यमकेश्वर के घट्टू गाड़ स्थित रिर्जाट मेंं होने वाले क्राईम का मामला बहुत गंभीर हैं, शांत घाटियों में इस तरह के घटनाक्रम ने पूरे माहौल को अशांत कर दिया है। हेंवलघाटी में जिस तरह से पर्यटन व्यवसाय फला फूला है, लेकिन यहॉ की शांत जीवन में जहर और अपराध को घोल रहा है। यशपाल नेगी के हत्या के मामले में नामजदों में अभी तक एक ही अभियुक्त की गिरप्तारी हुई है, जबकि अन्य अभी तक कानून की पकड़ से बाहर हैं। यशपाल नेगी की हत्या जिस घटनाक्रम के तहत की गयी वह बहुत ही निदंनीय है। पहाड़ी क्षेत्रों में जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया है, उससे स्थानीय निवासी सुरक्षित नहीं हैं।
यमकेश्वर क्षेत्र में यह अप्रिय घटना दिल दहलाने वाली है, एक तरफ जहॉ रिजॉर्ट में देर रात तक बनजे वाले फूहड़ संगीत और डीजे ने जहॉ आमजनों की नींंद में खलल डाला है, वहीं इसका विरोध करने पर जान को भी खतरा बन रहा है, अवैध पार्किग, नदी में पूरी गंदगी और नशा की प्रवृत्ति ने अपराध की प्रवृत्ति को बढावा दिया है। तहसील प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन को इन रिजॉर्ट के लिए नियमों को सख्त बनाना होगा। समय समय पर निरीक्षण किया जाना आवश्यक है।
वही क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से लेकर आमजन तक इस घटना का विरोध और अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान किये जाने हेतु एकजुटता दिखानी होगी, नही तो अन्य कई यशपाल नेगी को इन बढती आपराधिक घटनाओं के विरोध करने पर बदले में बलि देनी होगी। यदि आज सभी क्षेत्रवासियों ने इस घटना का प्रतिकार नहीं किया तो आने वाले समय में पूरे यमकेश्वर को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
जमीन के क्रय विक्रय के मामले को दृष्टिगत रखे तो जमीन का क्रय और विक्रय सदियों से चला आ रहा है यह हमेशा चलती रहेगी, ऐसे में उत्तराखण्ड में जमीन क्रय विक्रय के लिए भू कानून का अध्यादेश लाया जाना जरूरी है, तब ही भूमाफिया पर नियन्त्रण लग पाना संभव है, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में और शांत वातावरण में वही लोग जमीन क्रय कर रहे हैं, जो शहरों में आलीशान हवेलियों में रहकर उब चुके हैं, या अब वह पहाड़ों में रहकर अपना बिजनेस कर रहे हैं, उनके लिए यह शांत घाटियां अब व्यापार बन चुकी हैं। ऐेसे में पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन क्रय विक्रय के लिए सख्त भूकानून की आवश्यकता है।
हम सभी क्षेत्रवासी स्व0 यशपाल नेगी के हत्यारों को सजा दिये जाने की मॉग शासन प्रशासन से करते हैं, और इस तरह के अपराध को रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाये जाने की मॉग पुलिस प्रशासन से करते हैं।
हरीश कंडवाल “मनखी” की कलम से।