। भर्ती घोटालों और वनंतरा रिसार्ट प्रकरण जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष मुखर है और उसने सरकार को सदन के भीतर व बाहर घेरने की रणनीति बनाई है । यद्यपि, सरकार ने भी इसके लिए अपने तरकश में तीर तैयार किए हैं।
इस परिदृश्य के बीच विधानसभा सचिवालय के दृष्टिकोण से देखें तो उसके सामने कार्मिकों की कमी का विषय रहेगा। वर्ष 2016, 2020 व 2021 में नियुक्त किए गए 228 तदर्थ कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। भर्ती प्रकरण का मामला तूल पकडने के बाद कराई गई जांच में ये बात सामने आई कि ये भर्तियां नियम विरुद्ध हुई थीं।
ऐसे में विभिन्न अनुभागों से हटाए गए इन कर्मियों के काम का बोझ भी अन्य कर्मचारियों पर आना तय है। यही नहीं, विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल निलंबित चल रहे हैं। उन पर पूर्व में विधानसभा में भर्तियों के लिए विवादित एजेंसी का प्रभावित न हों, इसके लिए
चयन करने का आरोप है। यद्यपि, विधानसभा के कार्य कामचलाऊ व्यवस्था के तहत लेखा संवर्ग के उपसचिव को प्रभारी सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। परिणामस्वरूप कम कर्मचारियों के बूते सदन की कार्रवाई संचालित करने की चुनौती रहेगी।