उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक, सहृदय, स्वर सम्राट हीरा सिंह राणा जी के आकस्मिक निधन पर उत्तराखंड महापरिषद लखनऊ की ओर से *आज शोक सभा कर श्रधांजलि अर्पित की गई।
शोक शंदेश
जीवन परिचय
राणा जी का जन्म 16.09.1942 (स्कूल के अनुसार) को अल्मोड़ा जनपद के भिक्यासैण तहसील के डढोली ग्राम में हुआ था। उन्होंने ‘आलिली बकरी लिली छयू-छयू, आलिली लि लि…छयू-छयू..’, कैं हैं कौनू को सुणुछा, यौ बखता हाल, घरवाई मिजात हैरैं, म्यर घुना में टाला..’, ‘जुग बजानै गय बिणाई जुग बजानैं गया, मनखा यौ मन्थम अपणा गीद म्यसानै रया..’, ‘सर्ग तारा जुनाली राता, को सुणौलौ यौ म्येरी बाता..’, ‘रंगिली बिंदी घागरी काई, धोती लाल किनार वाई, आय हाय रे मिजाता..’, ‘रूपसा रमूली घुंगर न बजा छम-छम, जागिजा माठ-माठू जौंला किलै जैंछे चम-चम..’ और ‘के संध्या झूली रै छौ भागीवाना, नील कंठा हिमाला, अब संध्या झूली गे छै भागीवाना धौलीगंगा का छाला..’ आदि कई ऐतिहासिक गीत रचकर उन्हें गाकर वह अमर कर गए। उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी
यादगार पल