देहरादून : पिछले 9 महीने से बिना चार्जशीट के निलंबन झेल रहे संतोष बडोनी को आखिर किस बात की सजा मिल रही है क्योंकि आयोग 9 माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी यह तय नहीं कर पाया कि संतोष बडोनी को निलंबन किस आधार पर किया गया है।
शासन 9 महीने से अभी तक कोई भी आरोप पत्र दाखिल नही कर पाई है।
पूर्व सचिव संतोष बडोनी सचिवालय प्रसाशन में एक ईमानदार अधिकारी की छवि के रूप में पहचाने जाते है।
उनके इस मामले में कई तरह की जांच एजेंसी से की गई लेकिन सभी ने उनको किलीन चिट दी है, इसके बावजूद भी अभी तक उनका निलंबन न्यायोचित नही है।
उनके धैर्य की बानगी देखो अभी तक शासन के खिलाफ अपने को पाकसाफ दिखाने में उन्होंने कोई भी कदम नही उठाया,
निलंबन के नियमानुसार निलंबन के 3 माह के भीतर आरोपपत्र ना देने पर निलंबन स्वत: निरस्त हो जाता है। इसके बावजूद बडोनी निलंबन झेल रहे हैं सवाल यह भी है कि पर्दे के पीछे से यह खेल कौन खेल रहा है।
जानिए पूरे मामले की स्टोरी।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लंबे समय से भर्ती घोटालों को लेकर चर्चा में रहा है । आपको बता दें इस मामले में बड़ी खबर यह है कि आयोग के पूर्व सचिव जिन्हें भर्ती घोटाले आरोपों में निलंबित किया गया था अब उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है।
पुलिस एसटीएफ और आयोग ने सभी भर्ती घोटालों की गहन जांच के बाद जब अपना जवाब भेजा तो इसके बावजूद सचिवालय प्रशासन ने इस संदर्भ में दोबारा जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया । प्रत्युत्तर/ जबाव पूर्ववत ही मिला। संतोष बडोनी को 3 अगस्त को शासन से अटैच कर दिया गया था इसके बाद 2 दिसंबर को लापरवाही के आरोपों में उन्हें निलंबित कर दिया गया।
अब यहां बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या सरकार जनता के दबाव में आकर पूर्व सचिव बडोनी का निलंबन नहीं हटा रही है!
क्या भर्ती घोटालों में इतना ज्यादा मीडिया ट्रायल और जनता का आक्रोश निकल कर सामने आया कि सरकार अब पूर्व सचिव बडोनी को बिना किसी बात के सजा दे रही है।