300 प्लॉट कट चुके, 1 वर्ष में हुईं 111 रजिस्ट्री, 109 एक वर्ग विशेष की..
साभार नवीन समाचार।
हल्द्वानी ! बीती 8 फरवरी की हिंसक घटना से देश भर की चर्चा में आये बनभूलपुरा से करीब 2 किमी दूर भी जैसे एक और बनभूलपुरा बसाने की पिछले कुछ वर्षों से कोशिश चल रही है।
2021 में सुर्खियों में आने के बावजूद
सूचना के अधिकार से हुये खुलासे के अनुसार यहां वर्ष 2022 में 111 रजिस्ट्री हुईं। खास बात यह कि इनमें से 109 रजिस्ट्री मुस्लिम व्यक्तियों के नाम पर हुई हैं और इनमें से 49 मुस्लिम ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार उत्तराखंड में जमीन खरीदी है।
यहां बात हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावित चिड़ियाघर के पास आरोपों के अनुसार एक स्थानीय काँग्रेस नेता की शह पर बनी ग्राम देवला तल्ला में बनी कालोनी की हो रही है। हल्द्वानी से गौलापार को जाते समय पुल पार करते ही दो सड़कें हैं। एक सड़क स्टेडियम व दूसरी सड़क ग्राम देवला तल्ला को जोड़ती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी देवला तल्ला गांव में पूर्व में ‘मेहरा फार्म’ कहे जाने वाले क्षेत्र में एक व्यक्ति ने वर्ष 2018 के बाद से अवैध प्लाटिंग शुरू की। अब तक करीब 300 से अधिक प्लाट काटे जा चुके हैं और 10 से अधिक मकान बनकर खड़े हो गए हैं।
काँग्रेस सरकार में हुआ खेल
बताया गया है कि लालकुआं विधानसभा में गौलापार क्षेत्र में प्रस्तावित जू के पास सीलिंग में फंसी 25 बीघा जमीन पर मुस्लिम कॉलोनी बसा दी गई। इस कॉलोनी में उत्तराखंड के बाहर से मुस्लिमों को लाकर बसाया गया है।
जानकारी के अनुसार यह भूमि राजस्व विभाग के कब्जे में होनी चाहिए थी, जिसे कांग्रेस पार्टी से जुड़े दबंग प्रॉपर्टी डीलरो ने अपने शासनकाल में प्रशासनिक अधिकारियों से मिली भगत करके अपने कब्जे में कर ली और इसकी बिक्री फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुस्लिम लोगों को कर दी।
इस जमीन पर जब मुस्लिम समुदाय के कब्जेदार अपने मकान बनाने लगे तो आसपास के लोगों ने मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद लोगों ने स्थानीय भाजपा विधायक के संज्ञान में जब यह बात डाली तो उन्हें ये राजनीतिक खेल समझ आया। बताया जाता है पूर्व में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के वक्त कांग्रेस के बड़े नेताओं के संरक्षण में 55 बीघा का मामला खुर्दबुर्द किया गया था।
दरअसल, लालकुआं विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर रहती आई है। कांग्रेस ने यहां अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए ये खेल खेला और यहां 25 बीघा जमीन पर 109 मुस्लिम परिवारों को लाकर बसा दिया। जब मामला खुला तो मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बारे में जांच पड़ताल करने के लिए कुमाऊं आयुक्त और जिला अधिकारी नैनीताल को निर्देशित किया।
जानकारी के अनुसार इसी जमीन से जुड़ी एक और 25 बीघा जमीन को लेकर भी नैनीताल प्रशासन ने कार्रवाई करके भू माफिया से वापस कब्जा लेकर उसे सरकारी राजस्व भूमि में दर्ज करवाया और आरोपितों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए। खबर है कि ये कुल जमीन 3.187 एकड़ यानी 55 बीघा है, जिसमें से 25 बीघा सरकार ने अपने कब्जे में ले ली है और बाकी पर बस रही मुस्लिम कॉलोनी को लेकर जांच चल रही है।
इस मामले में शिकायतकर्ता रवि जोशी का कहना है कि इस कॉलोनी के भूमि संबंधी विवाद है। इसके बावजूद इसके वहां बसावट हो रही है और एक वर्ग विशेष को बसाया जा रहा है जिससे यहां डेमोग्राफिक चेंज होने का खतरा दिखाई देता है।
अंसारी कालोनी कभी पंत फार्म के नाम से जानी जाती थी। वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार, वर्ष 1978 में सरकार ने 64 लोगों को 62 हेक्टेयर जमीन 90 साल की लीज पर खेती के लिए दी थी। जमीन का नवीनीकरण 30 साल में होना था, मगर वर्ष 2008 के बाद जमीन का नवीनीकरण नहीं हुआ है।
महत्वपूर्ण बात ये है कि इस जमीन पर भवन बनाने की अनुमति किसी को नहीं थी, लेकिन यहां पर मुस्लिम समुदाय के 150 से अधिक लोगों ने घर बना लिए हैं।
प्रापर्टी डीलर ने खरीदी जमीन
जिस जमीन पर प्लाटिंग हुई है, उसका विनियमितीकरण एक व्यक्ति के नाम से हुआ था। प्लाटिंग करने वाले ने जमीन का बड़ा हिस्सा खरीदा। फरवरी 2023 से इस जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगी है। आरटीआइ एक्टिविस्ट का आरोप है कि दाखिल खारिज के बाद जमीन की रजिस्ट्री भी होती रही।
तीन गुना अधिक सिक्योरिटी मनी लेकर दिए बिजली के कनेक्शन
अंसारी कालोनी में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग ऊर्जा निगम को स्वामित्व का कोई अभिलेख नहीं दिखा पाए। इसलिए ऊर्जा निगम ने रेगुलेटरी कनेक्शन के आधार पर तीन गुना अधिक सिक्योरिटी मनी जमा कराकर 60 से अधिक लोगों को बिजली का कनेक्शन दिया है।
2500 रुपये स्क्वायर फीट का एक प्लाट
व्यक्ति ने बताया कि उसने 100 स्क्वायर फीट का प्लाट दो साल पहले 15 लाख में खरीदा था। इस जमीन के रेट अब बढ़कर दो हजार से 25 सौ रुपये स्क्वायर फिट हो चुके हैं। यहां जिन 10 लोगों के घर हैं, वह सभी मुस्लिम समुदाय के हैं।
100 रुपये के स्टांप पर बिकी जमीन
कभी पंत फार्म और अब मलिक कालोनी की जमीन 100 रुपये के स्टांप पेपर पर बेची गई है। एक प्लाट खरीदने में लोगों ने 29 लाख रुपये तक खर्च किए हैं। वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार, राम प्रकाश ने इंतियात को 22.25 लाख में, सलीम अख्तर ने गुलशन को चार लाख रुपये में जमीन बेची। ऐसे ही कई अनगिनत और उदाहरण हैं।
150 से अधिक मुस्लिम समुदाय के लोगों ने घर बना लिए
बताया गया है कि वर्ष 1978 में सरकार ने यहां 64 लोगों को 62 हेक्टेयर जमीन 90 साल की लीज पर कृषि कार्य के लिए दी थी। इस लीज का नवीनीकरण 30-30 साल में होना था। मगर वर्ष 2008 के बाद से लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ है।
महत्वपूर्ण यह भी है कि इस जमीन पर भवन बनाने की अनुमति किसी को नहीं थी, लेकिन यहां पर 150 से अधिक मुस्लिम समुदाय के लोगों ने घर बना लिए हैं।
2022 में इस जमीन पर 111 रजिस्ट्री हुईं, इनमें से 109 रजिस्ट्री मुस्लिम व्यक्तियों के नाम
गौलापार निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता रविशंकर जोशी को इस संबंध में जिला विकास प्राधिकरण से सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध कराई गयी जानकारी के अनुसार वर्ष 2022 में इस जमीन पर 111 रजिस्ट्री हुईं। इनमें से 109 रजिस्ट्री मुस्लिम व्यक्तियों के नाम पर हुई हैं और उनमें से 49 मुस्लिम ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार उत्तराखंड में जमीन खरीदी है।
फिलहाल जोशी की शिकायत पर प्राधिकरण न्यायालय ने अगस्त 2023 में बिना नक्शा पास कराए जमीन पर प्लॉटिंग करने व ब्रिकी रोकने, दाखिल- खारिज रद्द करने व 15 दिन के भीतर भवनों को ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। अलबत्ता, 6 माह बाद भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं हुई है।
विधायक डॉ मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि यह मामला जब सामने आया तो हमने डीएम और शासन में इस बारे में जानकारी दी और पूछा है कि किस आधार पर सीलिंग की विवादास्पद जमीन पर रजिस्ट्रियां की गईं। हमने मुख्यमंत्री से भी मिलकर इस प्रकरण की जांच करवाने को कहा।
जल संस्थान व ऊर्जा निगम ने नहीं दिया जवाब
वन विभाग ने ऊर्जा निगम व जल संस्थान को पत्र भेजकर जानकारी मांगी थी कि वन भूमि पर काबिज लोगों को किस आधार पर बिजली व पानी के कनेक्शन दिए गए हैं? इन लोगों ने क्या दस्तावेज जमा किए थे, मगर अभी तक यह जवाब नहीं मिल सका।
वन भूमि से जुड़े निर्माण को चिह्नित किया जा रहा है। इसके बाद नोटिस भेजने की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, नए निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई की तिथि जल्द तय होगी। हिमांशु बांगरी, डीएफओ
इस जमीन के बारे में हमें जानकारी नहीं है, मगर किसी विभाग की ओर से तहरीर दी जाती है तो हम उस पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। – प्रह्लाद नारायण मीणा, एसएसपी
अवैध भवनों को ध्वस्त करने के आदेश यथावत हैं। इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। बनभूलपुरा से अतिक्रमण हटाने के कारण कार्रवाई में विलंब हुआ है। पंकज उपाध्याय, सचिव, जिला जिला विकास प्राधिकरण
किसी भी व्यक्ति को बिजली से वंचित नहीं किया जा सकता। अंसारी कालोनी में जिन लोगों को बिजली का कनेक्शन दिया है, उनसे तीन गुना अधिक सिक्योरिटी ली गई है। – नीरज पांडे, एसडीओ, ऊर्जा निगम
प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व प्रापर्टी डीलरों ने मिलीभगत से उत्तराखंड के कई पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्र में हजारों बाहरी लोगों की घुसपैठ करा दी है। इन घुसपैठियों को बिजली-पानी-सड़क सहित सभी सुविधाएं दी गई हैं।
इन बाहरी लोगों की घुसपैठ से उत्तराखंड के शांत पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्र अब अतिसंवेदनशील क्षेत्र में बदल चुके हैं। डेमोग्राफी में बदलाव की शिकायत शासन-प्रशासन से कई बार की और जांच समिति भी गठित हुई, पर जिला प्रशासन वर्षों से जांच पर कुंडली मारकर बैठ गया है। – रविशंकर जोशी, आरटीआइ कार्यकर्ता